संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन-2: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव, प्रवासी भारतीय।
सामान्य अध्ययन -3: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां उत्पन्न करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिकर्ताओं की भूमिका।
संदर्भ: भारत ने ताजिकिस्तान में अपने एकमात्र पूर्ण विकसित विदेशी आयनी एयरबेस से अपनी सेना की वापस कर ली है। ध्यातव्य है कि इस एयरबेस से उसे मध्य एशिया में रणनीतिक बढ़त मिली थी।
अन्य संबंधित जानकारी
- कुछ सुखोई-30 MKI जेट विमानों के साथ लगभग 200 भारतीय सेना और वायुसेना के जवान इस एयरबेस पर तैनात थे। ताजिकिस्तान के साथ समझौते की समाप्ति के बाद, भारत ने 2022 में अपने कर्मचारियों और संसाधनों को वहाँ से वापस लाना शुरू कर दिया।
आयनी एयर बेस के बारे में

- आयनी एयरबेस को गिस्सार एयर बेस भी कहा जाता है। यह ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे से लगभग 10 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
- यह भारत का एकमात्र पूर्ण विदेशी सैन्य अड्डा था, जो मध्य एशिया में उसे महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त प्रदान करता था।
- इसकी भौगोलिक स्थिति इसे विशेष रूप से रणनीतिक बनाती है चूँकि यह वाखान कॉरिडोर से सिर्फ 20 किमी. दूर स्थित है। दरअसल, वाखान कॉरिडोर ताजिकिस्तान और पाकिस्तान को अलग करता है और पाक अधिकृत कश्मीर से लगभग 600 किमी. दूर तथा चीन के शिनजियांग प्रांत के निकट है।
- अगस्त 2021 में तालिबान द्वारा काबुल पर नियंत्रण करने के बाद भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए भी इस एयरबेस का उपयोग किया था।
वापसी के कारण
- समझौते का समापन: भारत ने 2002 से ताजिकिस्तान के साथ एक पट्टा समझौते के तहत आयनी एयरबेस का संचालन किया। यह समझौता 2022 में समाप्त हो गया। पट्टा समाप्त होने के बाद, भारत ने बेस वापस ताजिकिस्तान को सौंप दिया और अपने कर्मियों और उपकरणों को वापस लाना शुरू कर दिया।
- पट्टा नवीनीकरण की अनिच्छा: ताजिकिस्तान ने रूस और चीन के दबाव के कारण भारत के पट्टे का नवीनीकरण न करने का निर्णय लिया। स्पष्ट है कि ये दोनों शक्तिशाली पड़ोसी देश मध्य एशियाई क्षेत्र में बाहरी सैन्य उपस्थिति को सीमित करने के इच्छुक हैं।
- बदलती भू-राजनीति: 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी ने भारत के लिए इस बेस के रणनीतिक महत्व को कम कर दिया, जबकि मध्य एशिया में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव ने भारत की स्थिति को जटिल बना दिया।
- परिचालन संबंधी चुनौतियाँ: इस एयरबेस का इस्तेमाल मुख्यतः सहायता और मानवीय कार्यों के लिए किया जाता था, और इसमें युद्ध संचालन सीमित तौर पर होता था। इसकी दुर्गम स्थिति और रसद संबंधी कठिनाइयों ने दीर्घकालिक अभियानों को महंगा और जटिल बना दिया था।
- प्राथमिकताओं में बदलाव: भारत ने अपनी सैन्य रणनीति पर पुनः ध्यान केन्द्रित करते हुए हिंद महासागर में नौसैनिक क्षमताओं को सुदृढ़ करने तथा आयनी जैसे दूरस्थ स्थलीय ठिकानों से हटकर ओमान के दुकम बंदरगाह जैसे निकटवर्ती देशों में साझेदारी बनाने पर ध्यान केंद्रित किया।
भारत के लिए रणनीतिक महत्त्व
- सामरिक लाभ का नुकसान: आयनी से भारत के बाहर निकलने से उसका एकमात्र विदेशी सैन्य अड्डा समाप्त हो जाएगा, जिससे मध्य एशिया में उसकी महत्वपूर्ण स्थिति प्रभावित होगी और अफगानिस्तान, पाक अधिकृत कश्मीर और शिनजियांग को शक्ति प्रदर्शन की उसकी क्षमता सीमित हो जाएगी।
- सैन्य और खुफिया पहुंच में कमी: आयनी से वापसी के बाद भारत अपना एक महत्वपूर्ण निगरानी और परिचालन केंद्र खो देगा, जिससे वह आतंकवाद, मादक पदार्थों के मार्गों और वाखान कॉरिडोर तथा शिनजियांग में चीनी सैन्य गतिविधि पर अपेक्षाकृत कम निगरानी रख पाएगा।
- राजनयिक प्रभाव में कमी: इस अड्डे ने भारत की “मध्य एशिया को जोड़ने” की नीति को बल दिया। इसका नुकसान शंघाई सहयोग संगठन जैसे क्षेत्रीय मंचों पर भारत के घटते प्रभाव को दर्शाता है, जहाँ चीन और रूस का दबदबा है।
- प्रतिद्वंद्वी शक्तियों के लिए अधिक गुंजाइश: भारत की वापसी से ताजिकिस्तान और क्षेत्र पर रूसी और चीनी प्रभाव मजबूत होगा, जिससे भारत द्वारा ट्रैक किए गए मार्गों पर चीन की परिचालन पहुंच का विस्तार होगा।
- रक्षा रुख में बदलाव: यह आघात बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा के दौर में विदेशी ठिकानों को बनाए रखने में भारत को आने वाली समस्याओं को उजागर करता है, और इसके बजाय इसे समुद्री और भारत-प्रशांत साझेदारी की ओर अग्रसर करता है।
- आर्थिक और सैन्य नुकसान: ताजिकिस्तान के साथ 2002 के द्विपक्षीय समझौते के तहत, भारत ने एयरबेस के नवीनीकरण के लिए लगभग 80 मिलियन डॉलर खर्च किए, जिसमें रनवे की मरम्मत और उसे 3,200 मीटर तक उन्नत करना शामिल था।
- भारत की विदेश नीति के लिए झटका: ऐसे विदेशी ठिकानों को बनाए रखने या उनका विस्तार करने में भारत की असमर्थता भारत की रणनीतिक योजना में अंतराल को रेखांकित करती है और इसके क्षेत्रीय संबंधों की कमजोरियों को उजागर करती है।
