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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र: 3 पर्यावरण
संदर्भ: – बढ़ती जलवायु चिंताओं और प्रदूषण को कम करने के विश्वव्यापी लक्ष्यों के कारण ग्लोबल शिपिंग, 2040-2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन में बड़ी कटौती करने की योजना बना रही है।
मुख्य बिंदु
- यह भारत के लिए एक बड़ा अवसर है। अधिकांश मालवाहक जहाज वर्तमान में बहुत कम सल्फर ईंधन तेल (VLSFO), डीजल और तरलीकृत मीथेन जैसे ईंधन का उपयोग करते हैं।
- LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) इंजन वाले जहाज अधिक कुशल होते हैं और 2040 तक नेट जीरो (शुद्ध शून्य) उत्सर्जन तक पहुँचने के लिए हरित अमोनिया, हरित मेथनॉल और जैव ईंधन जैसे स्वच्छ ईंधन अपनाए जाने तक एक अस्थायी समाधान के रूप में कार्य कर सकते हैं।
शिपिंग उद्योग के लिए आदर्श ईंधन
- नई तकनीक अपनाने में शिपिंग उद्योग की गति धीमी है।
- चूँकि अमोनिया इंजन अभी भी नए हैं, इसलिए जहाज़ पहले हरित मेथनॉल का उपयोग कर रहे हैं, जो पारंपरिक ईंधन की तुलना में लगभग 10% कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है।
- बाद में, वे हरित अमोनिया का उपयोग कर सकते हैं, जिससे कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं होता।
- हालाँकि, अमोनिया का उपयोग करना अधिक कठिन है और इसके लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है।
- हरित मेथनॉल का उपयोग करना अपेक्षाकृत आसान है। यह पारंपरिक ईंधन (VLSFO) का स्थान ले सकता है और अमोनिया या LNG के विपरीत इसे कमरे के तापमान पर तरल रूप में भंडारित किया जा सकता है।
- पहले से ही, 360 से अधिक मेथनॉल-चालित जहाज चल रहे हैं या उनके ऑर्डर दिए जा चुके हैं।
- फरवरी में, सिंगापुर में 100% टिकाऊ ई-मेथनॉल की लागत लगभग 1,950 डॉलर प्रति टन थी, जबकि VLSFO की लागत लगभग 560 डॉलर प्रति टन थी।
- इसकी उच्च लागत का कारण नवीकरणीय बिजली (प्रति टन मेथनॉल से 10-11 मेगावाट घंटा बिजली) की कीमत और इसे बनाने के लिए आवश्यक महंगे इलेक्ट्रोलाइज़र संयंत्र हैं।
- 2028 तक, हरित मेथनॉल की मांग 14 मिलियन टन तक पहुँच सकती है, लेकिन इसकी आपूर्ति केवल 11 मिलियन टन के आसपास रहने की अपेक्षा है, जिससे कीमतें और भी अधिक बढ़ सकती हैं।
शिपिंग के डीकार्बोनाइजेशन में भारत की भूमिका

- भारत, हरित ईंधन का उपयोग करके और तूतीकोरिन तथा कांडला जैसे बंदरगाहों पर ईंधन आपूर्ति केंद्र स्थापित करके अपने नौवहन क्षेत्र में प्रदूषण कम करने की योजना बना रहा है।
- इसका उद्देश्य सिंगापुर को हरित ईंधन का उत्पादन और निर्यात करना भी है। सिंगापुर वैश्विक जहाजों में ईंधन भरने का एक प्रमुख केंद्र है।
- अपने विशाल भू-भाग और सौर ऊर्जा विशेषज्ञता के साथ, भारत में ग्लोबल शिपिंग के लिए हरित ईंधन का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनने की क्षमता है।
- बंदरगाह मंत्रालय ने हरित बंदरगाह संचालन, स्वच्छ ईंधन, जहाजों के लिए तटीय बिजली और अपशिष्ट प्रबंधन के उद्देश्य से हेरिटेज सागर दिशानिर्देश 2023 जारी किया।
- कम कार्बन वाले नौवहन मार्गों का समर्थन करने के लिए IMO की GreenVoyage2050 परियोजना के साथ साझेदारी।
- भारत ने मुंबई में ग्रीन शिपिंग कॉन्क्लेव 2025 की मेजबानी की, जिससे नौवहन उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक प्रयासों में भारत की सशक्त भूमिका परिलक्षित हुई।
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत भारत को हरित हाइड्रोजन उत्पादन में वैश्विक दिग्गज बनाने की योजना है। हरित हाइड्रोजन, शिपिंग के लिए प्रमुख स्वच्छ ईंधन है। यह हरित अमोनिया और मेथनॉल बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत ने IMO उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हरित बुनियादी ढांचे, आधुनिक जहाजों और स्वच्छ ईंधन में निवेश करने हेतु वित्त वर्ष 26 के लिए ₹25,000 करोड़ का समुद्री विकास कोष (Maritime Development Fund ) स्थापित किया है।
- मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 जैसी नीतियाँ भी शिपिंग उत्सर्जन को कम करने के वैश्विक लक्ष्यों का समर्थन करती हैं।
आगे की राह

- भारत को अपने मजबूत सौर ऊर्जा संसाधनों का उपयोग करके हरित हाइड्रोजन उत्पादन केंद्र बनाने चाहिए।
- औद्योगिक CO₂ से हरित मेथनॉल बनाने के लिए कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) तकनीकों का विस्तार करने की भी आवश्यकता है।
- सरकार को निवेश जोखिम कम करने और हरित मेथनॉल उत्पादन को किफायती बनाने के लिए सॉवरेन गारंटी जैसी नीतिगत और वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए।
- PLI योजनाएँ इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू विनिर्माण को समर्थन दे सकती हैं और मज़बूत हरित ईंधन आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद कर सकती हैं।
- भारत अपने शिपयार्डों में हरित ईंधन का उपयोग करने वाले जहाज बनाने के लिए प्रोत्साहन देकर अपने शिपिंग उद्योग को मजबूत कर सकता है।
- 110 से अधिक जहाज खरीदने और उनमें से 10-20% को हरित ईंधन के लिए तैयार करने के लिए 10 बिलियन डॉलर का बजट लागत कम करेगा और वैश्विक जहाज निर्माता कंपनियों को आकर्षित करेगा।
- भारत को हरित नौवहन प्रौद्योगिकियाँ प्राप्त करने के लिए दक्षिण कोरिया और जापान के साथ मिलकर काम करना चाहिए और अपने हरित ईंधन निर्यात को बढ़ाने के लिए सिंगापुर जैसे देशों के साथ साझेदारी करनी चाहिए।
- हरित नौवहन गलियारे (जैसे, भारत-श्रीलंका-सिंगापुर मार्ग) बनाना।
- ईंधन के उपयोग को 5-10% तक कम करने के लिए AI-आधारित मार्ग इष्टतमीकरण और इंजन प्रदर्शन विश्लेषण को बढ़ावा दें।
