संदर्भ:

हाल ही में,प्लास्टिक पुनर्चक्रण और स्थिरता पर चार दिवसीय वैश्विक सम्मेलन(GCPRS) नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में शुरूआत  हुई । 

सम्मेलन के मुख्य अंश 

  • यह सम्मेलन अखिल भारतीय प्लास्टिक निर्माता संघ (AIPMA) और रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स संघ (CPMA) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।  
  • इस सम्मेलन का  उद्देश्य प्लास्टिक के उपयोग, इसके पर्यावरणीय प्रभाव और सतत भविष्य के लिए अभिनव  समाधानों से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित  करना है।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन एक वैश्विक चुनौती है जिसके लिए मूल्य श्रृंखला और सरकारी निकायों में सभी हितधारकों के बीच सहयोग की आवश्यकता है। प्लास्टिक पुनर्चक्रण और स्थिरता पर वैश्विक सम्मेलन (Global Conclave on Plastic Recycling and Sustainability-GCPRS) का लक्ष्य प्रभावी समाधान विकसित करने के उद्देश्य से संवाद और चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करना  है। 
  • सम्मेलन में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार के लिए रणनीतियों पर विचार किया जाएगा, जिसमें संग्रहण, पृथक्करण तथा यांत्रिक और रासायनिक प्रक्रियाओं जैसे विभिन्न पुनर्चक्रण विधियां शामिल होंगी।
  • इसमें पुनर्चक्रणीयता के लिए उत्पादों को डिजाइन करने और नए उत्पादों में पुनर्चक्रण को शामिल करके संसाधन दक्षता को अधिकतम करने पर भी बल  दिया जाएगा। उद्योग हितधारकों से पूरी मूल्य श्रृंखला में सहयोग को बढ़ावा देने की अपेक्षा की जाती है।
  • भारत के शून्य अपशिष्ट प्राप्त करने के लक्ष्य के अनुरूप, प्लास्टिक पुनर्चक्रण और स्थिरता पर वैश्विक सम्मेलन अभिनव  पुनर्चक्रण प्रौद्योगिकियों, जैव निम्नीकरणीय  और कंपोस्टेबल प्लास्टिक जैसे सतत विकल्पों और कुशल अपशिष्ट प्रबंधन समाधानों का प्रदर्शन करेगा। 
  • यह आयोजन उद्योग जगत के प्रमुखों, स्टार्टअप्स और पर्यावरण विशेषज्ञों के लिए अपने नवीनतम नवाचारों को प्रदर्शित करने और प्लास्टिक उद्योग में स्थिरता को आगे बढ़ाने पर जानकारी का आदान-प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।

भारत का प्लास्टिक पुनर्चक्रण उद्योग

  • “भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने के लिए राष्ट्रीय परिपत्र अर्थव्यवस्था रोडमैप’ रिपोर्ट के अनुसार, भारत वर्तमान में अपने प्लास्टिक अपशिष्ट का केवल 8% ही पुनर्चक्रित करता है।
    यदि वर्तमान पद्धतियां जारी रहती हैं, तो यह पुनर्चक्रण दर वर्ष 2035 तक केवल मामूली वृद्धि के साथ 11% तक पहुंचने का अनुमान है, बावजूद इसके कि भारत का प्लास्टिक उत्पादन वर्तमान 24.1 मिलियन टन से बढ़कर तब 70.5 मिलियन टन हो जाएगा।
  • भारत का प्लास्टिक पुनर्चक्रण उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और वर्ष 2033 तक इसका बाजार आकार 6.9 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
  • सरकारी पहल और मजबूत अनौपचारिक क्षेत्र, जिसमें पुनर्चक्रण दर लगभग 60% है, प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रभावी प्रबंधन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

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