संदर्भ:
हाल ही में, अमेरिका की वेव लाइफ साइंसेज नामक एक जैव प्रौद्योगिकी कंपनी ने RNA एडिटिंग का उपयोग कर मनुष्यों में आनुवंशिक समस्याओं के उपचार के लिए एक नैदानिक उपचार शुरू किया है, जिससे वह RNA एडिटिंग का प्रयोग करने वाली पहली कंपनी बन गई है।
RNA एडिटिंग क्या है?
- कोशिकाएँ mRNA को संश्लेषित करने के लिए DNA निर्देशों का उपयोग करती हैं, जिसका अध्ययन प्रोटीन बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, mRNA में त्रुटियों के कारण दोषपूर्ण प्रोटीन उत्पन्न हो सकते हैं, परिणामस्वरूप विभिन्न विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
- RNA एडिटिंग से वैज्ञानिकों को mRNA में हुई त्रुटियों को ठीक करने की सुविधा मिलती है, यह प्रक्रिया कोशिका द्वारा इसे संश्लेषित करने के बाद, लेकिन प्रोटीन बनाने से पहले होती है।
RNA एडिटिंग का कार्य:
- ऐसी ही एक तकनीक में RNA (ADAR) पर कार्यरत एडेनोसिन डीएमीनेज नामक एंजाइमों का एक समूह शामिल होता है।
- ADAR एंजाइम mRNA में मौजूद कुछ एडेनोसिन ब्लॉकों को इनोसिन में परिवर्तित कर देते हैं, जो ग्वानोसिन की तरह कार्य करता है।
- यह परिवर्तन कोशिका को mRNA में समस्या को पहचानने और ठीक करने में सहायता करता है, जिससे कोशिका सामान्य प्रोटीन का उत्पादन कर पाती है।
- वैज्ञानिक ADAR को RNA अनुक्रम में सटीक स्थानों पर निर्देशित करने के लिए gRNA का उपयोग करते हैं, जिससे लक्षित संशोधन सुनिश्चित होता है।
RNA बनाम DNA एडिटिंग
सुरक्षा और लचीलापन: DNA एडिटिंग व्यक्ति के जीनोम में स्थायी परिवर्तन करता है और कभी-कभी इससे अपरिवर्तनीय त्रुटियाँ हो सकती हैं। दूसरी ओर, RNA एडिटिंग अस्थायी परिवर्तन करता है, जिससे एडिटिंग का प्रभाव समय के साथ कम हो जाता है।
प्रतिरक्षाजन्यता में कमी: CRISPR-Cas9 जैसे DNA एडिटिंग उपकरण जीवाणु प्रोटीन का उपयोग करते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को सक्रिय कर सकते हैं, जबकि RNA एडिटिंग प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ADAR एंजाइमों पर निर्भर करता है, जिससे एलर्जी का जोखिम कम होता है।
- इससे निरंतर उपचार की आवश्यकता वाले या प्रतिरक्षा संवेदनशीलता वाले रोगियों के लिए RNA एडिटिंग अधिक सुरक्षित हो जाता है।
एकल-बिंदु उत्परिवर्तन के उपचार में सटीकता: RNA एडिटिंग विशेष रूप से जीनोम में परिवर्तन किए बिना एकल-बिंदु उत्परिवर्तन को ठीक करने के लिए उपयुक्त है, जिससे यह विभिन्न वंशानुगत विकारों के लिए आदर्श बन जाता है।
RNA एडिटिंग में चुनौतियाँ
विशिष्टता संबंधी मुद्दे: ADARs, mRNA के लक्षित और गैर-लक्षित दोनों भागों में एडीनोसिन-इनोसिन परिवर्तन कर सकते हैं, या लक्षित भागों को पूरी तरह से छोड़ सकते हैं।
- जब ADARs, आवश्यक एडेनोसिन के साथ संरेखित नहीं होते, तो संभावित रूप से गंभीर दुष्प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं।
RNA एडिटिंग की क्षणभंगुरता: अस्थायी एडिटिंग के कारण चिकित्सीय लाभ बनाए रखने के लिए निरंतर उपचार की आवश्यकता होती है, जिससे उपचार की जटिलता बढ़ जाती है।
वितरण सीमाएं: gRNA-ADAR कॉम्प्लेक्स को वितरित करने की वर्तमान विधियां, जैसे लिपिड नैनोकण और एडेनो-एसोसिएटेड वायरस (AAV), बड़े अणुओं को ले जाने में सीमीति क्षमताओं का सामना करती हैं, जिससे RNA एडिटिंग का दायरा सीमित हो जाता है।
आगे की राह
- RNA एडिटिंग आणविक चिकित्सा में एक नया प्रतिमान प्रस्तुत करता है, जो लचीलेपन और सुरक्षा के संदर्भ में DNA एडिटिंग की कमियों को दूर करता है।
- यद्यपि RNA एडिटिंग अपनी प्रारंभिक अवस्था में है, फिर भी दुनिया भर में कम से कम 11 जैव प्रौद्योगिकी कंपनियां विभिन्न रोगों के लिए RNA एडिटिंग विधियां विकसित कर रही है।
- जैसा कि RNA एडिटिंग के क्षेत्र में अनुसंधान और नैदानिक परीक्षण प्रगति कर रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है कि RNA एडिटिंग नैदानिक अभ्यास में जीन-एडिटिंग टूलकिट का एक अभिन्न अंग बन जाएगा।