संदर्भ :
किसान परिवार, जिसने क्योंझर कालाचम्पा धान की किस्म विकसित और प्रचारित की, बीज के व्यावसायीकरण से होने वाले लाभ में हिस्सा चाहता है।
अन्य संबंधित जानकारी
- यदि यह सफल रहा तो यह ओडिशा में किसी किसान को पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) की पहल के तहत मुआवजा दिए जाने का पहला उदाहरण होगा।
- किसी भी प्रकार की जैव-चोरी को रोकने तथा निजी वाणिज्यिक हित समूहों द्वारा समुदाय के संसाधनों/ज्ञान/पारंपरिक प्रथाओं से लाभ हड़पने को रोकने के लिए, यह महसूस किया गया कि PPV&FR अधिनियम में निर्धारित कानूनी ढांचे का पालन करना तथा किसानों की किस्मों को पंजीकृत कराना आवश्यक है।
- क्योंझर कालाचम्पा ओडिशा की 780 धान किस्मों में से एक है जो PPV और FRA के साथ पंजीकृत है।
क्योंझर कालचम्पा :
- 2015 में अधिसूचित, यह भारत में किसानों की पहली पारंपरिक किस्मों में से एक है जिसे औपचारिक बीज आपूर्ति श्रृंखला में एकीकृत किया गया है।
- धान की इस स्थानीय किस्म की उपज 96 क्विंटल/हेक्टेयर (ताजा) या 75 क्विंटल/हेक्टेयर (सूखा) है।
प्रमुख विशेषताऐं

- कालाचम्पा के निचले कैनोपी में गहरे गुलाबी रंग की पत्तियां होती हैं।
- यह जैविक और अजैविक तनाव के प्रति मध्यम सहनशीलता दर्शाता है।
- यह उच्च एमाइलोज सामग्री के साथ भूरे रंग के प्लांट हॉपर का प्रतिरोध कर सकता है।
- रोग और कीट सहिष्णुता : तटीय ओडिशा में क्षेत्रीय परिस्थितियों में अच्छा प्रदर्शन करता है
- बुवाई का लचीलापन : यह समय पर और देर से बुवाई दोनों के लिए उपयुक्त है।
- नॉन-लॉजिंग : झुकने या गिरने के प्रति प्रतिरोधी है।
उत्पत्ति और पंजीकरण
- ओडिशा के आनंदपुर ब्लॉक के गुहालिया गांव के किसान अनिरुद्ध जेना के नाम पर पंजीकृत की गई थी।
- उनकी मृत्यु के बाद, 2025 में पंजीकरण उनके पुत्र श्री जयंत जेना को हस्तांतरित कर दिया गया।
- भारत सरकार ने 2015 में इस किस्म को अधिसूचित किया था, जब कृषि एवं खाद्य उत्पादन निदेशालय, ओडिशा की सिफारिश के बाद राज्य बीज उप-समिति द्वारा इसे आधिकारिक रूप से जारी किया गया था।
बीज उत्पादन और वितरण
- राज्य बीज परीक्षण प्रयोगशाला (SSTL) ने 2016 से प्रजनक बीज, या आनुवंशिक रूप से शुद्ध बीज के उत्पादन की जिम्मेदारी ले ली है।
- उड़ीसा कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (OUAT) ने इस बीज के उत्पादन की जिम्मेदारी ली है, जबकि उड़ीसा राज्य बीज निगम (OSSC) और निजी कंपनियां इस किस्म का विपणन कर रही हैं।
- OSSC ने अकेले ही 2018 से 2023 तक इस किस्म के 87,000 क्विंटल से अधिक प्रमाणित बीज का उत्पादन और वितरण किया है
पौधा किस्म एवं कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA)
- पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPV&FRA) की स्थापना 2005 में PPV&FR अधिनियम, 2001 को लागू करने के लिए की गई थी।
- इस अधिनियम का उद्देश्य पौधों की किस्मों की रक्षा करना, किसानों के अधिकारों को मान्यता देना और भारत में नई पौधों की किस्मों के विकास को प्रोत्साहित करना है।
- यह संगठन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है , जो भारत में पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकारों की रक्षा करता है।