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सामान्य अध्ययन-  3: विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

संदर्भ:

हाल ही में INS उदयगिरि, प्रोजेक्ट 17A के अंतर्गत निर्मित दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट, भारतीय नौसेना को सौंपा गया।       

अन्य संबंधित जानकारी

  • उदयगिरि को लॉन्चिंग की तिथि से केवल 37 महीनों के रिकॉर्ड समय में भारतीय नौसेना को सौंपा गया है।
  • यह अपने पूर्ववर्ती INS उदयगिरि का आधुनिक रूप है, जो एक स्टीम शिप था और 24 अगस्त 2007 को 31 वर्षों तक राष्ट्र की सेवा करने के बाद सेवामुक्त कर दिया गया था।
  • P 17A श्रेणी के शेष पाँच जहाज विभिन्न निर्माण चरणों में हैं, जिन्हें माझगांव डॉक लिमिटेड (MDL), मुंबई और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता में तैयार किया जा रहा है, और इन्हें वर्ष 2026 के अंत तक चरणबद्ध तरीके से सौंपा जाएगा।
  • उदयगिरि का निर्माण भारत की नौसैनिक जहाज निर्माण एवं अभियांत्रिकी क्षमता को दर्शाता है, जो 200 से अधिक MSMEs के मजबूत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र से समर्थित है।
  • नव-डिज़ाइन किए गए जहाजों का निर्माण ‘इंटीग्रेटेड कंस्ट्रक्शन’ की अवधारणा के आधार पर किया जा रहा है, जिसमें संपूर्ण निर्माण अवधि को कम करने के लिए प्रारंभिक चरणों में ही व्यापक प्री-आउटफिटिंग की जाती है।
  • स्वदेशी जहाज निर्माण का “प्लाउ बैक प्रभाव” (Plough Back Effect) होता है, जिससे लगभग 4,000 कर्मियों को प्रत्यक्ष रूप से और 10,000 से अधिक को अप्रत्यक्ष/सहायक स्रोतों से रोजगार प्राप्त होता है।
  • इस जहाज निर्माण परियोजना के सकारात्मक प्रभावों में आत्मनिर्भरता, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन, MSMEs और सहायक पारिस्थितिकी तंत्र का विकास शामिल है।

INS उदयगिरि

  • यह भारतीय नौसेना के आंतरिक युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन और वितरित किया जाने वाला 100वां युद्धपोत बन गया।
  • इसका निर्माण माझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDSL), मुंबई द्वारा किया गया है।
  • इस युद्धपोत में प्रमुख हथियारों और सेंसरों को स्वदेशी मूल उपकरण निर्माताओं (OEMs) से प्राप्त कर लगाया गया है।

प्रोजेक्ट 17-A

  • प्रोजेक्ट 17 के तहत शिवालिक श्रेणी के आगामी संस्करण के रूप में निर्मित सात स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट का बेड़ा । 
  • इसकी शुरुआत 2015 में हुई थी और इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL), मुंबई और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा किया जा रहा है।
  • P17A जहाजों का पतवार P17 श्रेणी की तुलना में भू-सममितीय रूप से4.54% बड़ा है। इन जहाजों में उन्नत हथियार और सेंसर प्रणाली स्थापित की गई है, जिनमें और अधिक स्लीक  एवं स्टील्थ  विशेषताएँ शामिल हैं, जो इन्हें P17 श्रेणी के मुकाबले और अधिक सक्षम बनाती हैं।  
  • इन जहाजों को कंबाइंड डीज़ल या गैस (CODOG) मुख्य प्रणोदन प्रणाली से सुसज्जित किया गया है, जिसमें डीज़ल इंजन और गैस टरबाइन शामिल हैं। ये प्रणालियाँ प्रत्येक शाफ्ट पर कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर (CPP) को संचालित करती हैं। इसके अतिरिक्त, जहाजों में एक अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम (IPMS) भी स्थापित किया गया है।
  • हथियार प्रणाली में शामिल हैं — सुपरसोनिक सतह से सतह मारक मिसाइल प्रणाली, मध्यम दूरी की सतह से वायु मारक मिसाइल प्रणाली, 76 मिमी गन, तथा 30 मिमी और 12.7 मिमी की रैपिड फायर क्लोज-इन वेपन सिस्टम्स का संयोजन। 
  • ये मल्टी-मिशन फ्रिगेट्स ‘ब्लू वॉटर’ वातावरण में संचालन करने में सक्षम हैं और भारत के समुद्री हितों के क्षेत्र में पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक दोनों प्रकार के खतरों से प्रभावी ढंग से निपट सकते हैं। 

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