संदर्भ:
पिग बचरिंग (Pig butchering) धोखाधड़ी एक ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी है, जिससे भारत सहित दुनिया भर के निवेशकों को लाखों का नुकसान हुआ है।
पिग बचरिंग धोखाधड़ी क्या है?
- पिग बचरिंग या “सूअर वध” शब्द की जड़ें चीन (शाज़ूपन) में हैं। यह वध से पहले सुअर को मोटा करने की प्रथा को संदर्भित करता है, जो घोटालेबाजों की रणनीति का उचित वर्णन करता है। वे समय के साथ पीड़ितों के साथ विश्वास सृजित करते हैं (“उन्हें बढ़ाते हैं”) और अंत में उनका सब कुछ चुरा लेते हैं (“उनका वध करते हैं”)।
- इसका वित्तीय धोखाधड़ी का किस्म दूसरों से अलग है क्योंकि यह लोगों को अक्सर जटिल योजनाओं के माध्यम से धोखा देने के लिए भावनाओं और लालच को अपने मुख्य साधन के रूप में उपयोग करता है।
- इसकी शुरुआत किसी निवेश अवधारणा या यहां तक कि किसी रोमांटिक रिश्ते से भी हो सकती है।
- जो लोग इन धोखाधड़ी के शिकार होते हैं, वे प्रायः यह मान लेते हैं कि ये वैध और लाभदायक हैं, जिसके कारण वे धीरे-धीरे अधिक धन निवेश करने लगते हैं।
- महामारी के दौरान यह वैश्विक स्तर पर फैला।
धोखाधड़ी का तरीका
- अपना शिकार ढूंढना: धोखेबाज सोशल मीडिया, डेटिंग एप्स और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर संभावित शिकार की तलाश में घूमते रहते हैं।
- विश्वास का सृजन: वे दोस्ती या रोमांटिक रुचि का दिखावा करते हुए एक व्यक्तिगत दृष्टिकोण तैयार करते हैं। यह भावनात्मक संबंध पीड़ितों को निहत्था कर देता है और उन्हें हेरफेर के प्रति अधिक संवेदनशील बना देता है।
- निवेश का झांसा: एक बार विश्वास स्थापित हो जाने पर, घोटालेबाज अक्सर नकली ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक अचूक निवेश अवसर प्रस्तुत करता है।
- फंसाना: नकली मुनाफ़ा दिखाया जाता है, जिससे पीड़ित को और ज़्यादा पैसे निवेश करने के लिए लुभाया जाता है। यह चक्र तब तक चलता रहता है जब तक पीड़ित भावनात्मक और आर्थिक रूप से पूरी तरह से खत्म नहीं हो जाता।
- वध: एक बार जब पीड़ित ने एक महत्वपूर्ण राशि का निवेश कर दिया, तो घोटालेबाज गायब हो जाते हैं और पीड़ित को केवल खाली हाथ और वित्तीय बर्बादी के अलावा कुछ नहीं मिलता है।