संदर्भ: 

हाल ही में, विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (World Intellectual Property Organization-WIPO) ने आनुवंशिक संसाधनों और इससे संबंधित पारंपरिक ज्ञान पर एक नई संधि को अपनाया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस नई संधि को जिनेवा में आयोजित एक राजनयिक सम्मेलन की 13-24 मई तक अर्थात, दो सप्ताह तक चली वार्ता के 24 मई को अपनाया गया था, जिसमें 192 देशों और 86 पर्यवेक्षकों ने भाग लिया था।
  • यह संधि भारत और ग्लोबल साउथ की एक बड़ी जीत है, क्योंकि इसे दो दशकों की बातचीत और बहुपक्षीय मंच पर सामूहिक समर्थन के बाद 150 से अधिक देशों की आम सहमति से अपनाया गया था।

इस संधि के अनुसार, यदि दावा किया गया आविष्कार उन सामग्रियों (आनुवंशिक संसाधनों) या इससे संबंधित पारंपरिक ज्ञान पर आधारित है, तो पेटेंट आवेदकों के लिए आनुवंशिक संसाधनों के मूल देश या स्रोत का उल्लेख करना अनिवार्य होगा।

  • वर्तमान पेटेंट कानून में, ऐसा कोई अनिवार्य प्रावधान नहीं है, जिसके तहत पेटेंट के आवेदकों से उन मामलों में मूल देश या स्रोत का उल्लेख करने की अपेक्षा की जाती हो जहाँ आविष्कार आनुवंशिक संसाधनों पर आधारित हो।
  • केवल 35 देशों में किसी न किसी रूप में प्रकटीकरण दायित्व है।  

पहली बार स्थानीय समुदायों और उनके आनुवंशिक संसाधनों (GR) तथा पारंपरिक ज्ञान (ATK) के बीच संबंध को वैश्विक बौद्धिक संपदा (IP) समुदाय में मान्यता दी गई है। 

  • आनुवंशिक संसाधन (GR) औषधीय पौधों, फसलों और पशु नस्लों जैसी चीज़ों में मौजूद होते हैं। हालाँकि आनुवंशिक संसाधनों को प्रत्यक्ष रूप से बौद्धिक संपदा के रूप में संरक्षित नहीं किया जा सकता है, लेकिन उनका उपयोग करके विकसित किए गए आविष्कारों को अक्सर पेटेंट के माध्यम से संरक्षित किया जा सकता है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

  • यह वर्ष 1967 में स्थापित एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है, जो बौद्धिक संपदा (IP) पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देती है।
  • यह बौद्धिक संपदा (IP) संबंधी चर्चाओं हेतु एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करता है, अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IP) संधियों का प्रबंधन करता है, तथा पंजीकरण और विवाद समाधान जैसी सेवाएँ प्रदान करता है।
  • यह एक स्व-वित्तपोषित एजेंसी है, जिसके 193 सदस्य देश हैं।
  • भारत वर्ष 1975 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) का सदस्य बना।
  • मुख्यालय: स्विट्जरलैंड के जिनेवा में। 

बौद्धिक संपदा (IP) क्या है?

  • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से अर्थ आविष्कारक या निर्माता को एक निश्चित अवधि तक अपने आविष्कार या सृजन की सुरक्षा हेतु प्रदान किए गए कानूनी अधिकारों (विशेष अधिकार) से है। 
  • यह मानव बुद्धि की मौलिक सृजन है। जैसे – कलात्मक, साहित्यिक, तकनीकी या वैज्ञानिक सृजन।

संधि का महत्व

  • यह संधि न केवल जैव विविधता की सुरक्षा करेगी, बल्कि पेटेंट व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ाने के साथ-साथ नवाचार को मजबूत करेगी।
  • यह संधि बौद्धिक संपदा अधिकारों और जैव विविधता संरक्षण के बीच संतुलन को बढ़ावा देती है जैव विविधता का संरक्षण।
  • इसके माध्यम से, बौद्धिक संपदा (IP) व्यवस्था सभी देशों और उनके समुदायों की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए, अधिक समावेशी तरीके से विकसित हुए नवाचार को प्रोत्साहित करते रह सकती है।
  • यह संधि उस सामूहिक विकास को प्राप्त करने तथा एक सतत भविष्य के वादे को पूरा करने के मार्ग की शुरुआत का प्रतीक है, जिसका भारत सदियों से समर्थन करता रहा है।

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