संबंधित पाठ्यक्रम:

सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय|

संदर्भ: 

याचिका समिति की 163वीं रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर की कई दवाएं वर्तमान मूल्य नियंत्रण तंत्र के दायरे से बाहर हैं।

अन्य संबंधित जानकारी

  • आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची, 2022 की अधिसूचना के जारी होने के साथ ही मूल्य नियंत्रण तंत्र के दायरे में न आने वाली कैंसर रोधी दवाओं की संख्या 2011 में 40 से बढ़कर 2022 में 63 हो गई है।
  • बहुत अधिक संख्या में कैंसर रोधी दवाएं, औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO), 2013 के अंतर्गत शामिल नहीं हैं, इसलिए उन पर कोई भी वैधानिक मूल्य सीमा लागू नहीं होती है।
  • यद्यपि नई कैंसर दवाओं तक त्वरित पहुँच सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान मौजूद हैं तथापि नियामक देरी, अपर्याप्त घरेलू अनुसंधान एवं विकास और मूल्य निर्धारण संबंधी बाधाएँ उनकी समय पर और न्यायसंगत पहुँच को सीमित करती हैं।
  • देश में नैदानिक परीक्षणों के अनुमोदन की प्रक्रियाओं पर निजी क्षेत्र के चिकित्सा संस्थानों और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच तालमेल का अभाव प्रतीत होता है।

समिति की प्रमुख सिफारिशें

  • याचिका समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सरकार को औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश के दायरे का विस्तार करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए ताकि कैंसर की अधिकतम दवाओं को इसमें शामिल किया जा सके।
  • दवाओं की मौजूदा कीमतों और उपलब्धता के रुझानों पर नज़र रखने के लिए नियमित और वृहत स्तरीय बाज़ार मूल्यांकन किए जाने चाहिए।
  • जेनेरिक दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी के साथ ही उनका रखरखाव किया जाना चाहिए, क्योंकि कई चिकित्सक विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इन्हें अच्छा विनिर्माण प्रैक्टिस प्रमाणन न दिए जाने के कारण इन्हें लिखने में संकोच करते हैं।
  • घरेलू अनुसंधान अवसंरचना को बढ़ाया जाना चाहिए, मूल्य-आधारित अनुमोदनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, नियामक मार्गों को सुव्यवस्थित किया जाना चाहिए और नवीन कैंसर रोधी उपचारों के स्वदेशी विकास का समर्थन करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।
  • सरकार को उच्च-स्तरीय कैंसर रोधी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र के साथ सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए और रोगियों के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए दवा कंपनियों को निवेश करने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • भारत कैंसर अनुसंधान कंसोर्टियम सहित विभिन्न मंचों के लिए वार्षिक प्रदर्शन और प्रगति रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए अनिवार्य होना चाहिए। इस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख होना चाहिए कि अनुसंधान के परिणामों को नैदानिक प्रैक्टिस में कहाँ तक लागू किया गया है।
  • साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण के लिए रोगी के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर नज़र रखने और अपनाए गए उपचार संबंधी दिशानिर्देशों की लागत-प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने हेतु  तंत्र भी स्थापित किए जाने चाहिए।

औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO), 2013

  • औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश (DPCO), 2013 आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत भारतीय सरकार का विनियमन है, जिसका प्रबंधन राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) द्वारा किया जाता है, ताकि राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (NLEM) में सूचीबद्ध आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके।
  • इसका मुख्य लक्ष्य दवा नवाचार और विकास को प्रोत्साहित करने के साथ ही इन महत्वपूर्ण दवाओं को किफायती कीमतों पर उपलब्ध कराना है।
  • इस आदेश को जारी करने के लिए अनुसूचित फॉर्मूलेशन (scheduled formulations) के लिए मूल्य सीमा निर्धारित करने हेतु बाजार-आधारित मूल्य निर्धारण तंत्र का उपयोग किया जाता है और घरेलू स्तर पर विकसित पेटेंट दवाओं के लिए विशिष्ट छूट के साथ थोक मूल्य सूचकांक (WPI) के आधार पर इसे प्रतिवर्ष संशोधित किया जाता है।
स्रोत:

The Hindu
Business-Standard

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