संदर्भ:

हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने घोषणा की है कि भारत ने ट्रैकोमा को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • भारत को इसका प्रशस्ति पत्र नई दिल्ली में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के 77वें क्षेत्रीय सम्मेलन में प्राप्त हुआ।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में नेपाल और म्यांमार के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला तीसरा देश भारत बन गया है।
  • भारत विश्व के उन 19 अन्य देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने पहले यह उपलब्धि हासिल की है।
  • ट्रेकोमा का उन्मूलन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2021-2030 के उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग रूपरेखा का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 20 रोगों और रोग समूहों की रोकथाम, नियंत्रण उन्मूलन करना और मिटाना है। 
  • भारत को वर्ष 2017 में संक्रामक ट्रेकोमा से मुक्त घोषित किया गया था। हालाँकि, वर्ष 2019 से वर्ष 2024 तक भारत के सभी जिलों में ट्रेकोमा मामलों की निगरानी जारी रहेगी।

ट्रेकोमा क्या है?

  • ट्रेकोमा, जिसे “गुलाबी आँख” के नाम से भी जाना जाता है, क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक जीवाणु के कारण होने वाला एक जीवाणु संक्रमण है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रेकोमा को एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) कहा है। यह संक्रामक रोग है, जो संक्रमित लोगों की आंखों, पलकों, नाक या गले के स्राव के संपर्क में आने से फैलता है। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो बार-बार संक्रमण से अंधापन हो सकता है।
  • यह समस्या विशेष रूप से गरीब क्षेत्रों में अधिक पाई जाती है, जहां साफ-सफाई की स्थिति खराब होती है तथा स्वच्छ जल की उपलब्धता सीमित है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार विश्व भर में 150 मिलियन लोग ट्रैकोमा से प्रभावित हैं और उनमें से 6 मिलियन लोग नेत्रहीन हैं या उन्हें दृष्टि संबंधी जटिलताओं का खतरा है।
  • एजिथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक्स के माध्यम से ट्रेकोमा को प्रारंभिक अवस्था में रोका जा सकता है और इसका उपचार किया जा सकता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रेकोमा के उन्मूलन के लिए सेफ (SAFE) रणनीति अपनाने की सिफारिश की है।

ट्रेकोमा उन्मूलन के लिए भारत की पहल

  • राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम: इसे वर्ष 1963 में शुरू किया गया था और बाद में ट्रेकोमा नियंत्रण प्रयासों को भारत के राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम (NPCB) में एकीकृत कर दिया गया।
  • राष्ट्रीय अंधता एवं दृष्टि हानि नियंत्रण कार्यक्रम (NPCBVI): इसे वर्ष 1976 में एक केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य वर्ष 2020 तक अंधेपन की व्यापकता को 1.4% से घटाकर 0.3% करना था। 
  • राष्ट्रीय ट्रैकोमैटस ट्राइकियासिस (केवल टीटी) सर्वेक्षण भी किया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित एक अधिदेश था ताकि यह घोषित किया जा सके कि भारत ने सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रैकोमा को समाप्त कर दिया है।

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