संबंधित पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने फेनोम इंडिया नेशनल बायोबैंक काउद्घाटन किया और देश का पहला दीर्घकालिक जनसंख्या स्वास्थ्य अध्ययन जारी किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- इसे फेनोम इंडिया परियोजना के तहत लॉन्च किया गया है।
- यह भारत के स्वास्थ्य डेटाबेस के निर्माण और वैयक्तिकृत उपचार (personalised treatment) को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह पैन-इंडिया दीर्घकालिक अध्ययन विशेष रूप से कार्डियो-मेटाबॉलिक रोगों जैसे मधुमेह, यकृत रोग और हृदय रोग के लिए एक उन्नत पूर्वानुमान मॉडल विकसित करने हेतु किया गया है।
- इनसे भारत की बोझिल स्वास्थ्य प्रणाली में चिकित्सकीय निर्णय प्रक्रिया में सुधार, सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को समर्थन और संसाधनों का बेहतर आवंटन अपेक्षित है।
राष्ट्रीय बायोबैंक की मुख्य विशेषताएं
- यह देशभर के 10,000 व्यक्तियों से विस्तृत जीनोमिक, जीवनशैली और नैदानिक डेटा एकत्रित करते हुए एक राष्ट्रव्यापी कोहोर्ट अध्ययन की आधारशिला के रूप में कार्य करेगा।
- यूके के बायोबैंक मॉडल से प्रेरणा लेते हुए, भारतीय संस्करण को देश की भौगोलिक, जातीय और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि की अद्वितीय विविधता को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
- यह पहल मधुमेह, कैंसर, हृदय रोग और दुर्लभ आनुवंशिक विकारों जैसे रोगों के शीघ्र निदान, लक्षित उपचार और बेहतर प्रबंधन में सहायक होगी।
फेनोम इंडिया परियोजना
- इसे फेनोम इंडिया–CSIR हेल्थ कोहोर्ट नॉलेजबेस (PI-CHeCK) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक प्रमुख पहल है, जिसकी शुरुआत वर्ष 2023 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य भारतीय जनसंख्या में गैर-संक्रामक (कार्डियो-मेटाबॉलिक) रोगों से जुड़े जोखिम कारकों का आकलन करना है।
- इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य भारतीय जनसंख्या के अनुरूप एक व्यापक फेनोम डेटाबेस विकसित करना है, जिससे पूर्वानुमानात्मक, व्यक्तिगत, भागीदारीपूर्ण और निवारक (P4) स्वास्थ्य सेवा मॉडल को बढ़ावा मिल सके।
- यह वैज्ञानिकों को भारतीय परिप्रेक्ष्य में रोगों के पैटर्न, जीन-पर्यावरण अन्योन्य क्रिया, तथा उपचार के प्रति प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद प्रदान करेगा।
स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ
- केंद्रीय मोटापे की उच्च व्यापकता: पिछले शोधों से यह पता चला है कि दिखने में दुबले-पतले लगने वाले भारतीयों की कमर के आसपास असमानुपातिक वसा जमा हो सकता है, जो इस बात को रेखांकित करता है कि जनसंख्या-विशिष्ट स्वास्थ्य रणनीतियाँ अपनाना अत्यंत आवश्यक है।
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR): जब बैक्टीरिया, वायरस, फफूंद और परजीवी जैसे सूक्ष्मजीव ऐसी प्रक्रियाएँ विकसित कर लेते हैं जो उन्हें उन दवाओं की उपस्थिति में भी जीवित रहने और बढ़ने में सक्षम बनाती हैं, जिनका उद्देश्य उन्हें नष्ट करना या उनकी वृद्धि को रोकना होता है तो उसे रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) कहते हैं।
- CRISPR अनुसंधान और AMR के विरुद्ध लड़ाई बायोटेक्नोलॉजी क्षेत्र में भारत के बढ़ते नेतृत्व को दर्शाती है। नेशनल बायोबैंक इन प्रयासों को एआई-आधारित निदान और जीन-आधारित उपचारों के लिए उच्च-रिज़ोल्यूशन डेटा प्रदान कर और अधिक सशक्त बनाएगा।
- केंद्रीय मंत्री ने अनुसंधान संस्थानों, जैव प्रौद्योगिकी विभाग जैसे सरकारी विभागों और उद्योग भागीदारों के बीच विशेष रूप से AMR और औषधि विकास जैसे क्षेत्रों में गहन सहयोग का आह्वान किया।
CSIR-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB)
- CSIR-IGIB, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) का एक प्रमुख संस्थान है, जो जीनोमिक्स, आणविक चिकित्सा, जैव-सूचनाविज्ञान और प्रोटीओमिक्स जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय महत्त्व के अनुसंधान में संलग्न है।
- यह भारत का पहला संस्थान है जिसने उस समय मानव जीनोम का डिकोडिंग शुरू किया, जब अनुक्रमण (sequencing) उपकरण व्यावहारिक रूप से अस्तित्व में नहीं थे।
- IGIB का अनुसंधान अब अंतरिक्ष जीवविज्ञान और भारतीय वायु सेना के सहयोग से एआई-आधारित पायलट फिटनेस मूल्यांकन जैसे क्षेत्रों तक विस्तारित हो गया है।
- उपलब्धियां:
- दुर्लभ विकारों के लिए 300 से अधिक आनुवंशिक निदान का विकास।
- COVID-19 जीनोम अनुक्रमण पर व्यापक कार्य।
- भारत की पहली औषधि जीनोम परियोजना का शुभारंभ।