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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय|
संदर्भ: बैंकिंग प्रणाली में तरलता की कमी को दूर करने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ₹3 ट्रिलियन के तरलता प्रबंधन उपायों की घोषणा की है। इसके तहत विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप और मौसमी उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम करने हेतु ‘खुली बाजार संक्रियाओं’ (OMO) और ‘करेंसी स्वैप’ का उपयोग किया जाएगा।
अन्य संबंधित जानकारी

- यह घोषणा अमेरिकी टैरिफ और पूंजी प्रवाह की गतिशीलता जैसे वैश्विक कारकों से रुपये पर बढ़ते दबाव के मद्देनजर की गई है। इन्हीं कारकों के कारण आरबीआई को मुद्रा को स्थिर करने के लिए डॉलर की बिक्री के माध्यम से हस्तक्षेप करना पड़ रहा है।
- हाल ही में हुई मौद्रिक नीति की बैठक के दौरान, आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बाजारों को आश्वासन दिया था कि केंद्रीय बैंक, वित्तीय प्रणाली में पर्याप्त तरलता (Liquidity) लाएगा।
- आरबीआई ने संकेत दिया था कि शुद्ध माँग और सावधि देयता (NDTL) के लगभग एक प्रतिशत के अधिशेष स्तर को औपचारिक रूप से प्रभावित किए बिना भी बाजार में तरलता बनी रहेगी।
रिज़र्व बैंक की प्रस्तावित योजना के मुख्य बिंदु:
- आरबीआई खुली बाजार संक्रियाओं (OMOs) के माध्यम से 2 लाख करोड़ रुपये (2 ट्रिलियन) मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा।
- ये खरीदारी 50 हजार करोड़ रुपये की चार समान किस्तों (29 दिसंबर, 5 जनवरी, 12 जनवरी और 22 जनवरी, 2026) में की जाएगी।
- इसके अतिरिक्त, आरबीआई 13 जनवरी, 2026 को 10 अरब डॉलर का तीन-वर्षीय ‘अमेरिकी डॉलर/रुपया खरीद-बिक्री स्वैप’ करेगा।
हालिया विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप और तरलता संदर्भ

योजना का महत्त्व:
- विदेशी मुद्रा हस्तक्षेप के नकारात्मक तरलता प्रभाव को बेअसर करना: आरबीआई द्वारा बैंकों में लगभग ₹3 लाख करोड़ की तरलता डालने के निर्णय का प्राथमिक उद्देश्य हाल के विदेशी मुद्रा हस्तक्षेपों के कारण हुई नकदी की कमी की भरपाई करना है, साथ ही अग्रिम कर के भुगतान और चलन में मुद्रा की वृद्धि जैसे मौसमी दबावों को संतुलित करना है।
- बॉन्ड बाजार को मजबूती प्रदान देना: सक्रिय रूप से कारोबार की जाने वाली (अधिक तरल) प्रतिभूतियों के माध्यम से OMO का संचालन करने से बॉन्ड बाजार मजबूत होगा, जिससे निवेशकों की भागीदारी और सटीक मूल्य निर्धारण सुनिश्चित होगा।
- बाजार में नकदी के दबाव को कम करना: यह हस्तक्षेप भारतीय रुपये को मजबूती प्रदान करेगा, जो अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता और इक्विटी तथा ऋण (debt) बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की निरंतर निकासी के कारण दबाव में आ गया था।
- अल्पकालिक ब्याज दरों को नीतिगत कॉरिडोर के अनुरूप तय करना: तरलता लाने के इस कदम से नीतिगत दरों के पारेषण में तेजी आने और क्रेडिट लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
