संदर्भ: देवा ब्लॉक के बंधिया (गंगवारा) गांव में 35 से अधिक किसानों ने MintUP परियोजना के अंतर्गत CSIR-CIMP, लखनऊ के सहयोग से सौर ऊर्जा आधारित आवश्यक तेल निष्कर्षण तकनीक अपनाई है, जिससे पर्यावरणीय प्रभाव में उल्लेखनीय कमी आई है और संसाधनों का संरक्षण हुआ है।
अन्य महात्त्वपूर्ण तथ्य
- हेलियन यूके प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रायोजित, यह पहल गांव को भारत में टिकाऊ और जलवायु-लचीली खेती के मॉडल के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।
- CSIR-CIMP ने सुगंधित फसलों से आवश्यक तेल निकालने के लिए एक पर्यावरण-अनुकूल केंद्रीकृत सौर हाइब्रिड आसवन इकाई (CSHDU) विकसित की है।
- यह नई तकनीक कार्बन उत्सर्जन को कम करने, किसानों की आय बढ़ाने और टिकाऊ खेती के तरीकों को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई है।
- CSHDU तकनीक भाप पैदा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करती है, जिससे दिन के दौरान लकड़ी जलाने की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और पर्यावरण प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आती है।
- बाराबंकी में एक किसान के घर पर एक टन क्षमता वाला प्रोटोटाइप सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है।
- इस इकाई में 40 सौर पैनल, एक हाइब्रिड स्टीम बॉयलर और स्टीम जेनरेशन सिस्टम हैं, जो सभी लगातार और कुशल स्टीम उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

- यह किसानों और पर्यावरण दोनों के लिए दीर्घकालिक लाभ के साथ हरित भविष्य की ओर एक बड़ा कदम है।
- इस तकनीक को अपनाकर, सुगंधित फसल उगाने वाले किसान उच्च शुद्धता वाले आवश्यक तेल, बेहतर पैदावार और बढ़ी हुई आय की उम्मीद कर सकते हैं।
- गाँवों में किसान अब सौर पैनलों का उपयोग न केवल सिंचाई के लिए पानी के पंप चलाने में कर रहे हैं, बल्कि बैटरी चार्ज करने और अपने घरों में बिजली की आपूर्ति जैसे अन्य कृषि एवं घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कर रहे हैं।
- इस पहल ने डीजल से चलने वाले पानी के पंपों पर उनकी निर्भरता को काफी कम कर दिया है, जिससे सिंचाई के दौरान कार्बन उत्सर्जन शून्य हो गया है।
- यह पंपों को चलाने के लिए डीजल खरीदने की आवश्यकता को समाप्त करके इनपुट लागत को कम करने में मदद करता है।