संदर्भ:

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने टीबी रोगियों और उनके संपर्क में आने वाले परिजनों  के  पोषण के लिए मिलने वाली सहायता को बढ़ाने के लिए कई प्रमुख पहलों की घोषणा की।

अन्य संबंधित जानकारी      

  • निक्षय पोषण योजना (NPY) के अंतर्गत उपचार की पूरी अवधि के दौरान प्रतिमाह मिलने वाली पोषण सहायता राशि को मौजूदा 500 रुपये प्रति रोगी से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति रोगी कर दिया गया है।   
  • इस प्रकार, सभी टीबी रोगियों को  निक्षय पोषण योजना (NPY) के तहत 3,000 रुपये के बजाय 6,000 रुपये की पोषण सहायता प्राप्त होगी।

18.5 से कम बीएमआई वाले सभी रोगियों हेतु ऊर्जा सघन पोषण अनुपूरक (Energy Dense Nutrition Supplementation (EDNS) ) को भी शुरू किया गया है, जिसके अंतर्गत लगभग 12 लाख कम वजन वाले रोगी आच्छादित  होते हैं।

  • सभी पात्र मरीजों को उनके उपचार के पहले दो महीनों के लिए ऊर्जा सघन पोषण अनुपूरक (EDNS) प्रदान किया जाएगा।    
  • इसके परिव्यय में केन्द्र और राज्यों के बीच का अनुपात 60:40 होगा।

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (PMTBMBA) के अंतर्गत नि-क्षय मित्र पहल के दायरे  को टीबी रोगियों के परिवार के सदस्यों (घरेलू संपर्क) तक भी विस्तारित किया है।

  • टीबी रोगियों को सामुदायिक सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सितंबर, 2022 में प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (PMTBMBA) शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य सभी पृष्ठभूमि के लोगों को एक ‘जन आंदोलन’ के लिए एक-साथ लाना और टीबी उन्मूलन की दिशा में प्रगति को आगे बढ़ाना है।

क्षय  रोग (टीबी)

  • टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक संक्रामक रोग है। यह तब फैलता है, जब टीबी से पीड़ित लोग जीवाणु (बैक्टीरिया) को वायु  में छोड़ते हैं।
  •  फेफड़े की टीबी से पीड़ित व्यक्ति के खाँसने , छींकने  या थूकने से ,  टीबी हवा के माध्यम से फैलता है। टीबी, एचआईवी से पीड़ित लोगों की मृत्यु का प्रमुख कारण होने के साथ-साथ रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) का  भी प्रमुख कारण है।
  • ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, लगभग 87% नए टीबी मामले 30 उच्च टीबी बोझ वाले देशों में दर्ज किए गए। हालाँकि वैश्विक स्तर पर दर्ज कुल मामलों का दो-तिहाई से अधिक मामले निम्नलिखित आठ देशों – भारत (27%), इंडोनेशिया (10%), चीन (7.1%), फिलीपींस (7.0%), पाकिस्तान (5.7%), नाइजीरिया (4.5%), बांग्लादेश (3.6%) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (3.0%)- में दर्ज किया गया।
  •  टीबी मामलों की संख्या वर्ष 2022 के 24.2 लाख से बढ़कर वर्ष 2023 में 25.5 लाख हो गई है।
  • टीबी एक उपचार योग्य बीमारी है। इसका उपचार 4 एंटीबायोटिक दवाओं के 6 महीने के मानक कोर्स से किया जाता है। इसके उपचार हेतु प्रचलित दवाओं में रिफैम्पिसिन (Rifampicin) और आइसोनियाज़िड (Isoniazid) शामिल हैं।

दवा प्रतिरोधी टीबी रोग के प्रकार: 

  • मोनो-रेज़िस्टेंट टीबी रोग: यह टीबी जीवाणु (बैक्टीरिया) के कारण होता है। यह  टीबी दवा के प्रति प्रतिरोधी होता है।
  • पोली-रेज़िस्टेंट टीबी रोग:  यह टीबी जीवाणु (बैक्टीरिया) के कारण होता है। आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन दोनों के अलावा एक से अधिक प्रथम-पंक्ति एंटी-टीबी दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते है ।   
  • मल्टीड्रग-रेज़िस्टेंट टीबी (एमडीआर टीबी) रोग: यह टीबी जीवाणुओं के कारण होता है। यह सबसे प्रभावी प्रथम-पंक्ति टीबी उपचार दवाएँ आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिन के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।
  • एक्सटेंसिवली ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी (एक्सडीआर टीबी) रोग: एमडीआर टीबी का एक दुर्लभ प्रकार है, जो टीबी जीवाणुओं के कारण होता है, जो निम्नलिखित दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं:
  • आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिन, एक फ्लोरोक्विनोलोन के अलावा द्वितीय-पंक्ति का इंजेक्शन (अमीकासिन, कैप्रियोमाइसिन और कैनामाइसिन)।

टीबी उन्मूलन के लिए भारत की पहल

  • राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन रणनीतिक योजना (NSP) (2017-2025): यह एक फ्रेमवर्क है, जो वर्ष 2025 तक भारत में क्षय रोग (टीबी) के उन्मूलन करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता  है।
  • टीबी-मुक्त पंचायत पहल: यह वर्ष 2025 तक तपेदिक (टीबी) उन्मूलन की दिशा में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग करने वाली पहल है।
  • DOTS (प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन उपचार लघु-पाठ्यक्रम): यह टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक वाली एक  रणनीति है। भारत ने वर्ष 1993 से राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत DOTS को अपनाया और उसका परीक्षण किया है।

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