संदर्भ:
हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने वाले नियम को छोड़ने (लोपन) हेतु आयुष मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ एक मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आयुष मंत्रालय की 1 जुलाई की अधिसूचना पर रोक लगा दी, जिसमें राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 के तहत कोई कार्रवाई शुरू न करने के लिए कहा गया था।
- इससे पहले, उच्चतम न्यायालय के 7 मई के आदेश में मंत्रालय को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि लाइसेंसिंग अधिकारियों को भेजे गए 29 अगस्त, 2023 के पत्र को वापस लेने का निर्देश दिया गया था, जिसमें उन्हें सूचित किया गया था कि नियम 170 अब लागू नहीं है।
- हालाँकि, मंत्रालय ने 1 जुलाई की अधिसूचना जारी कर दी, जिसमें अगस्त 2023 के पत्र को वापस नहीं लिया गया, साथ ही नियम 170 को एक बार फिर छोड़ (लोपन कर) दिया गया।
- सरकार ने विचार किया कि आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (ASUDTAB) ने सिफारिश की थी कि नियम 170 को हटाया जा सकता है, क्योंकि औषधि और चमत्कारिक उपचार अधिनियम (ऐसे भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए एक अन्य कानून) में संशोधन पर स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय द्वारा भी विचार किया जा रहा है।
आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड
- आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (ASUDTAB) औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- यह आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी (ASU) औषधियों से संबंधित विनियामक मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एक सलाहकार निकाय के रूप में कार्य करता है।
- बोर्ड इन पारंपरिक औषधियों के लिए मानक स्थापित करने और उनकी गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नियम 170 क्या है?
- वर्ष 2018 में, सरकार ने देश में दवाओं के निर्माण, भंडारण और बिक्री को नियंत्रित करने के लिए औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के तहत नियम 170 लाया, “विशेष रूप से आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं के अनुचित और भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए”।
- यह नियम आयुष औषधि निर्माताओं को राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से अनुमोदन और विशिष्ट पहचान संख्या के आवंटन के बिना अपने उत्पादों का विज्ञापन करने से रोकता है।
- निर्माताओं को दवा के लिए प्रामाणिक पुस्तकों से प्राप्त पाठ्य संदर्भ और औचित्य, उपयोग के संकेत, सुरक्षा के साक्ष्य, प्रभावशीलता और दवा की गुणवत्ता जैसे विवरण प्रस्तुत करने होंगे।
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के एक भाग के रूप में वर्ष 1945 में अस्तित्व में आया। यह 19 भागों से बना है और इसमें 170 नियम हैं।
- औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940, भारत सरकार अधिनियम, 1935 के अंतर्गत ब्रिटिश विधानमंडल द्वारा स्वतंत्रता-पूर्व पारित अधिनियम है।
- इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी दवाओं के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को विनियमित करना है।