संबंधित पाठ्यक्रम

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

संदर्भ: हाल ही में, भारतीय रेलवे ने व्यस्त दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड के लिए कवच 4.0 के परिचालन को मंजूरी दी है।

अन्य संबंधित जानकारी

• यह नवीनतम कवच संस्करण को दी गयी पहली मंजूरी है और यह देश में रेलवे सुरक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण की दिशा में एक कदम है।

• कवच 4.0 एक प्रौद्योगिकी-गहन प्रणाली (technology-intensive system) है| इसे जुलाई 2024 में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) द्वारा अनुमोदित किया गया तथा अंततः मई 2025 में 160 किमी. प्रति घंटे तक की गति के लिए मंजूरी दी गयी थी|

• भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान ने कवच को अपने बीटेक पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल करने के लिए 17 AICTE -अनुमोदित इंजीनियरिंग कॉलेजों, संस्थानों और विश्वविद्यालयों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

कवच (Kavach) के बारे में  

• कवच एक स्वदेशी रूप से विकसित रेल सुरक्षा प्रणाली है। इसे रेलगाड़ियों की गति की निगरानी और उन पर नियंत्रण करके दुर्घटनाओं को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

• इसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (SIL 4) के अनुरूप बनाया गया है, जोकि सर्वोच्च सुरक्षा मानक है।

• कवच का विकास 2015 में शुरू हुआ और तीन वर्षों से अधिक समय तक इसका परीक्षण किया गया।

• तकनीकी अपग्रेडेशन के बाद, इसे दक्षिण-मध्य रेलवे पर स्थापित किया गया और 2018 में इसे अपना पहला परिचालन प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ।

कवच की उप-प्रणाली 

• RFID टैग: ये टैग पूरी रेल लाइन पर हर 1 किलोमीटर पर लगाए जाते हैं। हर सिग्नल पर भी टैग लगाए जाते हैं। ये RFID टैग ट्रेनों की सटीक लोकेशन बताते हैं।

• दूरसंचार टावर: पटरियों पर हर कुछ किलोमीटर पर ऑप्टिकल फाइबर और बिजली से लैस दूरसंचार टावर लगाए जाते हैं। ट्रेनों और स्टेशनों पर कवच सिस्टम इन टावरों के माध्यम से संचार करते हैं, जिससे एक दूरसंचार ऑपरेटर के समान नेटवर्क बनता है।

• लोको कवच: लोको कवच पटरियों पर लगे RFID टैग पढ़ता है, दूरसंचार टावरों के माध्यम से स्टेशन प्रणालियों से संचार करता है, और स्टेशन से रेडियो सूचना प्राप्त करता है।

  • कवच को लोकोमोटिव की ब्रेकिंग प्रणाली के साथ भी एकीकृत किया गया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि आपातकालीन स्थिति में ब्रेक लगाए जाएं।

• स्टेशन कवच: स्टेशन कवच प्रत्येक स्टेशन और ब्लॉक सेक्शन पर स्थापित किया जाता है। यह लोको कवच और सिग्नलिंग प्रणाली से सूचना प्राप्त करता है और लोको को सुरक्षित गति के लिए मार्गदर्शन देता है।

• ऑप्टिकल फाइबर केबल (OFC): हाई स्पीड डेटा संचार के लिए इन सभी प्रणालियों को जोड़ने वाली पटरियों के साथ-साथ ऑप्टिकल फाइबर बिछाया जाता है।

• सिग्नलिंग प्रणाली: सिग्नलिंग प्रणाली लोको कवच, स्टेशन कवच, दूरसंचार टावरों आदि के साथ एकीकृत होती है।

कवच के अनुप्रयोग

• सिग्नल आस्पेक्ट रिपीटर: यह प्रणाली लोको पायलट के कैब में लाइन-साइड सिग्नल आस्पेक्ट्स को दोहराती है, जो उच्च गति और घने कोहरे की स्थिति में, जहाँ दृश्यता कम होती है, महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

• रियल टाइम इनफार्मेशन डिस्प्ले: लोको पायलट को अपने कैब में सिग्नलिंग से संबंधित जानकारी जिसमें मूवमेंट अथॉरिटी, लक्ष्य गति और लक्ष्य दूरी शामिल है, रियल टाइम में प्राप्त होती है ।

• लोको-टू-लोको कम्युनिकेशन: यह लोकोमोटिव के बीच सीधे संचार का समर्थन करता है, जिससे ट्रेनों के टकराव से बचने में मदद मिलती है।

• ओवरस्पीडिंग कण्ट्रोल: यह ट्रेनों की गति को नियंत्रित करता है, यदि ट्रेन निर्धारित गति सीमा से अधिक हो जाती है तो यह स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देता है।

कवच की प्रगति 

स्रोत: Live Mint 

https://www.livemint.com/news/railways-kavach-4-0-on-mathura-kota-section-delhi-mumbai-route-11753883293390.html

https://www.aninews.in/news/national/general-news/indigenously-developed-kavach-40-commissioned-on-mathura-kota-section-of-delhi-mumbai-route20250730194415

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