संदर्भ: हाल ही में, उत्तर प्रदेश सरकार ने “उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश, 2025″ को मंज़ूरी दी है, जिसका उद्देश्य उद्योगों से जुड़े छोटे-मोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटाना है।
- यह अध्यादेश उत्तर प्रदेश को विभिन्न राज्य सूची अधिनियमों के अंतर्गत मामूली, तकनीकी और प्रक्रियात्मक उल्लंघनों के लिए कारावास की सजा को हटाने वाले पहले प्रमुख राज्यों में से एक बना देगा।
उत्तर प्रदेश सुगम्य व्यापार (प्रावधानों का संशोधन) अध्यादेश, 2025:
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य व्यापार सुगमता तथा नियामक बोझ को कम करना है।
- कवरेज: यह 10 अधिनियमों को कवर करेगा और 40 से अधिक प्रावधानों में संशोधन करेगा तथा 200 अनुपालनों को गैर-अपराधीकरण करेगा। नए नियम 14 विभागों को प्रभावित करेंगे।
- अध्यादेश के अंतर्गत कारखाना अधिनियम, दुकान एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान अधिनियम, मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम और ठेका श्रम अधिनियम शामिल हैं।
- उद्योगपतियों के लिए राहत: यह विधेयक अवैध तालाबंदी, छंटनी, बिना पंजीकरण के व्यापार या उद्योग चलाने जैसे अपराधों में कारावास के प्रावधानों को समाप्त करता है।
- जेल की सजा के स्थान पर आर्थिक और प्रशासनिक दंडात्मक कार्रवाई की गई है।
- मौद्रिक क्षतिपूर्ति: यह उन कार्यों के लिए आपराधिकरण को हटाकर काम करता है जो शारीरिक नुकसान, धोखाधड़ी या महत्वपूर्ण नकारात्मक बाह्य प्रभाव पैदा नहीं करते हैं और इसके स्थान पर मौद्रिक दंड और प्रशासनिक न्यायनिर्णयन का प्रावधान करता है।
- 10 अधिनियमों के अंतर्गत सभी छोटे अपराधों में से 90% में कारावास के बजाय केवल जुर्माना लगाया जाएगा।
- गन्ना अधिनियम, 1953 केतहत भुगतान में विलंब या माप-तौल में त्रुटि के लिए 6 महीने तक के कारावास के प्रावधान को प्रशासनिक दंड और जुर्माने से बदल दिया गया।
- औद्योगिक क्षेत्र विकास अधिनियम, 1976 के तहत, फाइल न करने या प्रक्रियागत देरी के लिए आपराधिक दंड को अपराध से मुक्त कर दिया गया तथा जुर्माना आधारित कर दिया गया।

