संदर्भ:
हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अपनी परीक्षा प्रणाली को नई तकनीक के साथ दुरुस्त करने के लिए कदम उठाए हैं।
अन्य संबंधित जानकारी
- यह कदम राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित UGC NET और NEET जैसी अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में हुए घोटालों और कई सिविल सेवा परीक्षा (CSE) प्रयासों में कथित दस्तावेज़ जालसाजी से जुड़े पूजा खेडकर विवाद के बाद उठाया गया है।
- UPSC ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) को प्रतिरूपण और धोखाधड़ी रोकने के लिए प्रौद्योगिकी समाधान विकसित करने हेतु एक निविदा जारी की है।
प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन:
बायोमेट्रिक सत्यापन:
- परीक्षाओं के दौरान सुरक्षा बढ़ाने और प्रतिरूपण को रोकने के लिए आधार-आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण, चेहरे की पहचान प्रणाली और रीयल टाइम जीपीएस-ट्रैक उपस्थिति निगरानी का उपयोग किया जाएगा।
सीसीटीवी द्वारा निगरानी:
- सभी परीक्षा केंद्रों की कक्षाओं में AI संचालित सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिनमें प्रत्येक 24 अभ्यर्थियों के लिए कम से कम एक कैमरा होगा तथा प्रवेश/निकास द्वारों और नियंत्रण कक्ष में अतिरिक्त कैमरे होंगे।
- संघ लोक सेवा आयोग अधिकारियों को वास्तविक समय की निगरानी के लिए इन फीड्स तक दूरस्थ पहुंच प्राप्त होगी।
क्यूआर कोड प्रणाली:
- एडमिट कार्ड में क्यूआर कोड शामिल होंगे, जिससे उम्मीदवार का विवरण तुरंत प्राप्त किया जा सकेगा। उन मामलों के लिए मैन्युअल एंट्री बैकअप उपलब्ध है, जहाँ क्यूआर कोड स्कैनिंग असफल होती जाती है।
UPSC के बारे में:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 315 के तहत UPSC एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है।
- UPSC के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- UPSC का कोई भी सदस्य छह वर्ष की अवधि तक या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक (जो भी पहले हो) पद पर बना रहेगा।
- यह भारत की केंद्रीय भर्ती एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- UPSC भारत सरकार में ग्रुप ‘ए’ और ग्रुप ‘बी’ पदों पर भर्ती के लिए प्रतिवर्ष 14 परीक्षाएं आयोजित करता है।
- भारतीय संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से 323 में संघ के लिए एक लोक सेवा आयोग और प्रत्येक राज्य के लिए एक लोक सेवा आयोग की स्थापना का प्रावधान है। प्रत्येक राज्य का अपना लोक सेवा आयोग होता है जिसके कार्य संघ लोक सेवा आयोग के समान होते हैं।
चुनौतियाँ और विचारणीय बातें :
- बुनियादी ढांचे का विकास: देश भर में UPSC परीक्षा केंद्रों में बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को लागू करने के लिए बायोमेट्रिक स्कैनर और सुरक्षित डेटाबेस सहित मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है।
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: उम्मीदवारों के संवेदनशील बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है। UPSC को डेटा उल्लंघन और दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े प्रोटोकॉल स्थापित करने चाहिए, ताकि उम्मीदवारों की गोपनीयता सुनिश्चित हो सके।
- तकनीकी गड़बड़ियों की संभावना: नई प्रणाली का सफल क्रियान्वयन इसकी विश्वसनीयता पर निर्भर करता है। संभावित तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए आकस्मिक योजनाएँ बनाई जानी चाहिए जो परीक्षा प्रक्रिया को बाधित न कर सकें।
Also Read:
सुप्रीम कोर्ट ‘भूल जाने के अधिकार’ संबंधित याचिका की जांच करेगा