संदर्भ: 

हाल ही में, आर्थिक कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति (CCEA) ने विपणन सीजन 2025-26 के लिए सभी अनिवार्य रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दी।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इसका उद्देश्य किसानों को लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराना,  वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
  • समिति ने कई प्रमुख रबी फसलों के लिए एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिसमें कैनोला (रेपसीड) और सरसों के लिए सबसे अधिक 300 रुपये प्रति क्विंटल और मसूर (दाल) के लिए 275 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है। 
  • एमएसपी में  यह वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को अखिल भारतीय भारित औसत उत्पादन लागत के कम से कम 1.5 गुना  निर्धारित करने का उल्लेख किया गया है। 

रबी फसलों के लिए एमएसपी में संशोधन

  • गेहूँ:  गेहूँ के एमएसपी को बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पिछले सीजन से 150 रुपये अधिक है। इससे किसानों को उत्पादन लागत पर 105 प्रतिशत लाभ (मार्जिन) सुनिश्चित होता है।
  • जौ: जौ के एमएसपी को 130 रुपये बढ़ाकर 1980 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है, जिससे किसानों को लागत पर 60 प्रतिशत लाभ प्राप्त होगा।
  • चना: चना का एमएसपी 5650 प्रति क्विंटल हो गया है, जो 210 रुपये की वृद्धि को दर्शाता है, जिससे किसानों को 60 प्रतिशत लाभ प्राप्त होगा।
  • मसूर: 275 रुपये की वृद्धि के साथ मसूर का नया एमएसपी 6700 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जिससे किसानों को उत्पादन लागत पर 89 प्रतिशत लाभ प्राप्त होगा।
  • कैनोला (रेपसीड) और सरसों: 300 रुपये की वृद्धि के साथ कैनोला (रेपसीड) और सरसों के लिए एमएसपी को 5950 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जिससे  किसानों को अपनी उत्पादन पर 98 प्रतिशत लाभ प्राप्त होगा।
  • कुसुम: 140 रुपये की वृद्धि के साथ कुसुम का  एमएसपी 5940 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, जिससे किसानों को अपने उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत लाभ प्राप्त होगा।

 न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

  • एमएसपी सरकार द्वारा कृषि उत्पादकों को कृषि मूल्यों में किसी भी तीव्र गिरावट के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जाने वाला बाजार हस्तक्षेप का एक रूप है।
  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर कुछ फसलों (वर्तमान में 23) के लिए बुवाई के मौसम की शुरुआत में आर्थिक  मामलों की मंत्रिमंडल समिति (CCEA) के द्वारा एमएसपी की घोषणा की जाती है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य किसानों को किसी भी प्रकार के  संकट के समय  अपने उत्पाद को बेचने से बचाना तथा सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न को खरीदना है।  

न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए सिफारिशें तैयार करते समय, सीएसीपी विभिन्न कारकों को ध्यान में रखता है, जैसे – 

  • उत्पादन लागत (A2+FL विधि),
  • माँग और आपूर्ति की स्थिति,
  • अंतर-फसल मूल्य समता ,
  • सामान्य मूल्य स्तर पर प्रभाव,
  • घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कीमतें, आदि।

वर्तमान में, सरकार 22 अधिदेशित फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अतिरिक्त गन्ने के लिए एफआरपी (उचित और लाभकारी मूल्य) की घोषणा करती है।

तोरिया (Toria) और छिलका रहित नारियल के एमएसपी को क्रमशः रेपसीड (कैनोला),सरसों और खोपरा के एमएसपी के आधार पर निर्धारित किया जाता हैं। फसलों की सूची इस प्रकार है –

  • अनाज (7) – धान, गेहूँ, मक्का, ज्वार, बाजरा, जौ और रागी। 
  • तिलहन (7) – मूँगफली, रेपसीड (कैनोला)-सरसों (+ तोरिया), सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, कुसुम, रामतिल के बीज (नाइजरसीड)। 
  • दालें (5) – चना, अरहर, मूँग, उड़द, मसूर (lentil)। 
  • वाणिज्यिक फसलें (4) – खोपरा, गन्ना, कपास और कच्चा जूट।

इन फसलों में से 14 खरीफ मौसम और 6 रबी मौसम की फसल हैं।

  • ख़रीफ़ फ़सलें (14) – धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूँग, उड़द, मूँगफली, सोयाबीन, तिल, सूरजमुखी, रामतिल के बीज (नाइजरसीड), कपास।
  • रबी फसलें (6) – गेहूँ, जौ, चना, मसूर, रेपसीड (कैनोला)-सरसों (+ तोरिया), कुसुम।
  • अन्य फसलें (3) – गन्ना, कच्चा जूट, खोपरा (+ छिला हुआ नारियल)

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) के बारे में   

  • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है।
  • जनवरी, 1965 में कृषि मूल्य आयोग के रूप में इसकी स्थापना की गई थी।  वर्ष 1985 में इसका नाम बदलकर कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) कर दिया गया।
  • वर्तमान में, आयोग में एक अध्यक्ष, एक सदस्य सचिव, एक सदस्य (शासकीय) और दो सदस्य (अशासकीय) हैं।
  • अशासकीय सदस्य कृषक समुदाय के प्रतिनिधि होते हैं।   सामान्यत  उनका कृषक समुदाय के साथ सक्रिय संबंध होता है।

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