संदर्भ 

हाल ही में, केंद्र सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को महारत्न श्रेणी के केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र  उद्यम  (CPSEs) में निर्दिष्ट करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी है।  

अन्य संबंधित जानकारी     

  • इसके साथ ही, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) महारत्न  का दर्ज प्राप्त करने वाला 14वाँ केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSEs) बन गया है। महारत्न एक ऐसा दर्जा है, जो प्राप्तकर्ता की परिचालन स्वायत्तता और वित्तीय शक्तियों को और बढ़ाता है।
  • महारत्न का दर्ज प्राप्त करने वाले 14 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSEs) हैं – बीएचईएल (BHEL), बीपीसीएल (BPCL), कोल इंडिया, गेल (GAIL), एचपीसीएल (HPCL), इंडियन ऑयल,                  एनटीपीसी (NTPC), ओएनजीसी (ONGC), पावर ग्रिड, सेल (SAIL), ऑयल इंडिया, आरईसी (REC), पीएफसी (PFC) और एचएएल (HAL)।
  • इस प्रस्ताव की अनुशंसा पहले वित्त सचिव की अध्यक्षता वाली अंतर-मंत्रालयी समिति और कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली शीर्ष समिति द्वारा की गई थी।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बारे में

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग (Department of Defence Production-DoDP) के अंतर्गत एक प्रमुख एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी है। इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है।
  • यह सैन्य और नागरिक दोनों के उपयोग वाले विमान, हेलीकॉप्टर, इंजन और इससे संबंधित प्रणालियों के डिजाइन, विकास, निर्माण और रखरखाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • एचएएल (HAL) अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) के तहत  लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट(LCA) तेजस , ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) और सुखोई एसयू-30एमकेआई( Su-30MKI) लड़ाकू विमानों जैसे प्रमुख सैन्य विमानों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि   

  • भारत में विमान निर्माण के उद्देश्य से श्री वालचंद हीराचंद द्वारा तत्कालीन मैसूर सरकार के सहयोग से दिसंबर, 1940 में बैंगलोर में हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड (Hindustan Aircraft Limited) के रूप में इसकी स्थापना की गई थी।   
  • मार्च, 1941 में भारत सरकार कंपनी की  शेयरधारक बन गयी तत्पश्चात  वर्ष 1942 में इसका  प्रबंधन  अपने नियंत्रण में ले लिया।
  • जनवरी, 1951 में, हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में रखा  गया।
  • अगस्त, 1963 में, एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड (AIL) को अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) पर मिग-21 विमान का निर्माण करने के लिए भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में शामिल किया  गया।
  • 1 अक्तूबर, 1964 को भारत सरकार के एक समामेलन यानी विलय आदेश (Amalgamation Order) के माध्यम से हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड और एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड का विलय किया  गया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का गठन हुआ।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (CPSEs) का वर्गीकरण

  • सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) को तीन समूहों – महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न – के रूप में वर्गीकृत करती है।
  • विभिन्न सीपीएसई को “रत्न” का दर्जा देने का मुख्य उद्देश्य राज्य द्वारा संचालित उपक्रमों को परिचालन स्वतंत्रता और स्वयं ही निर्णयलेने की शक्ति प्रदान करना  था।
मानदंडमहारत्ननवरत्नमिनीरत्न
पात्रता·         पहले से नवरत्न कंपनी का दर्जा  प्राप्त होना  चाहिए तथा  सेबी विनियमों के तहत न्यूनतम निर्धारित सार्वजनिक शेयरधारिता के साथ स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना चाहिए।·         पिछले तीन वर्षों के दौरानइसका औसत वार्षिक कारोबार 25,000 करोड़ रुपये से अधिक तथा  निवल (शुद्ध) संपत्ति 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होना  चाहिए।  कर के बाद निवल (शुद्ध) लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए।·         कंपनी का महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय परिचालन या वैश्विक उपस्थिति होनी चाहिए।·          मिनिरत्न I, अनुसूची ‘A’ सीपीएसई होना चाहिए और  पिछले पाँच वर्षों में से तीन में ‘उत्कृष्ट’ या ‘बहुत अच्छा’ एमओयू रेटिंग प्राप्त होना चाहिए।·         लाभप्रदताउत्पादकतादक्षता आदि जैसे छह प्रदर्शन संकेतकों में इसका समग्र स्कोर 60 या उससे अधिक होना चाहिए।·         मिनीरत्न श्रेणी-I: जिन सीपीएसई ने लगातार तीन वर्षों में लाभ प्राप्त किया हो या , तीन वर्षों में से किसी एक वर्ष में 30 करोड़ रुपये या उससे अधिक का शुद्ध लाभ अर्जित किया हो·          मिनीरत्न श्रेणी-II:  पिछले तीन वर्षों सेलगातार  लाभ प्राप्त किया हो  तथा  निवल संपत्ति सकारात्मक हो । ,
वित्तीय स्वायत्तता सरकार की मंजूरी के बिना किसी परियोजना में 5,000 करोड़ रुपये या अपनी निवल (कुल) संपत्ति के 15% तक का निवेश कर सकते हैं।सरकारी मंजूरी के बिना किसी परियोजना में 1,000 करोड़ रुपये या अपनी निवल (कुल) संपत्ति का 15% तक का निवेश कर सकते हैं।श्रेणी I: ₹500 करोड़ या अपनी निवल संपत्ति के बराबर राशिजो भी कम होनिवेश कर सकते हैं। श्रेणी II:  300 करोड़ रुपये या निवल (कुल) संपत्ति का 50% तक का निवेश कर सकते हैं।
सीपीएसई की संख्या142564 मिनीरत्न श्रेणी-I और 11 मिनीरत्न श्रेणी-II

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