छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती 2025: इतिहास, महत्व और उत्सवों के बारे में जानें
शिवाजी के बारे में:
जन्म और प्रारंभिक जीवन:19 फरवरी, 1630 को पुणे (अब महाराष्ट्र, भारत में) के पास शिवनेरी किले में जन्मे।
मराठा साम्राज्य के संस्थापक:मराठा साम्राज्य की स्थापना की, जो मुगल साम्राज्य का विरोध करने वाली एक शक्तिशाली ताकत बन गई।
मुगलों का विरोध: मुगल वंश और उसकी विस्तारवादी नीतियों के लगातार विरोध के लिए जाने जाते हैं।
प्रमुख सैन्य और रणनीतिक कौशल:गुरिल्ला रणनीति (बादशाह औरंगजेब ने “पहाड़ का चूहा” की संज्ञा दी थी ) और किलेबंदी के उपयोग पर जोर दिया, एक सुव्यवस्थित और कुशल सेना बनाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने एक आत्मनिर्भर नौसेना बल के लिए एक मार्ग तैयार किया, जिससे उन्हें ‘भारतीय नौसेना के पिता‘ की उपाधि मिली।
समावेशी शासन: ब्राह्मण, मराठा और प्रभुओं को प्रशासनिक और सैन्य संरचनाओं में एकीकृत किया गया, जिससे विविध समूहों के बीच एकता को बढ़ावा मिला।
राज्याभिषेक: 1674 में मराठा साम्राज्य के छत्रपति (राजा) के रूप में ताज पहनाया गया, जो उनके शासन की औपचारिक स्थापना को चिह्नित करता है।
नेतृत्व और विरासत: उनके नेतृत्व, सैन्य कौशल और एक स्वतंत्र, संप्रभु राज्य की दृष्टि के लिए व्यापक रूप से सम्मानित।
मृत्यु: 3 अप्रैल, 1680 को रायगढ़ किले में, एक विरासत को पीछे छोड़ते हुए जिसने मराठा शासकों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित किया।
प्रशासन
आठ मंत्रियों की परिषद: अष्टप्रधान
पेशवा (प्रधान मंत्री): समग्र प्रशासन के प्रभारी, युद्ध में नेतृत्व करते थे, और नए अधिग्रहीत क्षेत्रों का प्रबंधन करते थे। उनकी मुहर राज्य के दस्तावेजों पर दिखाई देती थी।
अमात्य (वित्त मंत्री): सार्वजनिक वित्त का प्रबंधन करते थे, आय/व्यय की जाँच करते थे, और राजा को रिपोर्ट करते थे।
मंत्री (राजनीतिक सचिव): शाही गतिविधियों का दैनिक रिकॉर्ड रखता था, निमंत्रण, भोजन और खुफिया जानकारी की देखरेख करता था और युद्धों में सेवा करता था।
सचिव (अधीक्षक): शाही पत्रों का मसौदा तैयार करता था और क्षेत्रों के खातों की जाँच करता था।
सुमंत (विदेश सचिव): विदेशी संबंधों पर सलाह देता था, विदेशी दूतों का स्वागत करता था और विदेश में राज्य की गरिमा बनाए रखता था।
सेनापति (कमांडर-इन-चीफ): सेना का प्रबंधन करता था, सैन्य अभियानों का नेतृत्व करता था और सेना की ज़रूरतों पर रिपोर्ट करता था।
पंडित राव (धर्माध्यक्ष): ब्राह्मणों का सम्मान करता था, धार्मिक मामलों पर फैसला करता था और नैतिक मानकों को बनाए रखता था।
न्यायधीश (मुख्य न्यायाधीश): हिंदू कानून के आधार पर दीवानी और आपराधिक मामलों की अध्यक्षता करता था, जिसमें भूमि और गाँव के विवादों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था।
विकेंद्रीकृत शासन
शिवाजी ने स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने में सशक्त बनाने के लिए “स्वराज्य” या स्व-शासन की अवधारणा स्थापित की।
ग्राम पंचायतें दिन-प्रतिदिन का प्रशासन चलाती थीं और गाँव के पटेल आपराधिक मामलों का फैसला करते थे।
प्रमुख युद्ध:
उन्होंने 1645 में बीजापुर सल्तनत के खिलाफ अपना अभियान शुरू किया, 1646 में मात्र 16 वर्ष की आयु में तोरणा किले पर कब्जा कर लिया।