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सामान्य अध्ययन 3: आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर के क्षेत्र में जागरूकता

संदर्भ:

हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि जीपीएस सिग्नल बिना किसी प्रत्यक्ष भौतिक हमले के दूर से भी बाधित हो सकते हैं, जिससे सैन्य और नागरिक परिवहन प्रणालियों दोनों पर प्रभाव पड़ सकता है।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • पिछले हफ़्ते दिल्ली-जम्मू की एक फ्लाइट को वापस लौटना पड़ा। इस माह की शुरुआत में ही होर्मुज जलडमरूमध्य में दो टैंकर आपस में टकरा गए जबकि मई में जेद्दा बंदरगाह के पास एक जहाज फँस गया था।
  • इन सभी घटनाओं में एक बात समान थी: जीपीएस इंटरफेरेंस, जो हाल ही में जहाजों और विमानों के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है।

जीपीएस इंटरफेरेंस के बारे में

  • जीपीएस इंटरफेरेंसका मतलब है नेविगेशन सिस्टम को भ्रमित करने के लिए जीपीएस सिग्नल पर हमला करना। यह मुख्य रूप से दो तरीकों से किया जाता है: स्पूफिंग और जैमिंग। ये दोनों ही साइबर हमलों के प्रकार हैं।
  • स्पूफिंग (Spoofing) जीपीएस सिस्टम को गलत सिग्नल भेजकर भ्रमित करता है। जैमिंग (Jamming) सिग्नल को पूरी तरह से ब्लॉक कर देता है जिससे जीपीएस काम करना बंद कर देता है।
  • हालाँकि इन दोनों शब्दों का प्रायः एक साथ उपयोग किया जाता है तथापि स्पूफिंग और जैमिंग इंटरफेरेंस में कुछ भिन्नता है।

जीपीएस जैमिंग

  • जीपीएस जैमिंग, जिसे जीपीएस इंटफेरेंस भी कहा जाता है, जीपीएस आवृत्तियों पर मजबूत/प्रबल रेडियो सिग्नल भेजने के लिए एक उपकरण (जैमर) का उपयोग करता है।
  • यह कमजोर उपग्रह संकेतों को दबा देता है, जिससे जीपीएस सिस्टम स्थान या समय का सटीक पता नहीं लगा पाता है।

जीपीएस स्पूफिंग

  • जीपीएस स्पूफिंग तब होती है जब कोई डिवाइस जीपीएस सैटेलाइट के समान आवृत्तियों पर सिग्नल भेजता है। यह वास्तविक सिग्नल को ब्लॉक या ओवरपावर करके जीपीएस रिसीवर को भ्रमित करता है।
  • जैमिंग के विपरीत, जो केवल जीपीएस को ब्लॉक करता है, स्पूफिंग रिसीवर को गलत स्थान या समय डेटा दिखाने के लिए प्रेरित करता है।

जीपीएस इंटरफेरेंस के परिणाम

  • जीपीएस इंटरफेरेंस सैन्य और नागरिक परिवहन दोनों को प्रभावित कर सकता है, क्योंकि यह बिना किसी प्रत्यक्ष भौतिक हमले या संपर्क के, दूर से नेविगेशन सिस्टम को बाधित कर सकता है।
  • स्पूफिंग पायलटों को उनके विमान के स्थान के बारे में गुमराह कर सकती है, जिससे दुर्घटना का जोखिम बढ़ जाता है।
  • जहाजों के लिए, यह जमीन पर उतरने या टकराव का कारण बन सकता है, जिससे समुद्री यातायात बाधित हो सकता है और जान-माल के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।
  • 2024 में प्रकाशित रिपोर्ट्स से पता चला है कि दुनिया भर में जीपीएस स्पूफिंग प्रतिदिन 700 बार तक हो रही थी, जो दर्शाता है कि यह खतरा कितना व्यापक और भयावह हो गया है।
  • एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल, पोर्ट ऑपरेशन और वेसल ट्रैफ़िक सर्विसेज़ (VTS) जैसी महत्वपूर्ण प्रणालियों के लिए, स्पूफिंग से सिस्टम में खामियाँ या सकती हैं।
  • जीपीएस इंटरफेरेंस केवल वायु और समुद्री यातायात को ही प्रभावित नहीं करता। सड़क यात्रा के लिए जीपीएस पर निर्भर रहने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि के साथ ही स्पूफिंग ट्रैफ़िक जाम का कारण बन सकती है और परिवहन प्रणालियों को रोक सकती है, विशेषकर तब जब यह आपातकालीन स्थिति के दौरान या हानि पहुँचाने की मंशा से किया जाता है।

