संदर्भ:
भारत और बांग्लादेश ने व्यापक आर्थिक संबंधों पर चर्चा शुरू की है।
अन्य संबंधित जानकारी
- बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना दो दिवसीय यात्रा पर भारत पहुँचीं है। यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के लिए कार्यभार संभालने के बाद किसी विदेशी नेता की पहली राजकीय यात्रा है।
- यह 10 दिनों के भीतर उनकी दूसरी भारत यात्रा है। वह 9 जून को श्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुई थीं।
मुख्य बातें
- आर्थिक साझेदारी हेतु समझौता (Agreement on Economic Partnership): भारत और बांग्लादेश ने अपने आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) पर चर्चा शुरू करने पर सहमति व्यक्त की है।
- कनेक्टिविटी और ऊर्जा सहयोग (Connectivity and Energy Cooperation): भारत ने कनेक्टिविटी और ऊर्जा सहयोग पर ध्यान देने की बात कही है , दोनों देशों के बीच व्यापार अब भारतीय रुपये में किया जा रहा है।
इस वार्त्ता के दौरान अखौरा और अगरतला के बीच छठे भारत-बांग्लादेश क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक का शुभारंभ और खुलना-मोंगला बंदरगाह के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए नई कार्गो सुविधाओं को लॉन्च किया गया।
दोनों देशों ने समुद्री सहयोग, रेल संपर्क, समुद्र विज्ञान आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों को कवर करने वाले कई समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए। - रंगपुर में नया राजनयिक कार्यालय खोलने की घोषणा: भारत ने पश्चिम बंगाल और असम के बीच रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रंगपुर में एक सहायक उच्चायोग खोलने की घोषणा की।
- तीस्ता नदी संरक्षण: भारत का एक तकनीकी दल तीस्ता नदी के संरक्षण और प्रबंधन पर चर्चा करने के लिए बांग्लादेश का दौरा करेगा। यह एक ऐसी परियोजना है, जिसमें भारत और चीन दोनों की रुचि है।
- ई-मेडिकल वीज़ा की शुरूआत: बांग्लादेश के नागरिकों की ओर से भारतीय अस्पतालों में चिकित्सा उपचार के लिए ई-मेडिकल वीज़ा की शुरूआत की गई है, जिसका उद्देश्य वीज़ा प्रक्रिया में होने वाले विलंब को कम करना है।
- अन्य चर्चा: म्यांमार के रखाइन प्रांत से बांग्लादेश में बड़ी संख्या में शरणार्थियों के आने के कारण रोहिंग्या संकट भी चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय था।
भारत-बांग्लादेश संबंधों के बारे में
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- साझी विरासत: अविभाजित भारत के साझा ऐतिहासिक अतीत से जुड़े गहरे सांस्कृतिक और भाषाई संबंध।
- वर्ष 1971 मुक्ति संग्राम: बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए भारत के समर्थन द्वारा संबंधों की मजबूत नींव रखी गई ।
सामरिक महत्व
- पड़ोसी प्रथम नीति (Neighbourhood First Policy): बांग्लादेश भारत की एक्ट ईस्ट नीति और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- कनेक्टिविटी: बांग्लादेश दक्षिण-पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है, जिससे क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
आर्थिक रूप से परस्पर निर्भरता
- व्यापार: बांग्लादेश की वस्तुओं के लिए शुल्क मुक्त पहुँच (SAFTA) के कारण द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में, दोनों देशों के बीच का कुल द्विपक्षीय व्यापार 15.9 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारत व्यापार अधिशेष में रहा।
- विकास सहायता: भारत ने पिछले 8 वर्षों में बांग्लादेश को 4 लाइन ऑफ़ क्रेडिट (LOC) के जरिए लगभग 8 बिलियन डॉलर की राशि प्रदान की है, जो वहाँ सड़क, रेलवे, शिपिंग और बंदरगाहों सहित विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
भारत और बांग्लादेश के संबंधों में आने वाली चुनौतियाँ
- जल-बँटवारा संबंधी विवाद: तीस्ता नदी और अन्य साझा जल संसाधनों से संबंधित अनसुलझे मुद्दे दोनों देशों के संबंधों में चुनौतियाँ पेश कर रहे हैं ।
- सीमांकन संबंधी विवाद : दोनों देशों के बीच लंबित भूमि और समुद्री सीमा विवाद टकराव पैदा करते कर सकते हैं।
- आप्रवासियों से जुड़ा मुद्दा: बांग्लादेश से भारत में अवैध आव्रजन एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा कर सकता है।
- गैर-टैरिफ अवरोध: व्यापार असंतुलन और भारतीय प्रतिबंध बांग्लादेशी निर्यात में बाधा डाल सकते हैं।
- बुनियादी ढाँचे संबंधी चुनौतियाँ : मजबूत बुनियादी ढाँचे की कमी से सुचारू आर्थिक आदान-प्रदान में बाधा उत्पन्न होती है।
- संतुलित कार्यवाही : चीन के साथ बांग्लादेश के बढ़ते संबंधों को देखते हुए भारत की एक सूक्ष्म दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है।
आगे की राह
- संवाद और सहयोग: बेहतर संचार और सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए ।
- आर्थिक साझेदारी को सुदृढ़ बनाना: व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने हेतु CEPA संबंधी वार्ता की प्रक्रिया में तेजी लाना। SAFTA के अंतर्गत शुल्क मुक्त वस्तुओं का विस्तार करना तथा संयुक्त उद्यमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
- कनेक्टिविटी और ऊर्जा सहयोग बढ़ाना: रेल संपर्क और बंदरगाह परियोजनाओं को पूरा करना; परिवहन गलियारे विकसित करना। नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं की खोज करना और ग्रिड कनेक्टिविटी को मजबूत किया जाना चाहिए ।
- साझा चुनौतियों का समाधान: संयुक्त समितियों और स्थायी प्रथाओं के साथ जल विवादों का समाधान करना। सुरक्षा सहयोग और सीमा अवसंरचना को बढ़ाना तथा मानवीय सहायता और स्थायी समाधान पर सहयोग किया जाना चाहिए ।