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सामान्य अध्ययन -3: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

संदर्भ: हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने झांसी के बबीना फील्ड फायरिंग रेंज में गगनयान क्रू मॉड्यूल के मुख्य पैराशूट का सफल परीक्षण किया।

अन्य संबंधित जानकारी

• यह परीक्षण भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए पैराशूट प्रणाली को उपयोग में लाने हेतु शुरू की गई एकीकृत मुख्य पैराशूट एयरड्रॉप परीक्षण (IMAT) श्रृंखला का हिस्सा था।

• इस प्रयोग का उद्देश्य मुख्य पैराशूटों में से किसी एक के खुलने में देर होने जैसी जटिल परिस्थितियों के दौरान पैराशूट प्रणाली के प्रदर्शन की जाँच करना भी था।

• पहले मानवयुक्त गगनयान मिशन के लिए वर्ष 2027 निर्धारित किया गया है, जबकि पहला मानवरहित परीक्षण मिशन 2025 के अंत तक होने की उम्मीद है।

मुख्य पैराशूट परीक्षण के बारे में

• इस परीक्षण में गगनयान क्रू मॉड्यूल के समकक्ष द्रव्यमान वाले एक प्लेटफॉर्म का उपयोग किया गया और इसे भारतीय वायु सेना के IL-76 विमान का उपयोग करके 2.5 किमी. की ऊंचाई से गिराया गया।

• इस परीक्षण क्रम में एक ड्रोग पैराशूट (Drogue Parachute) की तैनाती के बाद दो मुख्य पैराशूट थे, जिनमें से एक को विलंब होने की स्थिति में खोला गया।

• गगनयान मिशन के मुख्य पैराशूट एक चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत खुलते हैं जिसे रीफ्ड इन्फ्लेशन (Reefed Inflation) कहा जाता हैं। इस प्रक्रिया में, पैराशूट पहले आंशिक रूप से खुलता है, जिसे रीफिंग कहा जाता हैं, और फिर एक निश्चित समय के बाद पूरी तरह से खुलता है, जिसे डिसरीफिंग कहा जाता हैं। यह प्रक्रिया एक पायरो डिवाइस (Pyro Device) की मदद से की जाती है।

• इस परीक्षण में एक “असममित डिसरीफिंग” स्थिति का अनुकरण किया गया, जिसमें दो मुख्य पैराशूटों में से एक, दूसरे की तुलना में थोड़ी देर से खुला।

• इस परीक्षण ने असममित डिसरीफिंग के तहत प्रणाली की संरचनात्मक अखंडता और उचित भार वितरण को प्रदर्शित किया। डिसरीफिंग सबसे चुनौतीपूर्ण स्थितियों में से एक है।

• यह परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ क्योंकि पैराशूट अनुक्रम बिना किसी त्रुटि के निष्पादित हुआ, इसकी चाल स्थिर बनी रही और सॉफ्ट लैंडिंग संभव हुई।

गगनयान मिशन

• यह इसरो का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी की निचली कक्षा में मनुष्यों को भेजने की भारत की स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन करना है।

• गगनयान मिशन का उद्देश्य 2027 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा (low earth orbit) में भेजना है।

• इस मिशन में चालक दल और संबंधित मॉड्यूल को ले जाने के लिए GSLV Mk-III (LVM-3) प्रक्षेपण यान का उपयोग किया जाएगा।

• इसमें दो मुख्य घटक हैं – क्रू मॉड्यूल (अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाने के लिए) और सर्विस मॉड्यूल (द्रव प्रणोदक इंजनों का उपयोग करके शक्ति और सहायता प्रदान करने के लिए)।

• इस कार्यक्रम में दो मानवरहित उड़ानें (G1 और G2) होंगी। दूसरी उड़ान में व्योममित्रा नामक एक महिला मानव रोबोट को ले जाया जाएगा। इसके बाद एक मानवयुक्त उड़ान (G3) होगी जिसमें एक महिला सहित तीन अंतरिक्ष यात्री 300-400 किमी. की ऊँचाई पर कक्षा में सात दिनों के लिए उड़ान भरेंगे।

• इसके साथ ही, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन शुरू करने वाला चौथा देश बन जाएगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के संदर्भ में, गगनयान क्रू मॉड्यूल के लिए इसरो द्वारा हाल ही में किए गए मुख्य पैराशूट परीक्षण के महत्व पर चर्चा कीजिए। यह परीक्षण मिशन की सुरक्षा और विश्वसनीयता में किस प्रकार योगदान देता है?

Source:
The Hindu
DD News
Indian Express
ISRO

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