संदर्भ:
QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स सूचकांक 2025 के अनुसार, भारत ‘भविष्य के कार्य’ श्रेणी के अंतर्गत अमेरिका के बाद दूसरा सबसे पसंदीदा देश बनकर उभरा है।
रिपोर्ट 2025 की मुख्य विशेषताएं:
- QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स सूचकांक 2025 में भारत 76.6 के समग्र स्कोर के साथ 25वें स्थान पर है , जो देश को “भविष्य के कौशल का दावेदार” के रूप में स्थापित करता है।
- सूचकांक में शीर्ष पांच देशों में अमेरिका (97.6), यूके (97.1), जर्मनी (94.6), ऑस्ट्रेलिया (93.3) और कनाडा (91.0) शामिल हैं; इन्हें “भविष्य के कौशल अग्रदूतों” के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- भारत ने ‘ कार्य के भविष्य’ के सूचक में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है, जिसमें 100 में से 99.1 अंक प्राप्त हुए हैं। यह भविष्य में नौकरियों, विशेषकर डिजिटल, AI और हरित कौशल के लिए लिए इसकी मजबूत तैयारी को दर्शाता है।
- भारत ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में उद्यम पूंजी(वेंचर कैपिटल) और संवृद्धि निधि वित्तीयन के लिए दूसरे सबसे बड़े गंतव्य के रूप में अपनी स्थिति को यथावत रखा है।
- भारत का आर्थिक परिवर्तन विकास, कार्यबल दक्षता और उच्च शिक्षा की उभरती भूमिका के अंतर्संबंध से प्रेरित है।
चुनौतियाँ :
- भारत को ‘कौशल फिट’ पैरामीटर में स्कोर केवल 59.1 हैं, जो शीर्ष 30 देशों में सबसे कम है। यह कार्यबल के कौशल और तेजी से बदलते उद्योगों की जरूरतों के बीच एक विसंगति को दर्शाता है।
- भारत ने स्थिरता में भविष्योन्मुख नवाचार के पैरामीटर (आर्थिक परिवर्तन में उप-पैरामीटर) में खराब प्रदर्शन किया तथा 100 में से केवल 15.6 अंक अर्जित किए।
- इसके विपरीत, G7 देशों ने टिकाऊ प्रथाओं में अधिक निवेश और नवाचार की आवश्यकता पर बल देते हुए 68.3 अंक प्राप्त किए।
- रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली उद्योग की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तेज़ी से विकसित नहीं हो रही है। स्नातक अक्सर नियोक्ताओं द्वारा अपेक्षित प्रासंगिक कौशलयुक्त नहीं होते हैं।
सुधार हेतु सिफ़ारिशें:
- रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रम में रचनात्मकता, समस्या समाधान और उद्यमशीलता संबंधी विचार को शामिल करने को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- शैक्षिक कार्यक्रमों को वास्तविक नौकरी की मांग के अनुरूप बनाने के लिए शिक्षा जगत और उद्योग के बीच बेहतर सहयोग आवश्यक है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और ULLAS (समाज में सभी के लिए आजीवन सीखने की समझ) जैसी नीतियों द्वारा समर्थित पुनः कौशलीकरण (रीस्किलिंग) और उच्च कौशलीकरण (अपस्किलिंग) पहल भी महत्वपूर्ण हैं।
QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स सूचकांक के बारे में
- QS वर्ल्ड फ्यूचर स्किल्स सूचकांक लंदन स्थित उच्च शिक्षा फर्म क्वाक्वेरेली साइमंड्स (QS) द्वारा शुरू किया गया एक व्यापक मूल्यांकन है।
- यह सूचकांक मापता है कि वैश्विक नौकरी बाजार की उभरती मांगों को पूरा करने के लिए देश कितनी अच्छी स्थिति में हैं।
- मूल्यांकन में शामिल हैं: रैंकिंग तैयार करने के लिए 190 से अधिक देश, 280 मिलियन नौकरी नियुक्ति, 5,000 विश्वविद्यालय, पांच मिलियन नियोक्ता कौशल आवश्यकता और 17.5 मिलियन शोध पत्रों का विश्लेषण किया गया है।
- सूचकांक के चार मुख्य संकेतक:
- कौशल अनुकूलता : शिक्षा प्रणाली उद्योग की आवश्यकताओं के साथ कितनी अच्छी तरह संरेखित है।
- शैक्षिक तत्परता : किसी देश की भविष्य के उद्योगों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने की क्षमता।
- कार्य का भविष्य : किसी देश के श्रम बाजार में भविष्य में आवश्यक कौशलों की भर्ती के लिए तैयारी।
- आर्थिक परिवर्तन : किसी देश की अर्थव्यवस्था कौशल-आधारित औद्योगिक विकास का लाभ उठाने के लिए कितनी तैयार है।
- देशों को चार समूहों में वर्गीकृत किया गया है:
- भविष्य के कौशल अग्रदूत
- अभ्यासकर्ता
- प्रतियोगी
- अभ्यर्थी
भारत में कुशल कार्यबल अंतर पर अन्य रिपोर्टें
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC ) के अध्ययन से पता चला है कि पिछले वर्ष सितम्बर में कुशल श्रमिकों की भारी कमी थी तथा मांग 103 मिलियन थी, जबकि वर्तमान आपूर्ति 74 मिलियन है।
- विश्व आर्थिक मंच ने रिपोर्ट में बताया थी कि भारत के कार्यबल का केवल एक हिस्सा ही रोजगार के योग्य है। हर साल कार्यबल में शामिल होने वाले 13 मिलियन लोगों में से केवल 25 प्रतिशत प्रबंधन पेशेवर, 20 प्रतिशत इंजीनियर और 10 प्रतिशत स्नातक ही रोजगार के मानकों को पूरा करते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की 2023 वैश्विक कौशल अंतर मापन रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 47 प्रतिशत भारतीय श्रमिक, जिनमें 62 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं, अपनी नौकरियों के लिए अयोग्य हैं।