संदर्भ
हाल ही में, केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री ने आयुष औषधि गुणवता एवं उत्पादन संवर्धन योजना के बारे में राज्यसभा को जानकारी दी।
विवरण
- औषधि नियम, 1945 के 158 B के तहत आयुर्वेद, सिद्ध या यूनानी दवाओं के संबंध में लाइसेंस जारी करने और सुरक्षा अध्ययन एवं प्रभावशीलता के अनुभव/साक्ष्य की आवश्यकता के लिए दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं।
- निर्माताओं को इकाइयों और दवाओं के लिए लाइसेंसिंग आवश्यकताओं का पालन करना होगा, जिसमें सुरक्षा और प्रभावशीलता का प्रमाण शामिल है और औषधि नियम, 1945 की अनुसूची T और M-I के अनुसार अच्छे विनिर्माण अभ्यास (GMP) का पालन करना होगा।
- यदि लाइसेंसधारी लाइसेंस की किसी भी शर्त का पालन करने में विफल रहता है, तो औषधि नियम, 1945 के नियम 159 में लाइसेंस रद्द करने या निलंबित करने का प्रावधान है।
- औषधि नियम, 1945 के नियम 160 A से J आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधियों की पहचान, शुद्धता, गुणवत्ता और शक्ति के परीक्षण करने के लिए औषधि परीक्षण प्रयोगशाला की स्वीकृति हेतु विनियामक दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्धन योजना के बारे में
- इस योजना का उद्देश्य स्वास्थ्य देखभाल के लिए लोगों के विश्वास को बढ़ाने और व्यापार में सुधार के लिए आयुष उत्पादों की गुणवत्ता, स्वीकार्यता और दृश्यता को बढ़ावा देना है।
- यह आयुष मंत्रालय द्वारा तैयार की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है।
- यह योजना औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 द्वारा स्थापित ढांचे का उपयोग करके भारत में आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी (ASU&H) दवाओं को विनियमित करने का प्रयास करती है।
- घटक:
- उच्च मानकों को प्राप्त करने के लिए आयुष फार्मेसियों और औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं को मजबूत एवं उन्नत बनाना।
- भ्रामक विज्ञापनों की निगरानी सहित ASU&H दवाओं की फार्माकोविजिलेंस।
- आयुष औषधियों के लिए तकनीकी मानव संसाधन और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों सहित केंद्रीय एवं राज्य नियामक ढांचे को मजबूत करना।
- BIS, QCI और अन्य प्रासंगिक वैज्ञानिक संस्थानों तथा औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के सहयोग से आयुष उत्पादों और सामग्रियों के मानकों और मान्यता/प्रमाणन के विकास के लिए समर्थन।
- योजना की अवधि:
- यह योजना 31.03.2026 तक वैध है और स्थायी वित्त समिति (SFC) की मंजूरी के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा।