संबंधित पाठ्यक्रम
सामान्य अध्ययन-3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में मत्स्य पालन के सतत दोहन के लिए नियमों को अधिसूचित किया।
अन्य संबंधित जानकारी
- इन नियमों का उद्देश्य भारतीय अनन्य आर्थिक क्षेत्र और उच्च सागरों से समुद्री मत्स्य संसाधनों के सतत दोहन हेतु एक व्यापक ढांचा स्थापित करना है, जिसमें अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
- ये नियम मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए हैं।
नियमों की मुख्य विशेषताएं
मछुआरा सहकारी समितियों और FFPOs के लिए प्रवेश पास की प्राथमिकता: मछुआरा सहकारी समितियों और FFPOs को यंत्रीकृत जहाजों के साथ गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए प्राथमिकता दी जाती है, जिससे समुदाय-नेतृत्व वाली और समावेशी भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।
विनियमन और शासन
- शर्त: सभी यंत्रीकृत और मोटर चालित जहाजों (24 मीटर या उससे अधिक) को सख्त विनियमन और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए सरकारी पोर्टल के माध्यम से पोत-विशिष्ट, गैर-हस्तांतरणीय प्रवेश पास प्राप्त करना होगा।
- निगरानी, नियंत्रण और निरीक्षण (MCS): मजबूत MCS प्रणालियाँ जहाजों पर नज़र रखती हैं और अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) फिशिंग को रोकती हैं, जिससे समुद्री शासन को को बल मिलता है।
- डिजिटल उपकरणों और पारदर्शी प्रणालियों का उपयोग: आधुनिक डिजिटल उपकरण मत्स्य प्रबंधन में रियल टाइम निगरानी, डेटा संग्रह और पारदर्शिता की सुविधा प्रदान करते हैं।
सतत मत्स्य पालन और संरक्षण:
- मछली पकड़ने की हानिकारक प्रथाओं पर प्रतिबंध: LED लाइट फिशिंग, पेयर ट्रॉलिंग और बुल ट्रॉलिंग जैसे विनाशकारी तरीकों पर प्रतिबंध लगाने से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा होती है और अत्यधिक मछली पकड़ने पर रोक लगती है।
- मत्स्य प्रबंधन योजनाएं (FMPs): केंद्र और राज्यों द्वारा डेटा-आधारित योजनाएं टिकाऊ उत्पादन स्तर बनाए रखने के लिए मछली पकड़ने की सीमाओं और मौसमों को परिभाषित करती हैं।
- न्यूनतम कानूनी मछली आकार: निर्धारित न्यूनतम कैच साइज़ मछली स्टॉक को बहाल करने और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
ReALCRaft पोर्टल
- ReALCRaft मछली पकड़ने के शिल्प (फिशिंग क्राफ्ट) के पंजीकरण और लाइसेंसिंग के लिए एक भारतीय वेब-आधारित अनुप्रयोग है।
- यह भारतीय तट पर चलने वाले जहाजों को पंजीकरण और मछली पकड़ने के लाइसेंस जारी करने के लिए एक ऑनलाइन प्रणाली प्रदान करता है, जिससे तटीय सुरक्षा में सुधार होता है और प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जाता है।
- यह प्रणाली जहाज की स्थिति पर नज़र रखने, स्वामित्व हस्तांतरित करने और सुरक्षा एवं अन्य सरकारी एजेंसियों के साथ एकीकरण जैसी सुविधाएँ भी प्रदान करती है।
कैच ट्रेसेबिलिटी और प्रमाणन: नियमों में जहाज और कैच डेटा के सत्यापन और प्रसंस्करण के लिए ‘ReALCRaft’ प्रणाली के साथ एकीकृत निर्दिष्ट पोर्टलों के माध्यम से कैच और स्वास्थ्य प्रमाणपत्र आवेदनों को ऑनलाइन प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
ऋण सुविधा: प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF) जैसी प्रमुख योजनाओं के माध्यम से ऋण पहुंच को सुगम बनाया जाएगा।
विविधीकरण और आजीविका सहायता:
- समुद्री कृषि और वैकल्पिक आजीविका का संवर्धन: सी केज फार्मिंग 9 (Sea-Cage Farming), समुद्री शैवाल की खेती और अन्य समुद्री कृषि अभ्यासों को प्रोत्साहित करने से वैकल्पिक आय मिलती है और जंगली जानवरों पर दबाव कम होता है।
- क्षमता निर्माण के लिए समर्थन: प्रशिक्षण, प्रदर्शन दौरे और क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और विपणन में सुधार करते हैं, जिससे तटीय समुदायों को लाभ होता है।
नियमों का महत्त्व
- पारिस्थितिक संरक्षण: मछली पकड़ने के हानिकारक तरीकों पर प्रतिबंध लगाने और न्यूनतम कैच साइज़ (कितनी मछलियाँ पकड़ी जा सकती हैं) को लागू करने से समुद्री जैव विविधता का संरक्षण होता है, मछली भंडार में वृद्धि होती है और पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है।
- सतत आजीविका: मछुआरा सहकारी समितियों को प्राथमिकता देना और समुद्री कृषि-आधारित आजीविका को बढ़ावा देना तटीय अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त बनाता है तथा जंगली मत्स्य पालन पर निर्भरता को कम करता है।
- नीली अर्थव्यवस्था का विकास: ये नियम संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देते हैं, समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ाते हैं, प्रमाणन-आधारित मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देते हैं और भारत के नीली अर्थव्यवस्था दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
- नियामक आधुनिकीकरण: एक वैज्ञानिक, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी-संचालित ढाँचा सतत दोहन, प्रभावी निगरानी और वैश्विक मत्स्य पालन मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करता है।
- समावेशी विकास: सामुदायिक भागीदारी और क्षमता निर्माण पहल समावेशी विकास को बढ़ावा देती हैं, छोटे मछुआरों और तटीय हितधारकों को सशक्त बनाती हैं।
अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के बारे में
- EEZ एक समुद्री क्षेत्र है जो किसी देश के समुद्र तट से 200 समुद्री मील तक फैला होता है, जहाँ उसे खनिजों और मत्स्य पालन जैसे प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन और प्रबंधन का विशेष अधिकार होता है।
- यह अवधारणा 1982 के संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) द्वारा गढ़ी गई थी और इसके अनुसार तटीय राज्यों का अनन्य आर्थिक क्षेत्रों की आर्थिक गतिविधियों और ऊर्जा उत्पादन पर पूरा अधिकार है, साथ ही यह अन्य देशों को नौवहन की स्वतंत्रता भी प्रदान करती है।
- भारत और EEZ: भारत का अनन्य आर्थिक क्षेत्र लगभग 2.37 मिलियन वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है, और इस प्रकार यह दुनिया का 18वां सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसमें मुख्य भूमि और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप जैसे द्वीपीय क्षेत्र शामिल हैं।
Sources:
The Hindu
Economic Times
