संदर्भ:
हाल ही में, चीन के “कृत्रिम सूर्य” EAST (एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामाक) ने 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस ताप पर 1000 सेकंड से अधिक समय तक प्लाज्मा को स्थिर बनाए रखते हुए एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है।
अन्य संबंधित जानकारी:
- यह महत्वपूर्ण उपलब्धि चीनी विज्ञान अकादमी के प्लाज्मा भौतिकी संस्थान (ASIPP) के वैज्ञानिकों द्वारा हासिल की गई।
- इससे पहले इस परियोजना का पिछला रिकॉर्ड 403 सेकंड का था।
EAST (एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग टोकामाक):
EAST चीन के अनहुई प्रांत के हेफ़ेई में स्थित है और प्रायोगिक संलयन अनुसंधान सुविधाओं की एक नई पीढ़ी वर्तमान में निर्माणाधीन है।
EAST वर्ष 2006 से चीनी और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों द्वारा संलयन प्रयोगों के लिए एक मंच के रूप में कार्य कर रहा है।
- EAST विश्व के प्रमुख परमाणु संलयन रिएक्टरों में से एक है, हालांकि वर्तमान में सभी संलयन रिएक्टर उत्पादन की तुलना में अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं।
EAST परियोजना का उद्देश्य संलयन ऊर्जा के विकास और अनुप्रयोग को और अधिक तीव्र करना है।
यह उच्च-परिसीमन मोड (H-मोड) संचालन में अपेक्षित से कहीं बेहतर परिणाम प्राप्त कर रहा है, जिसे भविष्य के प्रायोगिक संलयन रिएक्टरों के लिए महत्वपूर्ण स्थिति माना जाता है, क्योंकि यह लंबे समय तक स्थिर और उच्च घनत्व वाले प्लाज्मा को बनाए रखने में सक्षम है।
इस प्रयोग में EAST द्वारा एकत्रित डेटा से चीन और विश्वभर के अन्य संलयन रिएक्टरों में सुधार होगा।
चीन अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया और रूस जैसे देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय ITER संलयन प्रोग्राम का हिस्सा है।
ITER:
ITER में यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देश, चीन, भारत, जापान, कोरिया, रूस और अमेरिका शामिल हैं।
- स्विट्जरलैंड ने घोषणा की है कि वह 2026 में ITER में पुनः शामिल हो जाएगा। ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन इस परियोजना से बाहर रहेगा।
विश्व स्तर पर कई अन्य छोटे संलयन प्रयोग चल रहे हैं, उनमें से अधिकांश ITER संगठन के साथ समन्वय, सहयोग या सहभागिता कर रहे हैं।
ITER की विशाल निर्माण परियोजना दक्षिणी फ्रांस के सेंट पॉल-लेज़-ड्यूरेंस में चल रही है।
भारत 2005 में आधिकारिक तौर पर ITER में शामिल हुआ।
2035 में यह परिचालन में आने के बाद संलयन ऊर्जा उत्पादन के लिए चुंबकीय परिरोध का परीक्षण करने वाला सबसे बड़ा टोकामाक उपकरण होगा।
ITER का लक्ष्य विद्युत संयंत्र स्तर पर संलयन ऊर्जा उत्पादन प्राप्त करना, संलयन विज्ञान में नई उपलब्धियाँ हासिल करना और संलयन रिएक्टर प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना है।
संलयन ऊर्जा रिएक्टरों का महत्व:
- संलयन ऊर्जा अत्यंत दक्ष मानी जाती है, क्योंकि केवल 1 ग्राम ईंधन से उतनी ही ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है, जितनी कि 8 टन कोयले को जलाने से प्राप्त होती है।
- संलयन में हाइड्रोजन के दो समस्थानिकों ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का उपयोग किया जाता है, जो प्रकृति में व्यापक रूप से उपलब्ध हैं। इससे ऊर्जा उत्पादन के लिए ईंधन की लगभग असीमित आपूर्ति संभव हो जाती है।
- परमाणु विखंडन के विपरीत, संलयन ऊर्जा उत्पादन में खतरनाक और दीर्घकालिक परमाणु अपशिष्ट उत्पन्न नहीं होता, जिससे यह अधिक सुरक्षित ऊर्जा स्रोत बन जाता है।
- यदि संलयन ऊर्जा व्यावहारिक हो जाती है, तो यह दीर्घकालिक रूप से स्वच्छ, शून्य-कार्बन उत्सर्जन और सतत ऊर्जा स्रोत के रूप में जलवायु संकट के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
परमाणु संलयन और विखंडन:
परमाणु संलयन | परमाणु विखंडन |
एक बड़े (भारी) परमाणु का नाभिक, छोटे नाभिकों में विखंडित होता है। | छोटे नाभिक आपस में मिलकर एक बड़ा (भारी) नाभिक बनाते हैं। |
नाभिकीय अभिक्रिया प्राकृतिक रूप से नहीं होती। | यह प्रक्रिया सूर्य एवं अन्य तारों में पायी जाती है। |
इस प्रक्रिया में ऊर्जा मुक्त होती है। | इस प्रक्रिया के लिए उच्च मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है। |