संदर्भ:
हाल ही में, नई दिल्ली में 05:36 IST पर 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसका केंद्र 28.59 ° N और 77.16 ° E पर 5 किलोमीटर की उथली गहराई पर था।
अन्य संबंधित जानकारी
भूकंप का असर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों में व्यापक रूप से महसूस किया गया।
इस भूकंप के शक्तिशाली होने के विशेष रूप से दो कारण हैं:
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- राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने बताया कि भूकंप का केंद्र पांच किलोमीटर की गहराई पर था।
- भूकंप का केन्द्र दिल्ली के अन्दर , लाल किले से 10 किलोमीटर दूर दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थित था।
दिल्ली एनसीआर के बाद बिहार में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए जिसकी तीव्रता 4.0 मापी गई। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने बताया कि भूकंप सुबह 8:02 बजे 10 किलोमीटर की गहराई पर आया।
यह शहर भूकंपीय क्षेत्र 4 में स्थित है, जहां 5 से 6 तीव्रता के भूकंप आना आम बात है और इस क्षेत्र की भूकंपीय गतिविधियां भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच चल रही टक्कर से जुड़ी हुई हैं, जो 50 मिलियन वर्षों से अधिक समय से हो रही है।
भूकंप
भूकंप पृथ्वी का अचानक, तेज़ कंपन है जो पृथ्वी की सतह के नीचे चट्टानों के टूटने और स्थानांतरित होने के कारण होता है
यह तब होता है जब पृथ्वी के दो खंड अचानक एक दूसरे के ऊपर से खिसक जाते हैं। जिस सतह पर वे खिसकते हैं उसे फॉल्ट या फॉल्ट प्लेन कहते हैं।
हाइपोसेंटर/फोकस: यह पृथ्वी की सतह के नीचे का वह स्थान है जहां भूकंप आता है।
अधिकेन्द्र (एपिसेंटर): यह पृथ्वी की सतह पर उसके ठीक ऊपर स्थित स्थान है।
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भूकंप को सीस्मोग्राफ नामक उपकरणों द्वारा रिकॉर्ड किया जाता है। वे जो रिकॉर्डिंग करते हैं उसे सीस्मोग्राम कहा जाता है।
भूकंप की विनाशकारी शक्ति न केवल इसकी ताकत पर निर्भर करती है बल्कि स्थान, भूकंप के केंद्र से दूरी और गहराई पर भी निर्भर करती है। शैलो भूकंप आम तौर पर गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक विनाशकारी होते हैं।
भूकंपों को फोकस की गहराई के आधार पर निम्नलिखित तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है:
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- शैलो भूकंप का केंद्र 0 – 70 किलोमीटर गहराई पर होता है।
- मध्यवर्ती भूकंपों का केंद्र 70 – 300 किलोमीटर गहराई पर होता है।
- गहरे भूकंप का केंद्र 300 – 700 किलोमीटर गहराई पर होता है।