संदर्भ: बिठूर महोत्सव 2025 की शुरुआत 21 मार्च को बिठूर में नाना राव पेशवा स्मारक पर हुई।
- यह कार्यक्रम 1857 की क्रांति के प्रभाव को उजागर करते हुए कला, संगीत और रंगमंच के प्रति उत्साही लोगों को एकजुट करेगा।
1857 की क्रांति में बिठूर का ऐतिहासिक महत्व
- ब्रिटिश राज के दौरान बिठूर उत्तर प्रदेश (तब संयुक्त प्रांत) में कानपुर जिले का हिस्सा था।
- यह शहर भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध (1857) से गहराई से जुड़ा हुआ है।
- कानपुर की घेराबंदी (5 – 25 जून 1857) बिठूर किले के पास शुरू हुई।
- मराठा पेशवा बाजी राव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब को बिठूर निर्वासित कर दिया गया, जहाँ किला विद्रोह की योजना बनाने का मुख्यालय बन गया।
- नाना साहब, राम चंद्र पांडुरंग और तात्या टोपे जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों ने बिठूर से अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की।
- 19 जुलाई, 1857 को जनरल हैवलॉक ने बिठूर पर कब्जा कर लिया।
- अंग्रेजों ने बिठूर किले, घाटों और मंदिरों को आग के हवाले कर दिया, नाना साहब की 14 वर्षीय बेटी मैनावती आग में जलकर मर गई।
- मैनावती की याद में कानपुर में एक सड़क का नाम मैनावती मार्ग रखा गया।