संदर्भ: 

केंद्र सरकार ने तमिलनाडु को समग्र शिक्षा निधि प्रदान करने के लिए त्रि-भाषा नीति को लागू करना अनिवार्य कर दिया है।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • केंद्र ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के तहत त्रि-भाषा फार्मूले को अपनाने से इनकार करने पर समग्र शिक्षा योजना के तहत तमिलनाडु को दी जाने वाली 2,150 करोड़ रुपये की धनराशि रोक दी है।
  • 1960 के दशक से तमिलनाडु ने तमिल और अंग्रेजी अर्थात दो-भाषा नीति को अपनाया है और तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को लागू करने का विरोध किया है।

त्रि-भाषा फार्मूला (TLF) के बारे में

TLF का उद्देश्य स्कूलों में त्रि-भाषा फार्मूले को अनिवार्य रूप से शामिल करके बहुभाषिकता और राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करना है।

इस फार्मूले के तहत उनके शिक्षण कार्यक्रम के लिए भाषाओं का वर्गीकरण प्रदान किया गया है।

इस फॉर्मूले के अनुसार::

  • हिन्दी भाषी राज्य: हिन्दी, अंग्रेजी और एक आधुनिक भारतीय भाषा (अधिमानतः दक्षिण भारतीय भाषा)।
  • गैर-हिंदी भाषी राज्य: हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषा।

TLF की शुरुआत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1968) के तहत की गई थी, जो कोठारी आयोग (1966) की सिफारिशों पर आधारित थी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 के अंतर्गत TLF

  • लचीलापन: TLF को यथावत बनाए रखा गया है, लेकिन राज्यों को तीन भाषाओं का चयन करने की स्वतंत्रता दी गई है, बशर्ते उनमें से कम से कम दो भाषाएँ भारतीय मूल की हों। हिंदी को अनिवार्य नहीं किया गया है।
  • संस्कृत को बढ़ावा: इसमें तीन भाषाओं में से एक के रूप में संस्कृत को वैकल्पिक रूप से चुनने पर बल दिया गया है।
  • द्विभाषी शिक्षण: इसमें मातृभाषा/घरेलू भाषा और अंग्रेजी में शिक्षण को प्राथमिकता दी गई है।
  • आधारभूत शिक्षा: पूर्व की शिक्षा नीतियों में माध्यमिक स्तर पर विभिन्न भाषाओं को शामिल करने की सिफारिश की गई थी, जबकि NEP,2020 में इन भाषाओं को आधारभूत स्तर से ही सीखने पर बल दिया गया है।

हिंदी भाषा की वर्तमान स्थिति:

  • 2011 की भाषाई जनगणना में 121 मातृभाषाओं को शामिल किया गया है, जिनमें भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में सूचीबद्ध 22 भाषाएं शामिल हैं।
  • हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, जिसे 52.8 करोड़ (43.6%) लोग अपनी मातृभाषा मानते हैं। इसके बाद बंगाली है, जिसे 9.7 करोड़ लोग (8%) अपनी मातृभाषा के रूप में मानते हैं।
  • लगभग 13.9 करोड़ (11% से अधिक) लोगों ने हिंदी को अपनी दूसरी भाषा बताया, जिससे यह लगभग 55% आबादी की मातृभाषा या दूसरी भाषा बन गई।

TLF पर विवाद:

पक्षविपक्ष
राष्ट्रीय एकता को एक संपर्क भाषा के माध्यम से बढ़ावा देता है। गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने के एक पक्षपाती तरीके के रूप में आलोचना की गई है।
क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देता है।व्यवहार में, हिंदी के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की उपेक्षा होती है।
शिक्षा को आम जनता के लिए सुलभ बनाता है।गैर-हिंदी भाषियों के लिए नुकसान पहुँचाता है।
अध्ययन से पता चलता है कि स्थानीय भाषा में शिक्षा से सीखने के परिणाम बेहतर होते हैंकेंद्रीय विद्यालयों जैसी संस्थाओं में विशेष रूप से क्षेत्रीय भाषाओं के शिक्षकों की कमी,
संवैधानिक रूप से वैध है क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची में शामिल है।संघवाद के खिलाफ है क्योंकि यह राज्यों के अपनी शिक्षा नीतियाँ बनाने के अधिकार को कमजोर करता है।

आगे की राह:

  • रचनात्मक संवाद: TLF के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अंतर-राज्यीय परिषदों और मुख्यमंत्रियों के सम्मेलनों जैसे मंचों के माध्यम से केंद्र और राज्यों के बीच सक्रिय परामर्श और सहयोग की आवश्यकता है।
  • निधि वितरण: TLF पर असहमति को व्यापक शिक्षा कार्यक्रमों के लिए निधि वितरण में बाधा उत्पन्न करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि इससे स्कूल प्रबंधन, बुनियादी ढांचे और सुविधाओं के विकास और अंततः सीखने के परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  • क्षेत्रीय भाषाओं के लिए कार्य योजना: क्षेत्रीय भाषाओं को भविष्य के अवसरों से जोड़ा जाना चाहिए ताकि उनका प्रचार-प्रसार प्रभावी हो सके। प्रारंभिक प्रयास के रूप में, सरकार सरकारी संस्थाओं और न्यायालयों में इन भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दे सकती है।
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