संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 1: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र का नवीनतम स्कूल शिक्षा मूल्यांकन, परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 जारी किया गया है, जिसने देश भर में सीखने के परिणामों पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की है।
अन्य संबंधित जानकारी
- दिसंबर 2024 में आयोजित परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण (जिसे पहले राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) कहा जाता था) के अंतर्गत देशभर के 74,229 विद्यालयों में कक्षा 3, 6 और 9 के 21.15 लाख छात्रों का मूल्यांकन किया गया। यह सर्वेक्षण राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में वर्णित आधारभूत, प्रारम्भिक तथा मध्य चरणों के प्रमुख शैक्षिक चरणों को प्रतिबिंबित करता है।
- 2017 में हुए NAS में कक्षा 3, 5 और 8 को शामिल किया गया था, जबकि 2021 में यह दायरा बढ़ाकर कक्षा 3, 5, 8 और 10 कर दिया गया था।
- चूंकि यह मूल्यांकन NEP 2020 के शैक्षिक चरणों के अनुरूप किया गया है, इसलिए केवल कक्षा 3 के परिणाम ही ऐसे हैं जिनकी NAS 2017, NAS 2021 और PRS 2024 — इन सभी तीनों सर्वेक्षण में प्रत्यक्ष रूप से तुलना की जा सकती है।
- मूल्यांकन की संरचना में बड़े पैमाने पर बदलाव के कारण, कक्षा 6 और 9 के परिणामों की तुलना पिछले NAS सर्वेक्षण के कक्षा 5 और 8 के अंकों से करने से त्रुटिपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत हो सकते हैं।
- केवल कक्षा 3 के परिणाम ही सभी चरणों में प्रत्यक्ष रूप से सीधे तुलनीय हैं, क्योंकि यह 2017, 2021 और 2024 के मूल्यांकनों में एकमात्र उभयनिष्ठ कक्षा है।
परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024
- NCERT के राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र – परख (समग्र विकास के लिए ज्ञान का प्रदर्शन मूल्यांकन, समीक्षा और विश्लेषण) द्वारा आयोजित यह सर्वेक्षण प्रणाली स्तर पर भारत का अब तक का सबसे बड़ा छात्र मूल्यांकन है।
- परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 के अंतर्गत कक्षा 3, 6 और 9 के छात्रों का विभिन्न विषयों और दक्षता में मूल्यांकन किया जाएगा:
- कक्षा 3 में, छात्रों का मूल्यांकन आधारभूत स्तर की दक्षताओं के आधार पर किया जाएगा, तथा मूल्यांकन की अवधि 90 मिनट होगी।
- कक्षा 6 में, छात्रों का मूल्यांकन भाषा, गणित और हमारे आस-पास की दुनिया (TWAU) विषयों में किया जाएगा तथा मूल्यांकन की अवधि 90 मिनट होगी।
- कक्षा 9 में, छात्रों का मूल्यांकन भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में किया जाएगा और उनके लिए मूल्यांकन की अवधि 120 मिनट होगी।
महत्व
- दक्षता-आधारित मूल्यांकन: इस सर्वेक्षण में केवल व्यक्तिगत छात्रों का ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विद्यालयों का मूल्यांकन किया जाता है। इससे शैक्षिक प्रणाली की चरण-विशिष्ट क्षमताओं की वास्तविक स्थिति—उसकी मजबूतियों और कमजोरियों—का विश्लेषण संभव होता है, जिससे लक्षित सुधार किए जा सकते हैं जो सभी छात्रों को लाभ पहुँचा सकते हैं।
- डेटा-आधारित नीति निर्माण: इस व्यापक सर्वेक्षण से प्राप्त आँकड़े शैक्षिक नीतियों और सुधारों को आकार देने में अमूल्य होगी, तथा यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी निर्णय वास्तविक और ठोस आँकड़ों पर आधारित हों।
- NEP 2020 के साथ संरेखण: यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांतों को मूर्त रूप देती है, जो भारत में शिक्षा को समावेशी, समतामूलक और समग्र दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करती है।
- शिक्षकों का सशक्तिकरण: डेटा-आधारित अंतर्दृष्टियों की सहायता से शिक्षक एवं प्रशासक अपनी शिक्षण पद्धतियों को प्रभावी ढंग से सुधार सकेंगे तथा छात्रों की विविध शैक्षिक आवश्यकताओं को बेहतर रूप से संबोधित कर सकेंगे।
मुख्य निष्कर्ष
- सर्वेक्षण के निष्कर्ष विशेषकर आधारभूतस्तर पर एक सकारात्मक तस्वीर प्रस्तुत करते हैं।
- भाषा विषय में लड़कियों का औसत प्रदर्शन 65% रहा, जो लड़कों के 63% से थोड़ा अधिक था। जबकि गणित में दोनों ही लड़कियों और लड़कों ने औसतन 60% अंक प्राप्त किए।
- दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण छात्रों का प्रदर्शन शहरी छात्रों की तुलना में थोड़ा बेहतर रहा, और राज्य सरकार के विद्यालयों ने कक्षा 3 में सर्वोच्च प्रदर्शन किया — जो निपुण भारत मिशन की प्रारंभिक सफलता को दर्शाता है।
- हालांकि, कक्षा 3 का प्रदर्शन अब भी 2017 में दर्ज स्तर तक नहीं पहुँच पाया है।
- उनका भाषा और गणित में मूल्यांकन किया गया और 2021 की तुलना में उनका प्रदर्शन बेहतर रहा।
- 2024 में भाषा में राष्ट्रीय औसत स्कोर 64% रहा, जो 2021 के 62% से दो प्रतिशत अंक अधिक है, लेकिन 2017 के 66.7% से अब भी कम है।
- बोधगम्यता में छात्रों ने न्यूनतम 60% अंक प्राप्त किए, जबकि दैनिक संवाद हेतु भाषा प्रयोग में अधिकतम 67% अंक अर्जित किए।
- जैसे-जैसे छात्र प्रारम्भिक और मध्य स्तरों की ओर बढ़ते हैं, केंद्रीय विद्यालयों ने उच्च प्रदर्शन दर्ज किया। हालांकि, शहरी-ग्रामीण और लैंगिक अंतर अब भी बने हुए हैं, जो लक्षित हस्तक्षेपों की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
- कक्षा 6 और 9 में भाषा को छोड़कर सभी विषयों में औसत अंक 50% से कम रहे।
- सर्वेक्षण यह भी दर्शाता है कि उच्च कक्षाओं में गणित और विज्ञान विषयों में त्वरित सुधार की आवश्यकता है, साथ ही समावेशी और लैंगिक रूप से संवेदनशील शिक्षण दृष्टिकोण अपनाने की सिफारिश की गई है।
- 2.7 लाख से अधिक शिक्षकों और विद्यालय प्रमुखों से प्राप्त फीडबैक ने डिजिटल उपकरणों के उपयोग और छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य सहित व्यापक शैक्षणिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला है।
साथ ही किशोर छात्रों में भावनात्मक तनाव और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए सीमित पहुँच पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है, जो तत्काल और व्यवस्थित हस्तक्षेप की माँग करती है।