न्यूनीकरण रणनीतियाँ

  • जड़त्वीय नैविगेशन प्रणाली (INS): विमान INS पर निर्भर होते हैं, जो अंतिम ज्ञात स्थान के आधार पर वर्तमान स्थिति पर नज़र रखने के लिए घूर्णदर्शी (जाइरोस्कोप) और त्वरणमापी (एक्सेलेरोमीटर) का उपयोग करते हैं।
  • सतह-आधारित रेडियो नेविगेशन: वीएचएफ सर्वदिशात्मक रेंज (VHF Omnidirectional Range) और दूरी मापक उपकरण (DME) पायलटों को सतह -आधारित संकेतों का उपयोग करके अपनी स्थिति की जांच करने की अनुमति देते हैं।
  • आकाशीय नेविगेशन और डेड रेकनिंग: चरम मामलों में, पायलट अपनी स्थिति का अनुमान लगाने के लिए आकाशीय नेविगेशन या डेड रेकनिंग (Dead Reckoning) का उपयोग कर सकते हैं, हालांकि आधुनिक विमानन में ये आम बात नहीं है।
  • इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS): सटीक लैंडिंग के लिए उपयोग किया जाने वाला आईएलएस, जीपीएस स्पूफिंग से अप्रभावित रहता है और विश्वसनीय लैंडिंग सहायता प्रदान करता है।
  • उन्नत चालक दल प्रशिक्षण (ECT): DGCA ने बेहतर चालक दल प्रशिक्षण पर जोर दिया है। पायलटों को नियंत्रण कक्ष में असामान्य बातचीत सुनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है ताकि संभावित स्पूफिंग का पता लगाया जा सके।
  • मैनुअल हेल्म कंट्रोल (समुद्री): संदिग्ध स्पूफिंग के दौरान, जहाज लाइटहाउस और रडार जैसे स्थलीय नेविगेशन सहायता का उपयोग करके ऑटो-पायलट से मैनुअल हेल्म नियंत्रण (manual helm control) में स्थानांतरित हो जाते हैं।
  • बहु-तारामंडल जीएनएसएस प्रणाली: जहाज जीपीएस, ग्लोनास, गैलीलियो और बेइडू (BeiDou) तक पहुंचने के लिए बहु-तारामंडल जीएनएसएस रिसीवर का उपयोग कर रहे हैं, जिससे किसी भी एकल प्रणाली पर निर्भरता कम हो रही है।
  • NavIC (भारत) का उपयोग: भारतीय सेना ने पूरे भारत में और 1,500 किलोमीटर तक सटीक स्थिति और समय प्रदान करने के लिए इसरो द्वारा विकसित NavIC को तैनात किया है।
  • नेविगेशन प्रणालियों का विविधीकरण: जीपीएस इंटरफेरेंस के जोखिम को कम करने के लिए विविधीकरण को एक मुख्य रणनीति के रूप में देखा जाता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

जीपीएस स्पूफिंग और जैमिंग की बढ़ती घटनाओं के साथ, नैविगेशन आधारित व्यवधान असैन्य और सैन्य अवसंरचना के लिए गंभीर खतरा बनते हैं| जीपीएस इंटरफेरेंस के प्रभावों की व्याख्या कीजिए और भारत की तैयारियों के संदर्भ में न्यूनीकरण रणनीतियाँ सुझाइए| (15अंक , 250शब्द)

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