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सामान्य अध्ययन-2: भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और करार।
संदर्भ:
हाल ही में, भारत और इज़राइल ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए नई दिल्ली में एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए।
अन्य संबंधित जानकारी
- इज़राइल आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) का पहला ऐसा सदस्य देश है जिसने 2016 में मॉडल द्विपक्षीय निवेश समझौते को अपनाने के बाद से भारत के साथ द्विपक्षीय निवेश समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- इसने 1996 में हस्ताक्षरित पिछले समझौते का स्थान लिया जिसे 2017 में भारत की निवेश संधि संबंधी नीतियों के चलते समाप्त कर दिया गया था।
समझौते की मुख्य विशेषताएं

- कानूनी निश्चितता के साथ निवेश को बढ़ावा: यह समझौता निवेशकों के लिए अधिक निश्चितता और सुरक्षा प्रदान करके, व्यवहार के न्यूनतम मानकों और पारदर्शी नियमों की गारंटी के साथ व्यापार और पारस्परिक निवेश को बढ़ावा देता है।
- विवाद समाधान: यह मध्यस्थता के माध्यम से विवाद समाधान तंत्र के साथ व्यापार और निवेश के विकास की सुविधा प्रदान करता है।
- मज़बूत निवेशक संरक्षण: यह निवेशकों को जब्ती (expropriation) से बचाता है, धन का मुक्त हस्तांतरण सुनिश्चित करता है, और नुकसान की स्थिति में उचित मुआवज़ा प्रदान करता है।
- संतुलित संप्रभुता और विनियमन: निवेशक अधिकारों को मजबूती प्रदान करते हुए, यह समझौता मेज़बान राज्य के नीतिगत दायरे को भी सुरक्षित रखता है, जिससे सरकारें जनहित को केंद्र में रखकर विनियमन कर सकती हैं।
भारत और इज़राइल के बीच सहयोग के क्षेत्र
- आर्थिक संबंध: दोनों देशों के बीच वर्तमान में कुल 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय निवेश है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: बराक-8 एक भारत-इजरायल द्वारा संयुक्त रूप से विकसित मध्यम और लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है जिसे भारत के डीआरडीओ और इजरायल के इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित किया गया है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी: भारत-इज़राइल अनुसंधान और विकास फाउंडेशन (I4F) स्वायत्त प्रणालियों के साथ जैविक, भौतिक और मानव एकीकरण से संबंधित अग्रणी और परिवर्तनकारी अनुसंधान और विकास परियोजना का समर्थन करता है।
- क्षेत्रीय सहयोग: भारत, इजराइल, संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका से मिलकर बना I2U2 समूह जल, ऊर्जा, परिवहन, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा में संयुक्त निवेश और परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी है।
द्विपक्षीय निवेश समझौता
- द्विपक्षीय निवेश समझौता, दो देशों के बीच व्यक्तियों और कंपनियों द्वारा एक-दूसरे के क्षेत्रों में निवेश के पारस्परिक संवर्धन और संरक्षण के लिए किए गए समझौते हैं।
- बीआईए अंतर्राष्ट्रीय कानून में दायित्वों के प्राथमिक स्रोत के रूप में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अनुच्छेद 38(1)(a) के अंतर्गत आते हैं।
- यूनाइटेड किंगडम के साथ भारत ने अपने पहले द्विपक्षीय निवेश समझौते पर 14 मार्च, 1994 को हस्ताक्षर किए तथा यह 6 जनवरी, 1995 से प्रभावी हुआ।
द्विपक्षीय निवेश समझौते की मुख्य विशेषताएँ
- राष्ट्रीय व्यवहार: विदेशी निवेशकों के साथ घरेलू निवेशकों के समान व्यवहार किया जाता है।
- सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (MFN) व्यवहार: एक देश के निवेशक से किसी अन्य देश के निवेशक के समान ही व्यवहार होता है, बशर्ते उस देश का द्विपक्षीय निवेश समझौता अधिक अनुकूल हो।
- निष्पक्ष एवं समतापूर्ण व्यवहार: निवेशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय कानून एवं मानकों के सिद्धांतों के अनुसार व्यवहार किया जाना चाहिए।
- पूर्ण संरक्षण एवं सुरक्षा: निवेशकों को उनके निवेश के लिए भौतिक एवं कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है तथा उन्हें मुआवजा भी दिया जाता है।