संदर्भ:
हाल ही में , केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के उल्लंघन के लिए जांच करने और दंड लगाने हेतु नए नियम अधिसूचित किए।
नियमों की मुख्य विशेषताएं
ये नियम इस वर्ष के प्रारंभ में जल अधिनियम में किए गए संशोधनों के संदर्भ में आए हैं, जिसमें अधिनियम के उल्लंघन को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था तथा उनके स्थान पर दंड का प्रावधान किया गया था।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने अधिसूचित नियमों में गैर-प्रदूषणकारी ‘श्वेत’ श्रेणी के उद्योगों को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से स्थापना हेतु सहमति (CTE) और संचालन हेतु सहमति (CTO) प्राप्त करने से छूट दी है।
2016 से पूर्व लाल, नारंगी, हरा श्रेणियां मौजूद थीं । वर्ष 2016 में सफेद श्रेणी उन इकाइयों के लिए जोड़ी गई जो न्यूनतम प्रदूषणकारी या गैर-प्रदूषणकारी हैं।
इन नियमों के तहत केंद्र को अपराधों, उल्लंघनों पर निर्णय तथा दंड निर्धारित करने के लिए ‘ प्राधिकृत अधिकारी’ नियुक्त करने की भी अनुमति दी गई थी।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण समितियां और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालय अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में अपने प्राधिकृत अधिकारियों या किसी अन्य व्यक्ति के माध्यम से अधिनियम की धारा 41, 41ए, 42, 43, 44, 45ए और 48 के तहत किए गए किसी भी उल्लंघन के संबंध में निर्णायक अधिकारी को शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- उपरोक्त धाराएं औद्योगिक अपशिष्टों और प्रदूषकों को छोड़ने के मानदंडों के उल्लंघन से संबंधित हैं।
इन परिवर्तनों का उद्देश्य जल प्रदूषण कानूनों आसान बनाना तथा मामूली उल्लंघनों के लिए आपराधिक दंड के स्थान पर जुर्माने का प्रावधान करना है।
जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974
- इसे 1974 में जल प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रणतथा देश में जल की स्वच्छता को बनाए रखने के लिए अधिनियमित किया गया था।
- यह अधिनियम जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB और SPCBs ) की स्थापना करता है।
- जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) उपकर अधिनियम 1977 में लागू किया गया था, जिसका उद्देश्य कुछ विशेष प्रकार की औद्योगिक गतिविधियों को संचालित करने वाले व्यक्तियों द्वारा उपभोग किए जाने वाले जल पर उपकर लगाने और संग्रहण का प्रावधान करना था।
- इस अधिनियम में 1988 और 2003 में संशोधन किया गया तथा हाल ही में संसद ने जल (प्रदूषण की रोकथाम एवं नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 पारित किया।
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 प्रारंभ में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान (दोनों ने अधिनियम में संशोधन के लिए प्रस्ताव पारित किया) और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा।