संदर्भ:
हाल ही में एक अध्ययन में यह पाया गया है कि स्वदेशी खेती और सांस्कृतिक परंपराएँ कसावा फसल के जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण रही हैं।
अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष
- वारविक विश्वविद्यालय, स्मिथसोनियन संस्थान और एम्ब्रापा (ब्राज़ीलियाई कृषि अनुसंधान) के शोधकर्ताओं ने 500 से अधिक आधुनिक, हर्बेरियम और पुरातात्विक कसावा पौधों के जीनोम का विश्लेषण किया और पाया कि यह प्रजाति क्लोनल फसल होने के बावजूद असाधारण रूप से विविध है।
- स्थानीय ब्राज़ीलियाई किसान मानते हैं कि स्थानीय सांस्कृतिक प्रथाएँ और परंपराएँ कसावा के जीन पूल को बनाने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार रही हैं।
- अध्ययन ने यह निष्कर्ष निकाला कि कसावा की विभिन्न किस्मों का आदान-प्रदान और व्यापार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप इस लचीली और विविध फसल का क्षेत्रीय विस्तार हुआ।
- यह अध्ययन छोटे पैमाने पर स्वदेशी खेती के वैश्विक खाद्य सुरक्षा में महत्व को दर्शाता है।
कसावा (Manihot esculenta)

- कसावा (जिसे ‘युका’ या ‘मणिओक’ भी कहा जाता है) एक मूल दक्षिण अमेरिकी मूल की कंदमूल वाली सब्जी है।
- पुर्तगाली खोजकर्ताओं ने 16वीं और 17वीं शताब्दी में अफ्रीकी तटों के साथ उनके व्यापार के दौरान कसावा का अफ्रीका मैं विस्तार किया ।
- यह एक कार्बोहाइड्रेट-समृद्ध, स्टार्च युक्त , उष्णकटिबंधीय, लकड़ी का झाड़ी है।
- “कड़वा” और “मीठा” कसावा की दो सामान्य किस्में हैं। मीठी किस्म अधिक सामान्य रूप से उगाई जाती है क्योंकि इसकी उपज अधिक होती है।
- कसावा एक बारहमासी पौधा है जो लगभग 2.4 मीटर तक ऊँचा होता है।
- जड़ें: कसावा की जड़ें कंदयुक्त, लंबी और पतली होती हैं ,ये जड़ें एक समान गूदे के साथ, एक अलग करने योग्य छिलके में बंद होती हैं, जिसकी मोटाई लगभग 1 मिमी होती हैं, जो बाहर से खुरदरी और भूरे रंग की होती हैं।
- तना: तना सीधा होता है, जो कंद से फैलता है और इसमें दूधिया लटेक्स होता है।
- पत्तियाँ: पत्तियाँ बड़ी होती हैं और इनमें पाँच से सात पत्तियाँ होती हैं जो लम्बे, पतले डंठल पर स्थित होती हैं। ये ऊपर से गहरी हरी और नीचे से हल्की हरी होती हैं।
- फूल और फल: नर और मादा फूल ढीले गुच्छों में व्यवस्थित होते हैं और एक ही पौधे पर पाए जाते हैं।
कसावा पौधों के लिए जलवायु परिस्थितियाँ
- यह उष्णकटिबंधीय पौधा 15 डिग्री उत्तर और 15 डिग्री दक्षिण अक्षांशों के बीच सबसे अधिक उत्पादक होता है।
- सामान्यतः, इस फसल को गर्म, आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है और इसे आमतौर पर उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जो पूरे साल बर्फ से मुक्त होते हैं।
- 12 घंटे से अधिक का दिन होने से कंद उत्पादन (स्टार्च संचयन) में कमी हो जाती है।
- तापमान: उच्चतम कंद उत्पादन उष्णकटिबंधीय निचले इलाकों में अपेक्षित होता है, जो 150 मीटर से नीचे होते हैं, जहाँ तापमान औसतन 25°C से 29°C होता है, लेकिन कुछ किस्में 1,500 मीटर तक ऊँचाई पर भी उगती हैं।
- मिट्टी: यह हल्की, रेतीली दोमट या दोमट रेत वाली, गहरी, नमीपूर्ण और उपजाऊ मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है।
कसावा उत्पादन

- वैश्विक कसावा प्रसंस्करण बाजार 2024 में 324.4 मिलियन टन था।
- नाइजीरिया (2022 में 60.8 मिलियन टन) विश्व का सबसे बड़ा उत्पादक था , इसके बाद डीआर कांगो (2022 में 48.8 मिलियन टन) था।
- थाईलैंड सूखा कसावा का सबसे बड़ा निर्यातक है।
- चीन कसावा का सबसे बड़ा आयातक है, जिसके आयात का मूल्य 2023 में 1.5 बिलियन डॉलर था, जो मुख्य रूप से थाईलैंड, वियतनाम और अन्य दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से प्राप्त हुआ था।