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सामान्य अध्ययन 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
संदर्भ: केन्या विश्व स्तर पर दसवां देश बन गया है, जिसने सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस या निद्रा रोग को समाप्त कर दिया है।
अन्य संबंधित जानकारी
• विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अगस्त 2025 में केन्या को मानव अफ्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (HAT) या स्लीपिंग सिकनेस को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने के लिए प्रमाणित किया।
केन्या यह उपलब्धि हासिल करने वाला दसवां देश बन गया है।
• यह केन्या की दूसरी प्रमुख सफलता है, इससे पहले उसने 2018 में गिनी वर्म रोग (Guinea Worm Disease) को समाप्त किया था।
• केन्या में स्लीपिंग सिकनेस का पहला मामला 20वीं सदी की शुरुआत में सामने आया था। अंतिम दो निर्यातित मामले 2012 में मासाई मारा नेशनल रिजर्व में पाए गए थे।
• केन्या अब पोस्ट-वैलिडेशन निगरानी (post-validation surveillance) करेगा। WHO प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी करेगा और आपातकालीन दवाओं का भंडारण बनाए रखेगा ताकि किसी भी पुनः संक्रमण की स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
• केन्या अब उन 9 अफ्रीकी देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने HAT को समाप्त किया है: बेनिन, चाड, कोट डी’वोयर, इक्वेटोरियल गिनी, घाना, गिनी, रवांडा, टोगो और युगांडा।
मानव अफ़्रीकी ट्रिपैनोसोमियासिस (HAT)
• स्लीपिंग सिकनेस एक परजीवी रोग है, जो ट्रिपैनोसोमा (Trypanosoma) नामक प्रोटोजोआ के कारण होता है।यह परजीवी त्सेत्से मक्खी (Glossina) के काटने से मनुष्यों में फैलता है। ये मक्खियाँ संक्रमित मनुष्यों या जानवरों से परजीवी प्राप्त करती हैं।
• यह रोग मुख्य रूप से उप-सहारा अफ्रीका (Sub-Saharan Africa) के क्षेत्रों में स्थानिक है।
• लक्षण:
- प्रारंभिक चरण में: बुखार, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द।
- उन्नत चरण में: तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएं जैसे भ्रम, नींद के चक्र में गड़बड़ी, व्यवहार में बदलाव आदि।
- यदि उपचार न किया जाए, तो यह रोग प्रायः घातक (fatal) होता है।
• रोग के प्रकार: HAT दो प्रकार का होता है, जो संक्रमित परजीवी की उप-प्रजातियों पर निर्भर करता है:
1. ट्रिपैनोसोमा ब्रुसेई गैम्बिएन्से – 92% मामलों के लिए जिम्मेदार।
2. ट्रिपैनोसोमा ब्रुसेई रोडेसिएन्स – 8% मामलों में पाया जाता है।
• पिछले 20 वर्षों में नियंत्रण प्रयासों के चलते नए मामलों में 97% की गिरावट आई है।
हालांकि, इस रोग का निदान और उपचार अभी भी जटिल और विशेषज्ञता-आधारित है।
• यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा प्रस्तुत एक रणनीतिक खाका है, जिसका उद्देश्य 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों और उनसे संबंधित स्थितियों की रोकथाम, नियंत्रण, उन्मूलन और समापन को 2030 तक प्राप्त करना है।
• 2030 तक के वैश्विक लक्ष्य:
WHO द्वारा निर्धारित कुछ मुख्य लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
1. 90% तक कमी – उन लोगों की संख्या में जो NTDs के लिए उपचार की आवश्यकता रखते हैं।
2. कम से कम एक NTD का उन्मूलन 100 देशों में करना।
3. दो रोगों का समापन (eradication):
- ड्रेकुन्कुलियासिस (Dracunculiasis – गिनी वर्म रोग)
- यॉज (Yaws)
4. 75% तक कमी – NTDs से संबंधित डिसएबिलिटी-अडजस्टेड लाइफ इयर्स (DALYs) में।
• 2030 की समयसीमा से पहले, 57 देशों ने कम से कम एक NTD का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर लिया है।
भारत द्वारा उन्मूलित रोग:
• चेचक (Smallpox): भारत ने चेचक के वैश्विक उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में आखिरी चेचक का मामला 1977 में रिपोर्ट हुआ था।
• पोलियो (Polio): भारत को 2014 में पोलियो मुक्त घोषित किया गया, जिसके लिए लगातार टीकाकरण अभियान चलाए गए। आखिरी पोलियो का मामला 2011 में पाया गया था।
• गिनी वर्म रोग (Guinea Worm Disease): भारत को 2000 में गिनी वर्म रोग से मुक्त प्रमाणित किया गया।
• यॉज रोग (Yaws): भारत को 2016 में यॉज रोग से मुक्त घोषित किया गया।
Sources:
https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/trypanosomiasis-human-african-(sleeping-sickness)