संदर्भ:

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मिस्र को मलेरिया मुक्त घोषित किया है। यह 100 मिलियन से अधिक आबादी वाले मिस्र के लिए एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य उपलब्धि है।

अन्य संबंधित जानकारी   

  • डब्ल्यूएचओ ने मिस्र की इस उपलब्धि को इसके लगभग 100 वर्षों के समर्पित प्रयासों का परिणाम बताया।
  • इस घोषणा के साथ ही मिस्र 44 देशों और एक क्षेत्र (विशिष्ट क्षेत्र  जो पूरी तरह से मान्यता प्राप्त स्वतंत्र देश नहीं है) वाली उस विशिष्ट सूची में शामिल हो गया है, जिन्हें वैश्विक स्तर पर मलेरिया मुक्त घोषित किया गया है।   
  • मिस्र की यह उपलब्धि (संक्रामक रोगों के निदान के उद्देश्य) सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों की व्यापक प्रवृत्ति को रेखांकित करती है।
  • संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और मोरक्को के बाद मिस्र  पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र में मलेरिया मुक्त घोषित होने वाला तीसरा देश बन गया है।

मलेरिया के विरुद्ध मिस्र के प्रयास        

डब्ल्यूएचओ के अनुसार  मिस्र में 1920 के दशक में मानव-मच्छर संपर्क को कम करने हेतु प्रयास शुरू किया गया था।

इन प्रयासों में घरों के आस-पास धान  की खेती पर प्रतिबंध लगाना भी शामिल था।

वर्ष 1942 तक, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जनसंख्या विस्थापन के कारण मिस्र में मलेरिया के मामले में तीन मिलियन की वृद्धि हुई ।

1960 के दशक में बने अस्वान  बाँध के कारण मलेरिया के नए खतरे उत्पन्न हुए,  इसके निर्माण से पानी एक स्थान पर जमा हो गया, जो मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन गया।  

  • वर्ष 2001 तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट में बताया गया कि मिस्र में मलेरिया “पूरी तरह नियंत्रण में है।” 

विश्व मलेरिया रिपोर्ट, 2023    

वैश्विक मामलों में वृद्धि: वर्ष 2022 में, वैश्विक स्तर पर मलेरिया के मामलों में 5 मिलियन की वृद्धि देखने को मिली, जिसके कारण इसके कुल मामले 249 मिलियन हो गए। यह कोविड-19 महामारी के बाद एक चिंताजनक प्रवृत्ति को रेखांकित करता है।

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, कुल 249 मिलियन मामलों में से 233 मिलियन (लगभग 94 प्रतिशत) मामले अफ्रीकी क्षेत्र में देखने को मिले। इनमें से नाइजीरिया (27 प्रतिशत), काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य (12 प्रतिशत), युगाँडा (5 प्रतिशत) और मोजाम्बिक (4 प्रतिशत) शामिल थे, जो कुल मामलों के लगभग 50 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार थे।

क्षेत्रीय योगदान: पाकिस्तान में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई, जहाँ वर्ष 2022 में भीषण बाढ़ के कारण 2.1 मिलियन अतिरिक्त मामले दर्ज किए गए।

11 देशों में केंद्रित वैश्विक मलेरिया का बोझ: बुर्किना फासो, कैमरून, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, घाना, भारत, माली, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, युगाँडा और तंजानिया।

मलेरिया मृत्यु दर: वर्ष 2022 में मलेरिया से होने वाली कुल  मृत्यु दर में से 94 प्रतिशत भारत और इंडोनेशिया में दर्ज की गई, जो इस बीमारी के उन्मूलन की चुनौतियों को रेखांकित करती है।  

दक्षिण एशिया क्षेत्र: दक्षिण एशियाई क्षेत्र में, मालदीव और श्रीलंका को क्रमशः वर्ष 2015, 2016 में डब्ल्यूएचओ द्वारा मलेरिया मुक्त  देश घोषित किया गया।

  • वर्ष 2022 में, भूटान और तिमोर-लेस्ते में मलेरिया का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया, तथा  इस वर्ष नेपाल में पहली बार मलेरिया से कोई भी मृत्यु दर्ज नहीं की गई।

भारत की स्थिति   

भारत ने पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2022 में मलेरिया के मामले में 30 प्रतिशत और मृत्यु दर में 34 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।

भारत में वैश्विक स्तर पर मलेरिया के कुल मामलों का केवल 1.4 प्रतिशत ही दर्ज किया गया, जो प्रभावी प्रबंधन रणनीतियों को दर्शाता  है।

भारत की सफलता के प्रमुख कारकों में सुदूर क्षेत्रों में उन्नत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और डिजिटल डेटा-समर्थित निगरानी प्रणाली शामिल हैं, जिसने शीघ्र पहचान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।

सरकार द्वारा संचालित प्रमुख पहल    

  • राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन फ्रेमवर्क (NFME) 2016-2030:  वर्ष 2030 तक इस रोग के उन्मूलन हेतु  रूपरेखा निर्धारित की गई है।
  • इस फ्रेमवर्क को देश से मलेरिया उन्मूलन के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा गरीबी उन्मूलन में योगदान देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

भारत में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन रणनीतिक योजना (2023-2027): इसे  विश्व स्वास्थ्य संगठन  के सहयोग से राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (NCVBDC) द्वारा तैयार किया गया है। 

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