संदर्भ:

केंद्र सरकार ने कक्षा 5 और कक्षा 8 के लिए अपने “नो-डिटेंशन” नीति को समाप्त कर दिया है। इसके परिणाम स्वरूप स्कूलों के द्वारा वर्ष के अंत में होने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण न होने वाले विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण की जा सकती है।      

अन्य संबंधित जानकारी      

शिक्षा मंत्रालय ने “निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (संशोधन) नियमावली, 2024” नामक एक अधिसूचना को राजपत्र में प्रकाशित किया है।    

  • ‘नो-डिटेंशन’ नीति को RTE अधिनियम, 2009 में शामिल किया गया था। हालाँकि इससे जुड़ी एक महत्वपूर्ण चिंता यह थी कि इस नीति के कारण अनुत्तीर्ण होने वाले बच्चों की दर बहुत अधिक हुई थी।     

ये परिवर्तन केन्द्रीय विद्यालयों, जवाहर नवोदय विद्यालयों, सैनिक स्कूलों और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों सहित केंद्र सरकार द्वारा शासित सभी स्कूलों पर लागू होंगे।     

संशोधन की मुख्य विशेषताएँ    

कक्षा 5 और कक्षा 8 हेतु डिटेंशन नीति में संशोधन:   

  • नए नियमों के अनुसार, अब केंद्र सरकार या विधानसभा रहित केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा स्थापित, स्वामित्व वाले या नियंत्रित स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 5 और कक्षा 8 के छात्रों पर संशोधित डिटेंशन फ्रेमवर्क लागू होगा।    
  • यदि कोई छात्र वार्षिक परीक्षाओं के बाद उत्तीर्णता संबंधी मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो उसे अतिरिक्त निर्देश प्राप्त होंगे तथा परिणाम घोषित होने के बाद दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा।    
  • यदि छात्र पुनः परीक्षा के बाद भी उत्तीर्णता संबंधी मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो उसे उसी कक्षा में रखा जाएगा।  
  • यदि किसी विद्यार्थी को अगली कक्षा में जाने से रोका जाता है, तो वर्ग शिक्षक बच्चे के साथ-साथ, यदि आवश्यक हो तो, उसके माता-पिता को भी मार्गदर्शन प्रदान करेगा तथा मूल्यांकन के विभिन्न चरणों में सीखने के अंतराल की पहचान करने के बाद विशेष जानकारी प्रदान करेगा।
  • इस नियम में उल्लेखित है कि स्कूल के प्रमुख को पिछले कक्षा में रहने वाले बच्चों की सूची बनाकर रखनी होगी तथा ऐसे बच्चों के लिए विशेष प्रयास संबंधी प्रावधानों तथा चिन्हित किए गए सीखने के अंतराल के संबंध में उनकी प्रगति की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करेंगे।  
  • इस नियम में आगे यह भी स्पष्ट किया गया है कि प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को स्कूल से निकाला नहीं जाएगा।  

NEP, 2020 और NCFSE के अनुरूप 

  • संशोधित नियमावली NEP, 2020 और विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE), जिसे अगस्त, 2023 में सार्वजनिक रूप से साझा किया गया था, के विजन के अनुरूप हैं।    

नो डिटेंशन नीति की पृष्ठभूमि 

  • सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 16 में कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों को अनुत्तीर्ण न करने की नीति शुरू की। इसका उद्देश्य न्यूनतम स्तर की शिक्षा सुनिश्चित करना तथा स्कूल छोड़ने की दर में कमी लाना है।
  • वर्ष 2016 तक, कई राज्यों ने नो-डिटेंशन पॉलिसी को समाप्त करने की माँग की। इसके परिणामस्वरूप, केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड ने इस संबंध में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इस विषय पर चिंता व्यक्त की गई कि इससे छात्रों में शैक्षणिक स्तर के प्रति गंभीरता कम हो जाती है।    
  • इसके बाद, केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार (RTE), 2019 अधिनियम में संशोधन किया। इसके परिणामस्वरूप “समुचित सरकार” को कक्षा 5 और 8 में बच्चों को पिछले कक्षा में रोकने का निर्णय लेने की अनुमति मिल गई। इस नीति ने नो-डिटेंशन नीति को समाप्त करने का फैसला राज्यों पर छोड़ दिया।    

पूरे भारत में क्रियान्वयन की स्थिति

  • संशोधित नियमावली को अपनाने वाले राज्य/संघ राज्य क्षेत्र: इस संशोधन के बाद असम, बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित 18 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों ने पहले ही नो-डिटेंशन नीति को समाप्त कर दिया है।
  • वर्तमान में, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के साथ-साथ लद्दाख और चंडीगढ़ जैसे केंद्र-शासित प्रदेशों में कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों के लिए नो-डिटेंशन नीति लागू है।
  • लंबित निर्णय: हरियाणा और पुडुचेरी ने संशोधित डिटेंशन नीति को लागू करने पर अभी तक निर्णय नहीं लिया है।   

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020

NEP 2020, समालोचनात्मक चिंतन, नवाचार और समावेशिता को बढ़ावा देने हेतु शिक्षा प्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन की एक परिवर्तनकारी पहल है।

इसमें प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा, स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा, अध्यापकों की शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा सहित सभी स्तरों पर शिक्षा को शामिल किया गया है।    

इस नीति में शिक्षा की संरचना के सभी पहलुओं, जिसमें इसका विनियमन और प्रशासन भी शामिल है, के पुनरीक्षण और पुनर्गठन का प्रस्ताव है, ताकि सतत विकास लक्ष्य-4 के अनुरूप एक नई प्रणाली विकसित की जा सके।   

इस नीति में निम्नलिखित चार राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखाओं की सिफारिश की गई है –

  • विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFSE),
  • प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFECCE),
  • अध्यापक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFTE) और
  • वयस्क शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFAE)।

लक्ष्य और समयसीमा 

  • 2025: सभी छात्रों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता प्राप्त करना।  
  • 2030: 3 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के लिए सार्वभौमिक शिक्षा तक पहुँच प्राप्त करना।  
  • 2035: उच्च शिक्षा में 50% सकल नामांकन अनुपात (GER) प्राप्त करना।  

निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009

उद्देश्य: इसका उद्देश्य 6 वर्ष से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करना है, जिसके लिए अनुच्छेद 21-A के तहत एक अहम कानून की परिकल्पना की गई है।  

प्रमुख प्रावधान

  • निःशुल्क शिक्षा: शुल्क या व्यय रहित प्रारंभिक शिक्षा का प्रावधान करना।  
  • अनिवार्य शिक्षा: सरकार द्वारा नामांकन और उपस्थिति सुनिश्चित करना।
  • अध्यापक हेतु मानक: केवल योग्य शिक्षक की नियुक्ति करना। 
  • निजी स्कूल: 25% सीटें वंचित बच्चों के लिए आरक्षित करना।
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