संदर्भ: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की एक हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पवित्र नदी गंगा का पानी फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया से दूषित है।

फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया के बारे में

  • ये बैक्टीरिया गर्म रक्त वाले जानवरों और मनुष्यों के मलमूत्र में पाए जाते हैं।
  • ये आम तौर पर मनुष्यों और जानवरों की आंतों के अंदर मौजूद होते हैं।
  • ये बैक्टीरिया मानव और पशु अपशिष्ट के कारण नदियों जैसे जल स्रोतों को दूषित कर सकते हैं।
  • कोलीफॉर्म के साथ-साथ वायरस, साल्मोनेला और ई. कोली जैसे हानिकारक रोगाणु भी मौजूद हो सकते हैं।
  • इन रोगाणुओं की मौजूदगी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है।
  • कुंभ मेले जैसे आयोजनों में तीर्थयात्रियों की बड़ी भीड़ के कारण जल प्रदूषण का खतरा बढ़ सकता है।

फेकल बैक्टीरिया के संपर्क में आने से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम

  • फेकल कोलीफॉर्म से दूषित पानी में नहाने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें शामिल हैं:
    • गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण: ई. कोली और साल्मोनेला जैसे रोगजनकों के कारण, दस्त, उल्टी और पेट में ऐंठन जैसे लक्षण होते हैं।
    • त्वचा और आंखों में संक्रमण: प्रदूषित पानी से चकत्ते, आंखों में जलन और फंगल संक्रमण हो सकता है।
    • टाइफाइड और हेपेटाइटिस A: ये गंभीर संक्रमण दूषित पानी से फैल सकते हैं, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
    • श्वसन संबंधी समस्याएं: बैक्टीरिया युक्त पानी की बूंदों को अंदर लेने से फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है।
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