संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन 2: विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का भारत के हितों, भारतीय प्रवासियों पर प्रभाव।
संदर्भ:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में भारत द्वारा विकसित ईरान के चाबहार बंदरगाह के लिए प्रतिबंधों में छूट वापस ले ली है इसी के साथ ट्रम्प प्रशासन के प्रारंभिक कार्यकाल (2017-2021) के दौरान 2018 में पहली बार दी गई छूट समाप्त हो गई है।
अन्य संबंधित जानकारी
- ईरान स्वतंत्रता एवं प्रसार-रोधी अधिनियम (IFCA) के तहत जारी छूट से भारत और अन्य देशों को अमेरिकी दंड का सामना किए बिना बंदरगाह पर काम जारी रखने की अनुमति मिल गई थी।
वापसी के पीछे के कारण
- ईरानी शासन को अलग-थलग करने के उद्देश्य से राष्ट्रपति ट्रम्प की अधिकतम दबाव नीति के अनुरूप, विदेश मंत्री ने प्रतिबंधों में छूट को रद्द कर दिया है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका का तर्क है कि परिस्थितियाँ बदल गई हैं, 2021 में तालिबान द्वारा अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने और इस बात की चिंता का हवाला देते हुए कि ईरान अपने राजस्व को वाशिंगटन द्वारा आपत्तिजनक मानी जाने वाली गतिविधियों में लगा सकता है।
भारत पर प्रभाव
- अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक रणनीतिक पहुंच: यह बंदरगाह भारत का अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँच का प्रमुख माध्यम है, जो पाकिस्तान को बायपास करता है। यदि इस पहुँच को खो दिया गया या खतरे में डाल दिया गया, तो इन क्षेत्रों में भारत की प्रभावशीलता और संपर्क क्षमताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- आर्थिक और निवेश जोखिम: भारत ने इस बंदरगाह की अवसंरचना में महत्वपूर्ण निवेश किया है। संचालन के रुकने या संभावित प्रतिबंधों के कारण इन निवेशों को खतरा उत्पन्न हो सकता है, जिससे आर्थिक क्षति की आशंका है।
- चीन के प्रभाव का संतुलन: चाबहार बंदरगाह पाकिस्तान में स्थित चीन के ग्वादर बंदरगाह के प्रभाव को संतुलित करता है। यदि अमेरिका की नीतियाँ भारत की भूमिका को कमजोर करती हैं, तो क्षेत्र में चीन का वर्चस्व और बढ़ सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार संपर्क पर प्रभाव: भारत-यूरोप व्यापार के लिए महत्वपूर्ण “अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा” (INSTC) चाबहार बंदरगाह पर निर्भर है। प्रतिबंध इस गलियारे को बाधित कर सकते हैं, जिससे भारत की व्यापक आर्थिक आकांक्षाओं को नुकसान हो सकता है।
- कूटनीतिक दबाव: यह स्थिति भारत को एक जटिल परिस्थिति में डालती है, जिसमें उसे अमेरिका के साथ अपने रणनीतिक संबंधों और ईरान के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों के बीच संतुलन बनाना पड़ता है।
चाबहार बंदरगाह
- यह एक समुद्री बंदरगाह है, जो दक्षिण-पूर्वी ईरान के चाबहार नगर में, ओमान की खाड़ी के तट पर स्थित है।
- यह ईरान का एकमात्र महासागरीय (Oceanic) बंदरगाह है, जिसमें दो अलग-अलग हिस्से हैं — शहीद कलांतरी और शहीद बेहेश्ती — तथा प्रत्येक खंड में पाँच-पाँच बर्थ (जहाज़ों के रुकने के स्थान) हैं।
- इसे प्रायः “गोल्डन गेट” कहा जाता है, क्योंकि यह स्थलाकृतिक रूप से घिरे (landlocked) अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों को समुद्री मार्ग से जोड़ने का एकमात्र रणनीतिक द्वार है।
- यह पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से मात्र 170 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
Sources:
Explainers
The Hindu
New Sonair