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सामान्य अध्ययन-3: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव; औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इसका प्रभाव।
संदर्भ: भारत सरकार ने 19 अगस्त 2025 से 30 सितंबर 2025 तक होने वाले कच्चे कपास के आयात पर लगने वाले सभी सीमा शुल्क में रियायत (छूट) प्रदान की है।
अन्य संबंधित जानकारी
• सभी सीमा शुल्कों में 5% मूल सीमा शुल्क (BCD), 5% कृषि अवसंरचना और विकास उपकर (AIDC), और दोनों पर 1% सामाजिक कल्याण अधिभार को हटाना शामिल है। दरअसल समग्र रूप से कपास पर 11% आयात शुल्क लगता था।
• इस निर्णय को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा अधिसूचित किया गया है।
• भारत ने 2024-2025 कपास सीज़न (अक्टूबर से सितंबर) में 39 लाख गांठ कपास का आयात किया।
• लगभग दो लाख गांठ कपास के अभी भी पारगमन (ट्रांजिट) में होने की उम्मीद है और आयात शुल्क हटने से इन्हें लाभ होगा।
यह कदम क्यों उठाया गया है?
• यह छूट कपड़ा क्षेत्र की बार-बार उठती मांगों के जवाब में दी गई है। ध्यातव्य है कि कपड़ा क्षेत्र बढ़ती घरेलू कीमतों और आपूर्ति बाधाओं के कारण सरकार से कपास पर आयात शुल्क हटाने का अनुरोध कर रहा था।
कपास आयात पर सीमा शुल्क में छूट का महत्व
• घरेलू बाजार में कच्चे कपास की उपलब्धता बढ़ेगी।
• कपास की कीमतों को स्थिर किया जा सकेगा जिससे तैयार वस्त्र उत्पादों पर मुद्रास्फीति का दबाव कम होगा।
• उत्पादन लागत कम करके भारतीय वस्त्र उत्पादों की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा मिलेगा।
• वस्त्र क्षेत्र के लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) को संरक्षण प्रदान करना, जो मूल्य में उतार-चढ़ाव के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
सीमा शुल्क में कटौती के संबंध में चिंताएं
• चूँकि कपास उत्पादक क्षेत्र में पहले से ही किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की दर उच्च रही है अतः अब इस से सीमा शुल्क हटाने से लाखों किसान परिवारों की आजीविका के प्रभावित होने का जोखिम है।
• सीमा शुल्क हटाने से कपास की कीमतें गिर जाएँगी और किसानों को फसल संकट और कर्ज़ का सामना करना पड़ेगा।
• आयात शुल्क में एकाएक बदलाव से अनिश्चितता उत्पन्न होंगी, जिसका असर किसानों और कपड़ा उद्योग दोनों पर पड़ेगा।
• इससे विदेशी कपास पर निर्भरता बढ़ सकती है, जिससे भारत की दीर्घकालिक आत्मनिर्भरता प्रभावित हो सकती है।
आगे की राह
• दक्षिणी गोलार्ध की फसल के संरेखण में जुलाई से अक्टूबर तक शुल्क-मुक्त कपास आयात के लिए एक निश्चित नीति निर्धारित करें।
• किसानों की सुरक्षा के लिए उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करें और खरीद प्रणालियों को मजबूत करें।
• कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उच्च उपज देने वाले बीजों, सिंचाई और कीट प्रबंधन में निवेश करें।
• समग्र उत्पादन लागत को कम करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों और कपड़ा प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा दें।
