परिचय
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को प्रतिवर्ष दुनिया भर में मनाया जाता है।
- यह दिन राष्ट्रीय, जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, आर्थिक या राजनीतिक सीमाओं के पार महिलाओं उपलब्धियों के लिए पहचाना जाता है।
- 2025 का थीम– सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए: अधिकार। समानता। सशक्तिकरण।”
- इस वर्ष बीजिंग घोषणा और कार्रवाई के लिए मंच की 30वीं वर्षगांठ है।
महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के प्रयास
- संवैधानिक और कानूनी ढांचा
- भारत का संविधान अनुच्छेद 14, 15 और 51(A)(E) के माध्यम से लैंगिक समानता सुनिश्चित करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय संधियों में महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW), बीजिंग घोषणा और वैश्विक स्तर पर लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली संधियाँ शामिल हैं।
महिलाओं के उत्थान के लिए सरकारी योजनाएँ
1. शिक्षा
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (2009) सभी के लिए शिक्षा सुनिश्चित करता है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, समग्र शिक्षा अभियान और NEP 2020 लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं।
- शिक्षा में महिलाओं के नामांकन में वृद्धि, विशेष रूप से STEM में।
2. स्वास्थ्य और पोषण
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) गर्भवती महिलाओं को नकद प्रोत्साहन के साथ सहायता करती है।
- मातृ मृत्यु दर (MMR) और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) में कमी।
- जल जीवन मिशन और स्वच्छ भारत मिशन स्वच्छता और स्वास्थ्य में सुधार करते हैं।
3. आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन
- निर्णय लेने और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि।
- पीएम जन धन योजना, स्टैंड-अप इंडिया और मुद्रा योजना वित्तीय समावेशन और उद्यमिता का समर्थन करती है।
- स्वयं सहायता समूह (SHG) लाखों महिलाओं को वित्तीय अवसरों से जोड़ते हैं।
4. डिजिटल और तकनीकी सशक्तिकरण
- डिजिटल इंडिया पहल और PMGDISHA (प्रधानमंत्री डिजिटल साक्षरता अभियान) महिलाओं की डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देते हैं।
- कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) डिजिटल सेवाओं के साथ महिला उद्यमियों को सशक्त बनाते हैं।
5. सुरक्षा और संरक्षण
- निर्भया फंड (₹11,298 करोड़) वन स्टॉप सेंटर (OAC), इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS) -112 और सुरक्षित शहर परियोजनाओं जैसी पहलों का समर्थन करता है।
- आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018, घरेलू हिंसा से सुरक्षा अधिनियम, 2005 और POCSO अधिनियम, 2012 जैसे कानूनी ढांचे महिलाओं की सुरक्षा और कानूनी संरक्षण को बढ़ाते हैं।
संस्थागत और विधायी सुधार
- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 लैंगिक न्याय प्रावधानों को मजबूत करती है।
- नारी अदालत जैसी पहल और सीएपीएफ में बढ़ा हुआ प्रतिनिधित्व (33% महिला आरक्षण) कानून प्रवर्तन में लैंगिक समानता को बढ़ावा देता है।
निष्कर्ष
- भारत ने व्यापक नीतियों, लक्षित योजनाओं और कानूनी ढाँचों के माध्यम से महिला सशक्तिकरण में उल्लेखनीय प्रगति की है।
- ये कदम महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।