संदर्भ: हाल ही में, G20 जलवायु एवं पर्यावरणीय स्थिरता कार्य समूह की मंत्रिस्तरीय बैठक दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में आयोजित की गई।

प्रमुख विषयगत प्राथमिकताओं पर भारत का रुख

  • पर्यावरण शासन में समता: भारत ने सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं (CBDR-RC) सिद्धांत की पुनः पुष्टि का आह्वान किया।
  • जैव विविधता संरक्षण: भारत पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित, सहभागी और भू-दृश्य-स्तरीय संरक्षण मॉडलों को बढ़ावा देता है। यह जैव विविधता प्रबंधन के लिए एक सूक्ष्म और नैतिक दृष्टिकोण अपनाता है, जिससे वस्तुकरण (Commodification) के बजाय स्थायित्व सुनिश्चित होती है।
  • भूमि क्षरण तटस्थता: भारत भूमि पुनर्स्थापन को एक आर्थिक और पारिस्थितिक अवसर के रूप में मान्यता देता है।
  • रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन: 
  • भारत सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को आगे बढ़ाता है और अपने विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) ढांचे को मापनीय वैश्विक मॉडल के रूप में प्रदर्शित करता है।
  • जलवायु परिवर्तन और न्यायोचित परिवर्तन: भारत ने बड़ी और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह से आग्रह किया कि वे महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन के बीच “सेतु के रूप में कार्य करें” तथा यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक राष्ट्र के योगदान का सम्मान किया जाए और पर्यावरणीय चुनौतियों और जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रत्येक राष्ट्र की क्षमता को बढ़ाया जाए।
  • वायु गुणवत्ता: भारत विविध राष्ट्रीय संदर्भों के अनुरूप सहकारी क्षमता निर्माण पहल को बढ़ावा देता है, जिससे प्रभावी और समावेशी वायु गुणवत्ता प्रबंधन सुनिश्चित होता है।
  • महासागर और तट: भारत सतत समुद्री उपयोग और जैव विविधता संरक्षण के लिए समुद्री स्थानिक योजना (Marine Spatial Planning) को गति दे रहा है। यह परित्यक्त मछली पकड़ने के उपकरणों के प्रबंधन, छोटे मछुआरों की आजीविका की रक्षा और न्यायसंगत एवं न्यायसंगत परिवर्तनों के माध्यम से समुद्री परिवहन को कार्बन-मुक्त करने के लिए स्वैच्छिक उपायों का भी समर्थन करता है।
  • जलवायु वित्त: महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए विकासशील देशों को दी जाने वाली मौद्रिक सहायता को मात्र एक वादा मानने के बजाय एक कर्तव्य माना जाना चाहिए।
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