संदर्भ:

हाल ही में, नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने घोषणा की कि वर्ष 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए समर्पित जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो को प्रदान किया जाएगा।

अन्य संबंधित जानकारी

  • निहोन हिडांक्यो को यह पुरस्कार “परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व बनाने के प्रयासों और गवाहों के बयान के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए दिया गया कि परमाणु हथियारों का फिर कभी उपयोग नहीं किया जाना चाहिए”।
  • वर्ष 1956 में अपने गठन के बाद से, निहोन हिडांक्यो संस्था परमाणु-बम से बचे लोगों हेतु एकमात्र राष्ट्रव्यापी संगठन है।
  • हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम(1945) से बचे लोगों के इस जमीनी आंदोलन को हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है। 
  • यह पुरस्कार “परमाणु निषेध” के महत्व को रेखांकित करता है, जो एक ऐसा मानदंड है जिसने वर्ष 1945 से परमाणु हथियारों के उपयोग को रोकने में मदद की है, साथ ही समिति ने चिंता व्यक्त की है कि यह परमाणु प्रतिबंध  वर्तमान में वैश्विक संघर्षों के बीच “दबाव में” है।

निहोन हिडांक्यो के कार्य का महत्व

  • हिबाकुशा की गवाही:

              यह परमाणु युद्ध के भयावह परिणामों की  याद दिलाता है।

              उनकी व्यक्तिगत कहानियों ने परमाणु निषेध को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, तथा ऐसे हथियारों के प्रयोग को नैतिक रूप से अस्वीकार्य किया  है।

  • परमाणु निरस्त्रीकरण का समर्थन : निहोन हिडांक्यो ने व्यापक शैक्षिक अभियानों के माध्यम से परमाणु हथियारों के खतरों के बारे में वैश्विक जागरूकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • गवाहों के बयान: संगठन के सदस्य अपने भयावह अनुभव साझा करते हैं तथा परमाणु बमों के कारण हुई गहन पीड़ा को व्यक्त  करते हैं।

परमाणु निषेध की चुनौतियाँ:

  • शस्त्रागारों का आधुनिकीकरण: लगभग 80 वर्षों से संघर्ष में किसी भी परमाणु हथियार का उपयोग नहीं होने के बावजूद, कई देश अपने शस्त्रागारों में नवीनतम प्रौद्योगिकी से युक्त परमाणु हथियार जमा कर रहे हैं, जिससे भविष्य में इनके संभावित उपयोग को लेकर  चिंताएं बढ़ रही हैं।
  • वैश्विक तनाव: वर्तमान में चल रहे भू-राजनीतिक संघर्षों ने परमाणु हथियारों के संबंध में नए खतरे उत्पन्न किए  हैं, जिससे उनके उपयोग के विरुद्ध स्थापित प्रतिबंधों पर दबाव पड़ रहा है। 

हिरोशिमा और नागासाकी:

  • 6 अगस्त, 1945 को प्रातः 08:15 बजे लिटिल बॉय नामक पहला परमाणु बम हिरोशिमा के केन्द्र पर गिराया गया।

            ‘लिटिल बॉय’ एक बंदूकनुमा परमाणु बम था।

  • तीन दिन बाद, 9 अगस्त, 1945 की सुबह, दूसरा अमेरिकी विमान प्रशांत महासागर में टिनियन द्वीप से रवाना हुआ, जो हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी का प्रक्षेपण स्थल था।

                यह विमान ‘फैट मैन’ नामक एक अधिक उन्नत परमाणु उपकरण ले गया था, जो नागासाकी पर गिराने के लिए बनाया गया  प्लूटोनियम-आधारित बम था।

Also Read:

वर्ष 2024 के लिए साहित्य का नोबेल पुरस्कार

Shares: