संदर्भ:

हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, आर्कटिक में पिघलते पर्माफ्रॉस्ट के नीचे एक संभावित “मरकरी बम” छिपा हुआ है।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अलास्का में युकोन नदी में अवसादों (sediment) के संचरण का अध्ययन किया और पाया कि जैसे-जैसे नदी राज्य के पश्चिम की ओर बहती है, इसके किनारों पर पर्माफ्रॉस्ट का क्षरण हो रहा है, जिससे पानी में मरकरी युक्त अवसाद घुल रहे हैं।
  • वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आर्कटिक में पिघलती हुई पर्माफ्रॉस्ट जल प्रणाली में जहरीला मरकरी छोड़ रही है, जिसके खाद्य श्रृंखला और उस पर निर्भर समुदायों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

युकोन नदी

युकोन नदी उत्तर-पश्चिमी उत्तरी अमेरिका का एक प्रमुख जलमार्ग है। यह युकोन के कनाडाई क्षेत्र और अमेरिकी राज्य अलास्का से होकर बहती है, और अंततः बेरिंग सागर में गिरती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • लंबाई: 3,190 किलोमीटर (1,980 मील)
  • स्रोत: एटलिन झील, ब्रिटिश कोलंबिया
  • शहर: व्हाइटहॉर्स, तानाना, नुलाटो, एम्मोनक, गैलेना
  • बेसिन का आकार: 833,232 वर्ग किलोमीटर (321,713 वर्ग मील)

कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता

  • वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आर्कटिक में संग्रहीत मरकरी की मात्रा इस प्रदूषक के वैश्विक मानवजनित उत्सर्जन से लगभग तीन गुना अधिक है।
  • यदि यह मरकरी पर्यावरण में छोड़ा गया तो इसके पारिस्थितिकी तंत्र और आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।

मरकरी उत्सर्जन के परिणाम

  • मरकरी खाद्य श्रृंखलाओं में जैवसंचयित हो सकता है, जिसका अर्थ है कि खाद्य श्रृंखला में ऊपर के जीव, जैसे मछली और समुद्री स्तनधारी, इसको उच्च मात्रा में संचित कर सकते हैं।
  • इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें तंत्रिका संबंधी विकार, प्रजनन संबंधी समस्याएं और प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना शामिल है।
  • इसके अतिरिक्त, मरकरी पेयजल स्रोतों को दूषित कर सकता है, जिससे मानव स्वास्थ्य के लिए सीधा खतरा पैदा हो सकता है।

मरकरी के लिए शमन रणनीतियाँ :

  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाना: जीवाश्म ईंधनों पर अपनी निर्भरता कम करके और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाकर, हम जलवायु परिवर्तन की दर को धीमा कर सकते हैं और पर्माफ्रॉस्ट के पिघलने को कम कर सकते हैं।
  • निगरानी प्रणालियां विकसित करना: मजबूत निगरानी प्रणालियां लागू करने से हमें पिघलते हुए पर्माफ्रॉस्ट से निकलने वाले मरकरी की निगरानी करने और संभावित खतरों का आकलन करने में मदद मिल सकती है।
  • संधारणीय पद्धतियों को बढ़ावा देना: आर्कटिक क्षेत्र में संधारणीय पद्धतियों को प्रोत्साहित करना, जैसे प्रदूषण को कम करना और पारिस्थितिकी तंत्र में गड़बड़ी को न्यूनतम करना, पारे के उत्सर्जन के प्रभावों को कम करने में मदद कर सकता है।

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