संदर्भ :

दशकों से विलुप्त हो रहे चीतों के पुनर्वास के उद्देश्य से भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘प्रोजेक्ट चीता’ ने विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। हालाँकि, इस परियोजना को लंबे समय तक चीता को कैद में रखने और मृत्यु जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण इस परियोजना की दीर्घकालिक सफलता पर संशय है।   

प्रोजेक्ट चीता की वर्तमान स्थिति

  • मृत्यु और उत्तरजीविता: नामीबिया से 8 चीते और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते क्रमशः वर्ष 2022 और वर्ष 2023 में लाए गए। उनके आगमन के बाद से, आठ वयस्क चीतों – तीन मादा और पाँच नर – की मृत्यु हो गई हैं।
  • अफ्रीका से लाए जाने के बाद से जन्में चीते: भारत में 17 शावकों का जन्म हुआ है, जिनमें से 12 जीवित हैं, जिससे कुनो में शावकों सहित चीतों की कुल संख्या 24 हो गई है।
  • वन में छोड़ने और पिंजरे में रखे गए चीते: वर्तमान में, सभी 24 चीते बाड़े में ही हैं।    
  • हालाँकि, इतनी लंबी अवधि तक संरक्षण में रहने से चीते जंगल में छोड़े जाने के लिए अयोग्य हो जाते हैं।
  • नामीबिया की नीति के अनुसार, जंगली मांसाहारियों के लिए कैद की अवधि तीन महीने तक सीमित है, जिसके बाद उन्हें या तो मार दिया जाना चाहिए या स्थायी रूप से संरक्षण में रखा जाना चाहिए।
  • इस नियम के तहत, वर्तमान में, कुनो में 12 वयस्क चीते और 12 शावक वन में छोड़े जाने योग्य नहीं हैं।

चीता के बारे में:

  • चीता एक तेज़ दौड़ने वाली बिल्ली की प्रजाति का एक स्थलीय जानवर होने के साथ-साथ अफ़्रीका की सबसे लुप्तप्राय बड़ी बिल्ली की प्रजाति है।
  • गति: केवल तीन सेकंड से अधिक समय में 110 किमी/घंटा से अधिक की गति तक पहुँचने में सक्षम है।
  • वैश्विक चीते की आबादी 6,500 से अधिक (IUCN, 2021) थी।
  • इसकी दो उप-प्रजातियाँ हैं:
  • IUCN स्थिति के अनुसार एशियाई चीता गंभीर रूप से संकटग्रस्त है और वर्तमान में केवल ईरान में पाया जाता है।
  • विभिन्न अफ्रीकी देशों में पाई जाने वाली कई उप-प्रजातियों के साथ अफ्रीकी चीता को IUCN रेड लिस्ट में एक सुभेद्य (VU) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। 

कुनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) के बारे में: 

  • स्थान: यह मध्य प्रदेश के श्योपुर और शिवपुरी जिलों में स्थित है।
  • स्थापित: वर्ष 1981 में एक वन्यजीव अभयारण्य और वर्ष 2018 में एक राष्ट्रीय उद्यान बनाया गया।
  • नाम: इस पार्क का नाम कुनो नदी के नाम पर रखा गया है, जो चंबल नदी की एक सहायक नदी है, जो उद्यान से होकर बहती है।
  • आकार: यह उद्यान 748 वर्ग किमी के क्षेत्र को कवर करता है।
  • वनस्पति: यह उद्यान में प्रचुर मात्रा में “करधई”, “खैर” और “सलाई” के पेड़ पाए जाते है।
  • जैव विविधता: यह उद्यान विभिन्न प्रकार के पक्षी जीवों का घर है।
  • वन्यजीव: यह उद्यान तेंदुओं और धारीदार लकड़बग्घों का घर होने के साथ-साथ एक समय यह बाघों और एशियाई शेरों का घर था।  

भारत में चीता पुनर्वास की शुरुआत 

  • चीता एकमात्र बड़ा मांसाहारी जानवर है जो भारत से पूरी तरह से विलुप्त हो गया है। इसे वर्ष 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया, जिसका मुख्य कारण अत्यधिक शिकार और पर्यवास का नष्ट होना था।
  • ऐतिहासिक दृष्टि में भारत में एशियाई चीतों का व्यापक वितरण था। ये उत्तर में पंजाब से लेकर दक्षिणी तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले तक तथा पश्चिम में गुजरात और राजस्थान से लेकर पूर्व में बंगाल तक पाए जाते थे।
  • चीता को भारत वापस लाने की चर्चा वर्ष 2009 में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट (Wildlife Trust of India) द्वारा शुरू की गई थी। शुरुआत में, उच्चतम न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी थी।
  • वर्ष 2020 की शुरुआत में, उच्चतम न्यायालय ने चीता परियोजना पर वर्ष 2013 में लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया, और प्रायोगिक पुनर्वास कार्यक्रम के लिए चीतों के सीमित संख्या मे भारत लाने की  अनुमति दी।
  • जनवरी, 2022 में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा “भारत में चीता पुनर्वास के लिए कार्य योजना” (Action Plan for Introduction of Cheetah in India) जारी की गई।

भारत में चीतों के विलुप्त होने के कारण

  • 1950 के दशक की शुरुआत में बड़ी बिल्लियों की आबादी के पूर्ण विलुप्त होने के मुख्य कारण पर्यावास की हानि और अत्यधिक शिकार था।
  • चीतों के शिकार का रिकॉर्ड 1550 के दशक का है, उस समय मुगल काल के दौरान उन्हें खेल के लिए पकड़ा गया था।
  • मुगल काल के दौरान बादशाह अकबर ने अपने जंगली पशुओं का पिंजड़ों में 1,000 चीते रखे थे, जिनका ज्यादातर शिकार के लिए उपयोग किया जाता था।
  • जहाँगीर के शासनकाल के दौरान, विश्व का पहला चीता भारत में कैद में पाला गया था।
  • देश के अंतिम तीन चीतों का शिकार महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने किया था, जो पहले कोरिया (Korya) राज्य के शासक थे, जिसे अब छत्तीसगढ़ के नाम से जाना जाता है।

प्रोजेक्ट चीता के बारे में: 

  • वर्ष 2022 में शुरू की गई इस परियोजना में अफ्रीकी चीतों को मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में स्थानांतरित करना शामिल था, जो उनके पुनर्वास के लिए उपयुक्त पर्यावास स्थान माना जाता है।
  • उद्देश्य: वर्ष 1952 में देश में विलुप्त घोषित चीतों को पुनः देश में लाना।
  • नोडल एजेंसी: राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) 
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान : तकनीकी मार्गदर्शन प्रदानकर्त्ता।
  • मध्य प्रदेश वन विभाग : क्षेत्रीय कार्यों का प्रबंधनकर्त्ता।

लक्ष्य:

  • प्रजाति संरक्षण: अफ्रीकी चीता की आबादी को विलुप्त होने से बचाना।
  • पर्यावसस पुनर्स्थापन: भारत के सवाना पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और जैव विविधता को बढ़ाना।
  • सामुदायिक सहभागिता: पारिस्थितिकी पर्यटन के माध्यम से स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

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