प्रसंग: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने भारत भर में नदियों के प्रदूषण पर अपनी नवीनतम आकलन रिपोर्ट जारी की है, जिसमें देश की नदियों की जल गुणवत्ता में मामूली सुधार का संकेत दिया गया है।
मुख्य निष्कर्ष:
- यह रिपोर्ट वर्ष 2022 और वर्ष 2023 के दौरान एकत्र किए गए जल गुणवत्ता आंकड़ों पर आधारित है और इसके अनुसार प्रदूषित नदी खंडों की संख्या में थोड़ा सा कमी आई है — 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 271 नदियों के कुल 311 से घटकर 296 प्रदूषित खंड रह गए हैं।
- राज्यों में महाराष्ट्र में सबसे अधिक 54 प्रदूषित नदी खंड हैं।
- 296 पहचाने गए प्रदूषित खंडों में से 37 को सबसे अधिक प्रदूषित या प्राथमिकता–I वर्ग में रखा गया है।
- ये 37 खंड 14 राज्यों में पाए गए, जिनमें सबसे अधिक पाँच-पाँच खंड तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हैं; गुजरात में चार और कर्नाटक में तीन।
- कुछ सबसे गंभीर रूप से प्रदूषित खंड निम्नलिखित हैं:
- यमुना (दिल्ली): पल्ला से असगरपुर तक
- साबरमती (अहमदाबाद, गुजरात)
- चंबल (मध्य प्रदेश): नागदा से गांधीसागर डैम तक
- तुंगभद्रा (कर्नाटक) और सरबंगा (तमिलनाडु)
मापदंड –
- बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD)
- प्रदूषित नदी खंडों (Polluted River Stretches – PRS) की पहचान
PRS की पहचान के लिए मापदंड:
- वे खंड जहाँ बायो-केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर (mg/L) से अधिक होता है, CPCB द्वारा प्रदूषित स्थानों के रूप में चिह्नित किए जाते हैं।
- किसी नदी पर दो या अधिक प्रदूषित स्थान यदि एक सतत क्रम में आते हैं, तो उन्हें एक खंड के रूप में माना जाता है और उसे प्रदूषित नदी खंड (Polluted River Stretch) के रूप में परिभाषित किया जाता है।
PRS को पाँच प्राथमिकता वर्गों (Priority Classes I से V) में विभाजित किया गया है, जो अधिकतम BOD स्तर के आधार पर निर्धारित होते हैं:
- प्राथमिकता – I: निगरानी स्थान जहाँ BOD सांद्रता 30.0 mg/L से अधिक होती है
- प्राथमिकता – II: निगरानी स्थान जहाँ BOD 20.0 – 30.0 mg/L के बीच होती है
- प्राथमिकता – III: निगरानी स्थान जहाँ BOD 10.0 – 20.0 mg/L के बीच होती है
- प्राथमिकता – IV: निगरानी स्थान जहाँ BOD 6.0 – 10.0 mg/L के बीच होती है
- प्राथमिकता – V: निगरानी स्थान जहाँ BOD 3.0 – 6.0 mg/L के बीच होती है
