संदर्भ:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि क्षेत्र में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के निर्माण हेतु डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी।

डिजिटल कृषि मिशन के विवरण

  • यह मिशन डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का निर्माण करके, डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES) का संचालन करके, तथा केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों और शैक्षणिक संस्थानों की सहायता से आईटी परियोजनाओं को आगे बढ़ाकर डिजिटल कृषि को सहायता देने की एक व्यापक योजना है। 
  • डिजिटल कृषि मिशन, आधार, डिजीलॉकर, ईसाइन (eSign), यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड जैसे अन्य क्षेत्रों में सरकार की सफल प्रमुख ई-शासन पहलों के समान है।
  • इसका उद्देश्य कृषि पद्धतियों और उत्पादकता को सहायता देने और बेहतर बनाने के लिए एक व्यापक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है। 

डिजिटल कृषि

  • इसमें खेती और कृषि गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कंप्यूटर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग करना शामिल है।
  • उन्नत प्रौद्योगिकियों को एकीकृत प्रणाली में एकीकृत करके, डिजिटल कृषि, किसानों और कृषि मूल्य श्रृंखला में अन्य हितधारकों को खाद्य उत्पादन और दक्षता को बढ़ावा देने में मदद करती है।
  • इसे अगले दो वर्षों में, अर्थात वर्ष 2025-26 तक, पूरे देश में लागू किया जाएगा।
  • इसमें डिजिटल जनरल क्रॉप एस्टीमेशन सर्वे (DGCES) शामिल होगा, जो कृषि उत्पादन का सटीक अनुमान प्रदान करने के लिए एक तकनीक-आधारित प्रणाली है।

डिजिटल कृषि मिशन के तीन स्तंभ

एग्री स्टैक: इसमें किसानों की रजिस्ट्री, भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र और फसल बोई गई रजिस्ट्री शामिल है।

  • किसानों की रजिस्ट्री: यह किसानों को भूमि, पशुधन, फसलों और लाभों से जुड़ी डिजिटल पहचान प्रदान करती है। प्रारंभिक कार्य आरंभ किए जा चुके हैं, जिसमें वर्ष 2026-27 तक 11 करोड़ किसानों को शामिल करने की योजना है।
  • फसल बोई गई रजिस्ट्री: डिजिटल फसल सर्वेक्षण के माध्यम से बोई गई फसलों पर नज़र रखी जाती है। अगले दो वर्षों में एक राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण शुरू किया जाएगा।
  • भू-संदर्भित ग्राम मानचित्र: यह भू-अभिलेखों को भौगोलिक स्थानों से जोड़ता है।

कृषि-निर्णय सहायता प्रणाली (DSS):

  • यह फसलों, मिट्टी, मौसम और जल संसाधनों पर डेटा को एकीकृत करने वाली भू-स्थानिक प्रणाली बनाता है।
  • यह फसल मानचित्रण, सूखा/बाढ़ निगरानी तथा फसल बीमा के लिए उपज मूल्यांकन में सहायता करता है।

मृदा प्रोफ़ाइल मानचित्र:

  • इसमें लगभग 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि का विस्तृत मृदा प्रोफ़ाइल मानचित्र (1:10,000 पैमाने पर) तैयार किए जाने की परिकल्पना की गई है।
  • इसके तहत 29 मिलियन हेक्टेयर की मृदा प्रोफ़ाइल सूची पहले ही पूरी हो चुकी है।

डिजिटल कृषि मिशन का प्रभाव

  • रोजगार सृजन: यह डिजिटल फसल सर्वेक्षण और डेटा संग्रहण के माध्यम से स्थानीय युवाओं और “कृषि सखियों” के लिए लगभग 2.5 लाख रोजगार सृजित करेगा।
  • उन्नत फसल अनुमान: इससे डिजिटल सर्वेक्षण और रिमोट सेंसिंग से प्राप्त उन्नत डेटा से फसल उत्पादन अनुमान परिष्कृत होंगे, विविधीकरण को सहायता मिलेगी और सिंचाई को अनुकूलित किया जा सकेगा।
  • उन्नत निर्णय समर्थन: यह कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली फसल स्वरूप, सूखा, बाढ़ और उपज आंकलन की निगरानी करने तथा मूल्य श्रृंखलाओं और सलाहकार सेवाओं में सुधार करने में मदद करेगी।
  • कृषि प्रौद्योगिकी को बढ़ावा: इससे भारत के कृषि प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे वर्ष 2025 तक अनुमानित 25 बिलियन डॉलर का बाजार विकसित हो जाएगा।
  • बढ़ी हुई दक्षता और पारदर्शिता: विश्वसनीय आंकड़े न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) खरीद, फसल बीमा और क्रेडिट कार्ड से जुड़े ऋण जैसी सरकारी सेवाओं को सुव्यवस्थित करेंगे तथा संतुलित उर्वरक उपयोग में सहायता मिलेगी। 

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