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सामान्य अध्ययन-2: शासन प्रणाली और शासन व्यवस्था
संदर्भ:
हाल ही में, गुजरात सरकार ने राज्य के 17 जिलों के 20 जनजातीय समूहों का आनुवंशिक डेटाबेस बनाने के लिए जीनोम अनुक्रमण परियोजना शुरू की।
अन्य संबंधित जानकारी:
यह परियोजना, हाल ही में पूर्ण हुई जीनोम इंडिया परियोजना (GIP) का एक स्थानीय विस्तार है, जिसे आगामी पाँच वर्षों में क्रियान्वित किया जाएगा।
- जनवरी माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गई ‘जीनोम इंडिया परियोजना’ (GIP) की रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के तहत 83 विविध समूहों से 10,000 जीनोम का विश्लेषण किया गया, जिन्हें भारतीय जैविक डाटा केंद्र में संग्रहीत किया गया है।
गुजरात का सम्पूर्ण पूर्वी क्षेत्र अधिकांशतः जनजाति आबादी वाला क्षेत्र है तथा इसकी सीमाएँ राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से लगती हैं।
गुजरात से लगभग 1,800 नमूने प्राप्त हुए, लेकिन उनमें से केवल 100 ही जनजाति समुदायों से थे, जो उनका पूर्ण प्रतिनिधित्व करने के लिए अपर्याप्त है।
इस समस्या के समाधान के लिए, ‘गुजरात जनजातीय जीनोम अनुक्रमण परियोजना’ का उद्देश्य राज्य की जनजाति जनसंख्या की आनुवंशिक संरचना को समझना है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 15%—यानी करीब 1 करोड़—है।
यह परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर ‘जीनोम इंडिया डेटासेट’ को अधिक सटीक और समावेशी जनजाति आंकड़ों के माध्यम से सशक्त बनाने में भी सहायक होगी।
गुजरात की जनजाति जनसंख्या के लिए संदर्भ जीनोम डाटाबेस के निर्माण की योजना को वित्तीय वर्ष 2025–26 के बजट में स्वीकृति दी गई है, और इसे गुजरात जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र (GBRC) द्वारा संचालित किया जाएगा।
कार्यप्रणाली के बारे में
प्रारंभिक प्रक्रिया
इस परियोजना के अंतर्गत वैज्ञानिक गुजरात के विभिन्न जनजातीय समुदायों के 4,158 व्यक्तियों से नमूने एकत्र करेंगे ।
वे शारीरिक माप, रक्त जैव रसायन (ब्लड बायोकैमिस्ट्री) भी दर्ज करेंगे और लगभग 2,000 जनजातीय जीनोम की एक विविध आनुवंशिक डेटाबेस तैयार करेंगे।
एक अधिकारी ने बताया कि वे इन नमूनों की जीनोटाइपिंग करेंगे तथा जो आनुवंशिक रूप से समान होंगे उन्हें हटा देंगे।
इससे नमूनाकरण पूर्वाग्रह को दूर करने और अंतिम डेटासेट में आनुवंशिक विविधता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इस प्रक्रिया में SNP (सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म) जीनोटाइपिंग पद्धति का उपयोग किया जाएगा ।
4,158 नमूनों में से:
- 378 नमूने त्रिक नमूने होंगे (एक व्यक्ति और उसके जैविक माता-पिता से)।
- 3,780 व्यक्तिगत नमूने होंगे।
रक्त के नमूनों के अतिरिक्त, सूक्ष्मजैविक डेटा एकत्र करने के लिए मल के नमूने भी एकत्र किए जाएंगे।
एकत्रित डेटा में निम्नलिखित शामिल होंगे:
- नाम, शिक्षा और चिकित्सा इतिहास
- वंशावली वृक्ष और कोई भी व्यसन
शारीरिक विशेषताएं जैसे लंबाई, वजन , रक्तचाप, रक्त शर्करा और कमर का आकार।
विश्लेषण
क्षेत्र से रक्त के नमूने एकत्र किए जाएंगे और गांधीनगर स्थित गुजरात जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र (GBRC) को भेजे जाएंगे।
GBRC में रक्त कोशिकाओं और रसायनों जैसे बुनियादी स्वास्थ्य संकेतकों की जांच के लिए रक्त का परीक्षण किया जाएगा।
इसके बाद जीनोटाइपिंग नामक एक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इससे उन जीनों की पहचान करने में मदद मिलती है जो रक्त प्रकार और हीमोग्लोबिन के स्तर जैसे लक्षणों को नियंत्रित करते हैं।
फिर, वैज्ञानिक प्रिंसिपल कंपोनेंट एनालिसिस (PCA) नामक एक विधि का उपयोग करेंगे, जिससे वे आपस में अत्यधिक संबंधित नमूनों की पहचान करके उन्हें डाटाबेस से बाहर कर सकें।
सभी नमूनों में से 2,000 को संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (WGS) के लिए चुना जाएगा।
यह WGS प्रक्रिया इल्युमिना नोवासेक 6000 नामक एक विशेष मशीन का उपयोग करके किया जाएगा।
जब नमूने प्रयोगशाला में पहुंचेंगे तो प्रत्येक नमूने को एक विशिष्ट पहचान दी जाएगी।
- इसका अर्थ है कि नमूनों को संभालने वाले व्यक्ति को उस व्यक्ति का लिंग या जनजाति ज्ञात नहीं होगा।
- डेटा को दो बार एन्क्रिप्ट किया जाएगा, जिससे वह गोपनीय और सुरक्षित बना रहे।
ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्य, जहाँ जनजातीय जनसंख्या क्रमशः 22% और 21% है, इस परियोजना में भाग लेने की रुचि दिखा रहे हैं।
- हालांकि, उनकी भागीदारी का निर्णय उनके राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर करेगा।
महत्व
इस परियोजना के माध्यम से जीनोम की विशेषताओं की समझ विकसित करने से सरकार को अधिक लक्षित और प्रभावी योजनाओं को तैयार करने में मदद मिलेगी।
इस परियोजना का छह-बिंदुीय एजेंडा निम्नलिखित है:
- भारत की जनसंख्या में विद्यमान अद्वितीय आनुवंशिक विविधता को दर्ज करना,
- दुर्लभ रोगों के निदान में सुधार,
- नई दवाओं के विकास का समर्थन करना,
- आनुवंशिक प्रोफाइल के आधार पर सटीक चिकित्सा उपचार,
- जनजातीय आबादी के लिए जीनोमिक संदर्भ पैनल का निर्माण, और
- सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान अवसंरचना को मजबूत करना।