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सामान्य अध्ययन-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
संदर्भ:
हाल ही में, इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण हेतु हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ एक औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
समझौते के बारे में
- यह समझौता अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रवर्तक INSPACe द्वारा किया गया 100वां प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता है।
- इसका उद्देश्य समझौते पर हस्ताक्षर की तिथि से 24 महीनों के भीतर संपूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्रक्रिया को पूरा करना है।
- यह अंतरिक्ष उद्योग को सशक्त बनाने और भारत को किफायती एवं विश्वसनीय प्रक्षेपण सेवाओं के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के भारत सरकार के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
- यह समझौता हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को स्वतंत्र रूप से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान का निर्माण करने और घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।
लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV)
- SSLV एक तीन-चरणीय प्रक्षेपण यान है जिसमें तीन ठोस प्रणोदक चरण और एक टर्मिनल चरण के रूप में द्रव प्रणोदक-आधारित वेग ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) लगा है।
- SSLV की मुख्य विशेषताएँ:
- लागत प्रभावी: इसे लागत प्रभावी यान के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह इसे तेजी से उभरते लघु उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सके।
- त्वरित बदलाव समय: जल्दी से असेंबल और एकीकृत होने के कारण कम समयांतराल के भीतर इससे लगातार प्रक्षेपण किए जा सकते हैं।
- मांग पर प्रक्षेपण: समय के लिहाज से महत्वपूर्ण उपग्रह मिशनों के लिए इसे शीघ्रता से तैयार किया जा सकता है।
- एक से अधिक पेलोड: यह एक साथ कई उपग्रहों को ले जाने में सक्षम है, जिसमें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिए राइड-शेयर मिशन भी शामिल हैं।
- न्यूनतम अवसंरचना: बड़े यानों की तुलना में कम भूमि और अवसंरचना की आवश्यकता होती है, जिससे इसे छोटे या नए प्रक्षेपण स्थलों से भी तैनात किया जा सकता है।
- अनुकूलनशीलता: वाणिज्यिक, वैज्ञानिक और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए पृथ्वी की निम्न कक्षा (LEO) में उपग्रहों को प्रक्षेपित करने हेतु उपयुक्त।
समझौते का महत्व
- रणनीतिक आत्मनिर्भरता: भारत को इसरो-संचालित प्रक्षेपणों से उद्योग-संचालित उत्पादन की ओर स्थानांतरित करना, जिससे अंतरिक्ष के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत को पहचान मिलेगी।
- वाणिज्यिक विस्तार: तेजी से बढ़ते वैश्विक लघु उपग्रह प्रक्षेपण बाजार में भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना।
- संसाधनों का कुशल उपयोग: चूँकि एचएएल और उद्योग वाणिज्यिक प्रक्षेपणों का प्रबंधन करेंगे जिससे इसरो मानव अंतरिक्ष उड़ान, ग्रहीय मिशन जैसे उन्नत अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगा।
- प्रौद्योगिकी प्रसार: उच्च-स्तरीय विनिर्माण, सिस्टम एकीकरण, गुणवत्ता आश्वासन और प्रक्षेपण कार्यों में राष्ट्रीय क्षमता को बढ़ाएगा।
- सार्वजनिक-निजी सहयोग: यह गगनयान, पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों और उपग्रह निर्माण में भविष्य की साझेदारी के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करता है।
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe)
- IN-SPACe अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है जो अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देता है, अधिकृत करता है और विनियमित करता है।
- यह गैर-सरकारी संस्थाओं को सरकारी बुनियादी ढांचे तक पहुँच बनाने और प्रक्षेपण यानों, उपग्रहों और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं में संलग्न होने के लिए सिंगल विंडो फ्रेमवर्क उपलब्ध कराता है।
- यह भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को बढ़ावा देता है और राष्ट्रीय अंतरिक्ष इकोसिस्टम में उद्योग की उच्च भागीदारी को सक्षम बनाता है।
स्रोत:
News On Air
The Hindu